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Wednesday, 8 May, 2024
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पूर्वोत्तर क्षेत्र से संबंधित विशेष प्रावधानों को छूने की कोई मंशा नहीं: केंद्र ने न्यायालय में कहा

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नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि केंद्र का पूर्वोत्तर या किसी अन्य क्षेत्र से संबंधित संविधान के किसी विशेष प्रावधान को छूने का कतई कोई इरादा नहीं है, और उन्होंने ‘इस तरह की आशंकाएं पैदा करने’ के किसी भी प्रयास की निंदा की।

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष यह दलील दी। इससे पहले वकील मनीष तिवारी ने कहा कि ऐसी आशंकाएं हैं कि जिस तरह से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था, उसी तरह पूर्वोत्तर राज्यों से संबंधित विशेष प्रावधानों को भी खत्म किया जा सकता है।

कांग्रेस नेता और लोकसभा सदस्य तिवारी अरुणाचल प्रदेश के विधायक पी रिचो की ओर से पक्ष रख रहे थे जिन्होंने अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं में हस्तक्षेप के लिए आवेदन किया है।

केंद्र सरकार की ओर से मेहता ने तिवारी को टोकते हुए कहा, ‘‘मुझे यह कहने का निर्देश प्राप्त है। यह किसी तरह की शरारत हो सकती है। कोई आशंका नहीं है और आशंका पैदा करने की जरूरत नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अस्थायी और स्थायी प्रावधानों के बीच अंतर को समझना चाहिए। केंद्र सरकार का पूर्वोत्तर और अन्य क्षेत्रों से संबंधित संविधान के किसी भी विशेष प्रावधान को छूने का भी कोई इरादा नहीं है।’’

तिवारी ने कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के लिए अनुच्छेद 370 की तरह संविधान की छठी अनुसूची में उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय परिक्षेत्र में छोटी सी आशंका के भी गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह अदालत मणिपुर में ऐसी एक स्थिति से निपट रही है।’’

तिवारी ने कहा कि वह मौजूदा केंद्र सरकार की कार्रवाई का जिक्र नहीं कर रहे बल्कि व्यापक परिप्रेक्ष्य में बात कर रहे हैं।

पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल रहे। पीठ ने तिवारी से कहा कि अदालत को उस याचिका पर विचार क्यों करना चाहिए जिसमें आशंकाएं और पूर्वानुमान हों।

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘जब सॉलिसिटर जनरल ने हमें सूचित किया है कि सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है तो हमें कोई आशंका क्यों करनी चाहिए? हमें इस क्षेत्र में जाने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। इस तरह से पूर्वोत्तर पर ध्यान नहीं दें। केंद्र सरकार के बयान से आशंकाएं दूर हो गयी हैं।’’

पीठ ने मेहता की दलीलों को दर्ज करने संबंधी आदेश को पारित करने के बाद हस्तक्षेप याचिका का निस्तारण तत्काल कर दिया।

भाषा

वैभव नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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