कोच्चि/ नई दिल्ली: कोच्चि में नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष एनआईए अदालत ने प्रोफेसर का हाथ काटने के मामले में छह लोगों को दोषी ठहराया.
अदालत ने 2010 में केरल के एक कॉलेज प्रोफेसर का हाथ काटे जाने के सनसनीखेज मामले में छह लोगों को दोषी ठहराया है. यह सभी दोषी प्रतिबंधित कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कथित सदस्य हैं.
विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश अनिल के. भास्कर ने मामले के दूसरे चरण की सुनवाई में इन लोगों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अंतर्गत हत्या, की साजिश रचने और अन्य अपराधों के तहत दोषी करार दिया.
इनमें से कुछ आरोपियों को सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत भी दोषी करार दिया गया है। इस मामले में पांच अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया है.
सुनवाई के पहले चरण में 31 आरोपियों को सुनवाई का सामना करना पड़ा था, जिसमें से 10 लोगों को अप्रैल 2015 में अदालत ने यूएपीए के साथ-साथ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और आईपीसी के तहत दोषी करार दिया था. इसके अलावा अदालत ने तीन अन्य को आरोपियों को शरण देने के लिए भी दोषी करार दिया था.
अदालत ने मामले में तब 18 अन्य लोगों को बरी कर दिया था.
#WATCH | 11 accused faced the court in this stage of trial. Five were acquitted and six were convicted. Three of the convicts were convicted for conspiracy..," advocate Naushad – defence lawyer gives details on the Kerala Professor TJ Joseph hand chopping case verdict. https://t.co/CuZKgODgrv pic.twitter.com/Tuf4BtTjSV
— ANI (@ANI) July 12, 2023
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‘कोई दुर्भावना नहीं’
प्रोफेसर टी जे जोसेफ का दाहिना हाथ 2010 में प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कथित कार्यकर्ताओं द्वारा काट दिया गया था .लेकिन वह आज अपने हमलावरों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं रखते हैं. हालांकि उस घटना के बाद उनकी हथेली अब सही तरीके से काम नहीं कर पाती है. प्रोफेसर को कुछ समय के लिए अपनी नौकरी भी गंवानी पड़ी जिसके परिणामस्वरूप उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी.
जोसेफ का दृढ़ विश्वास है कि 13 साल पहले जो हुआ उससे उनका जीवन बर्बाद नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि इसमें कुछ बदलाव हुए और उन्हें कुछ नुकसान हुआ.
एक विशेष एनआईए अदालत द्वारा बुधवार को छह व्यक्तियों को दोषी ठहराए जाने के बाद जोसेफ के सामने आए और उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी लड़ाई में क्षति तो होती ही है. मेरे जैसे लोगों की जिंदगी में यह कुछ बड़ी थी लेकिन मैं लड़ता रहूंगा.”
जोसेफ ने कहा कि फैसले से उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होंने कभी नहीं माना कि किसी आरोपी को सजा देने का मतलब पीड़ित को न्याय मिलना है.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से इसका मतलब केवल यह है कि देश का कानून लागू किया गया है. इसलिए, वास्तव में, चाहे उन्हें दोषी ठहराया जाए या बरी किया जाए, मुझे व्यक्तिगत रूप से इसकी कोई परवाह नहीं है.’’
उन्होंने कहा कि मामले में जो लोग पकड़े गए और दोषी ठहराए गए, वे ‘‘केवल जरिया थे’’ और हमले की साजिश रचने वाले असली अपराधी अब भी बाहर हैं. जोसेफ ने कहा, ‘उनके खिलाफ है कि मेरी लड़ाई जारी है.’’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें अपनी जान को लेकर डर है, क्योंकि मामले का मुख्य आरोपी – सावद – जिसने उनका हाथ काटा था – अब भी फरार है, जोसेफ ने कहा कि उन्हें किसी तरह का कोई डर नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं डरा हुआ नहीं हूं. मैंने अपना जीवन अपनी शर्तों पर जिया और भविष्य में भी ऐसा करता रहूंगा. यदि कोई आरोपी पकड़ा नहीं गया है, तो यह केवल व्यवस्था की विफलता को इंगित करता है.’’
इडुक्की जिले के तोडुपुझा में न्यूमैन कॉलेज के प्रोफेसर टी. जे. जोसेफ के दाहिने हाथ को चार जुलाई 2010 को वर्तमान में प्रतिबंधित चल रहे इस्लामिक संगठन पीएफआई के कथित सदस्यों द्वारा काट दिया गया था.
यह हमला उस वक्त किया गया था जब वह (प्रोफेसर) अपने परिवार के साथ एर्नाकुलम जिले के मूवाट्टुपुझा स्थित एक गिरजाघर से रविवार की प्रार्थना के बाद घर लौट रहे थे.
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