नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तरप्रदेश डिफेंस कॉरिडोर में ब्रह्मोस मिसाइल, ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और विमान का निर्माण और संयोजन किया जाएगा.
लखनऊ में दिग्गजों की पहल स्ट्राइव थिंक-टैंक द्वारा आयोजित ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर एक रक्षा संवाद बोलते हुए उन्होंने कहा, “महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तरप्रदेश डिफेंस कॉरिडोर में केवल नट, बोल्ट या स्पेयर पार्ट्स का निर्माण नहीं होगा. ड्रोन / यूएवी, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, विमान और ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण और संयोजन भी इस कॉरिडोर में किया जाएगा.”
उन्होंने यह भी बताया कि उत्तरप्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपीडीआईसी) में विभिन्न संस्थाओं द्वारा अब तक लगभग 2500 करोड़ रुपये का कुल निवेश किया जा चुका है.
रक्षा मंत्री ने आगे कहा, “आत्मनिर्भरता एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है, क्योंकि भारत अपनी सीमाओं पर दोहरे खतरे का सामना कर रहा है. साथ ही दुनिया में युद्ध तरीके और आयाम काफी तेजी से बदल रहे हैं इसलिए भविष्य को देखते हुए इसकी अत्यंत जरूरत है.”
सिंह ने एक मजबूत और आत्मनिर्भर सेना को एक संप्रभु राष्ट्र की रीढ़ बताते हुए कहा कि सेना सीमाओं की रक्षा के अलावा देश की सभ्यता और संस्कृति की भी रक्षा करती है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सशस्त्र बल विदेशी हथियारों और उपकरणों पर निर्भर न हों, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि असली ताकत ‘आत्मनिर्भर’ होने में निहित है, खासकर जब आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होती है.
रक्षा मंत्री ने नई और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों को सुसज्जित और तैयार करने वाले स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों और प्लेटफार्मों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, “अधिकांश हथियार आज इलेक्ट्रॉनिक-आधारित सिस्टम पर चलते हैं, जो विरोधियों को संवेदनशील जानकारी दे सकते हैं. आयातित उपकरणों की अपनी कुछ सीमाएं हैं. लेकिन हमें अब इसे कम करना है और हमें प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने की जरूरत है. नए हथियार हमारे सैनिकों की बहादुरी की तरह ही बहुत जरूरी है. यदि भारत वैश्विक स्तर पर एक सैन्य शक्ति बनना चाहता है, तो रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर होने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.”
उन्होंने एक मजबूत रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की. इनमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर (डीआईसी) की स्थापना, वित्तीय वर्ष 2023-24 में घरेलू उद्योग के लिए रक्षा पूंजी खरीद बजट (लगभग एक लाख करोड़ रुपये) का रिकॉर्ड 75 प्रतिशत निर्धारित करना, निजी उद्योग के लिए 25 प्रतिशत आरएंडडी बजट और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) पहल पर प्रकाश डाला गया.
रक्षा मंत्री ने इस पर जोर दिया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप रक्षा उत्पादन में एक लाख करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग 16,000 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है.
उन्होंने भरोसा जताया कि रक्षा निर्यात जल्द ही 20,000 करोड़ रुपये के स्तर को पार कर जाएगा. उन्होंने कहा, “हम 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए एक अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहे हैं. इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से शक्तिशाली और पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत बनाना है, जो भारत को एक रक्षा निर्यातक भी बनाएगा.”
इस अवसर पर यूपी डीआईसी के मुख्य नोडल अधिकारी एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (सेवानिवृत्त), सशस्त्र बलों और डीआरडीओ के अधिकारी और उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
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