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Thursday, 19 December, 2024
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महामारी से लड़ना भीलवाड़ा से सीखा जा सकता है, बीते चार दिनों में नहीं आया कोविड-19 का कोई भी मामला

भीलवाड़ा में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से पहले ही 20 मार्च को ही जिले की सीमाओं को बंद कर दिया गया था और कर्फ्यू भी लगा दिया गया था.

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नई दिल्ली: कोविड-19 के मामलों में पूरे भारत में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. बीते चार दिनों में संक्रमित लोगों की संख्या 1024 से दोगुनी बढ़कर 2,088 हो गई है. लेकिन कोरोनावायरस के मुख्य केंद्रों में से एक भीलवाड़ा में इस बीच कोई भी मामला सामने नहीं आया है. जो इस ओर इशारा कर रहा है कि प्रशासन द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंध इस क्षेत्र में मददगार साबित हुए हैं.

2 अप्रैल को भीलवाड़ा के डीएम राजेंद्र भट्ट ने अपने वीडियो ब्रीफिंग में कहा था कि जिले में कोरोनावायरस का अंतिम मामला 30 मार्च को आया था. तब तक जिले में संक्रमितों की संख्या कुल 26 थी जिनमें से दो लोगों की मौत हो चुकी थी. बाकी बचे 24 संक्रमित मामलों में से 13 नेगेटिव पाए गए हैं.

2 अप्रैल को जयपुर में सामने आए मामलों से संक्रमित लोगों की संख्या 39 हो चुकी है. जिस कारण राजस्थान का भीलवाड़ा कोविड-19 का अब मुख्य केंद्र नहीं रह गया है.

जिला प्रशासन के अनुसार जिन 6,800 लोगों को दो सप्ताह के लिए क्वारेंटाइन पर रखा गया था अब सिर्फ 2500 लोग ही बच गए हैं.

भीलवाड़ा में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से पहले 20 मार्च को ही जिले की सीमाओं को बंद कर दिया गया था और कर्फ्यू भी लगा दिया गया था. कोविड-19 का डॉक्टरों और कर्मचारियों के बीच प्रसिद्ध निजी अस्पताल से मामला आने के बाद ऐसा किया गया था.

इसके बाद प्रशासन ने अस्पताल के सभी कर्मचारियों, मरीजों और उनके परिवार वालों को क्वारेंटाइन किया था. प्रशासन ने सामुदायिक संक्रमण के फैलने के अंदाजों का पता लगाने के लिए 28 लाख लोगों का डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग भी किया था.

उठाए गए कड़े कदम स्थानीय संक्रमण को रोकने में सही साबित हुए.

भीलवाड़ा में उठाए गए कड़े कदम

दूसरे शहर की तुलना में भीलवाड़ा में सख्ती से कर्फ्यू लगाया गया और सिर्फ दूध और दवाई की दुकानों को खोलने की इजाजत दी गई. जबकि प्रशासन ने राशन, फल, सब्जियों को घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की.

भीलवाड़ा के जनसंपर्क अधिकारी पवनेश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा था कि इस शहर में 3 अप्रैल से लेकर 13 अप्रैल तक महा कर्फ्यू लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कड़ाई से कर्फ्यू लगाया जाएगा यहां तक कि दूध और दवाई भी लोगों के घरों तक पहुंचाई जाएगी जिससे कोई भी अपने घरों से न निकलें. जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों के अलावा किसी को भी सड़कों पर आने की इजाजत नहीं होगी और पहले जारी किए गए सभी कर्फ्यू पास भी रद्द कर दिए जाएंगे.


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एसपी हरेंद्र कुमार ने वीडियो ब्रीफिंग में कहा था कि तीन हजार पुलिस बल कर्फ्यू को लागू कराने में लगाए जाएंगे. इसके अतिरिक्त एसडीआरएफ और होम गार्ड्स भी इस काम में जुटेंगे.

ज्यादा टेस्टिंग

भीलवाड़ा ने जांच का अलग तरीका अपनाया है जो इस बात पर आधारित है कि सभी मामले निजी अस्पताल से संबंधित हैं. इसलिए जो भी पिछले महीने अस्पताल में थे, उन्हें कोविड-19 के लिए परीक्षण किया जा सकता था, इसके अलावा उन लोगों के अलावा जो एक डोर-टू-डोर सर्वेक्षण के बाद जांच किए गए थे और जिन्हें डॉक्टरों द्वारा संदर्भित किया गया था.

परीक्षण किए गए नमूनों की संख्या 1 अप्रैल तक 69 से बढ़कर 22 मार्च की तुलना में 1,494 हो गई है. वर्तमान दर पर, अकेले राजस्थान में 20 प्रतिशत नमूनों का परीक्षण भीलवाड़ा में किया गया है.

शर्मा ने कहा, ‘हम 300-400 नमूनों का हर रोज़ परीक्षण कर रहे हैं और अगले 10 दिनों में चार हज़ार के लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं.’

शर्मा ने कहा कि जिस जिले को 250 किलोमीटर दूर जयपुर नमूनों का परीक्षण करने के लिए भेजना पड़ता था वो जल्द ही खुद अपना जांच केंद्र इस सप्ताह तक बना लेगा जिससे नतीजे मिलने में समय कम लगेगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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