नागपुर, 24 मई (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेता सुनील आंबेकर ने शनिवार को कहा कि संगठन के संस्थापक केबी हेडगेवार और महात्मा गांधी की तुलना करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि दोनों ने देश और समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य किया और वे सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
यहां ‘डॉ. हेडगेवार और महात्मा गांधी-एक दर्शन’ पुस्तक के विमोचन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी पूछा कि क्या देश का विभाजन आजादी से पहले हिंदुओं की कमजोरी या तत्कालीन नेतृत्व की कमजोरी के कारण हुआ था।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी और आरएसएस संस्थापक डॉ. के बी हेडगेवार ने देश हित में काम किया। मुझे लगता है कि डॉ. हेडगेवार और महात्मा गांधी की तुलना करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि दोनों ने उत्कृष्ट कार्य किए हैं और दोनों ही हमारे लिए प्रेरणादायी हैं। दोनों ने देश की सेवा, देश के लोगों और हिंदू समुदाय के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।’’
आंबेकर ने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने विभाजन के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया था और यहां तक कि गांधीजी ने भी कहा था कि ‘‘यह उनकी लाश पर होगा’’।
उन्होंने कहा, ‘‘डॉ. हेडगेवार और गांधीजी दोनों का यह मत था कि देश एक और अखंड होना चाहिए। देश के सामने यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है और ऐतिहासिक रूप से भी यह बहस और अध्ययन का विषय रहा है कि क्या देश का विभाजन हम हिंदुओं की कमजोरी के कारण हुआ या नेतृत्व की कमजोरी के कारण हुआ।’’
आंबेकर ने हाल में पहलगाम प्रकरण समेत पाकिस्तान द्वारा भारत पर किये गए हमलों तथा पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का हवाला देते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि देश का अंततः विभाजन हो गया था और कुछ लोग मानते हैं कि मुद्दा यहीं समाप्त हो गया, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है।
इतिहास जानने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम भारतीय हैं और हजारों सालों से इस धरती पर रह रहे हैं। हम हिंदू हैं और परंपरा से भी हम हिंदू हैं।’’
आंबेकर ने कहा कि एक लोकतांत्रिक राष्ट्र और प्रगतिशील समाज के रूप में आरएसएस समेत संगठनों का भी खुले दिमाग से विश्लेषण करने की जरूरत है ‘‘क्योंकि अगर हम अपने इतिहास की समीक्षा खुले दिमाग से नहीं करेंगे तो हम भविष्य के लिए बेहतर फैसले नहीं ले पाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महापुरुष को किसी विशेष समूह, पार्टी या राजनीतिक विचारधारा तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। वे सभी राष्ट्र पुरुष हैं।’’
आंबेकर ने कहा कि गांधीजी ने 1937 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक शिविर की यात्रा के दौरान हेडगेवार से बातचीत की थी।
भाषा देवेंद्र आशीष
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