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Tuesday, 5 November, 2024
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फायर सेफ्टी नहीं, अयोग्य डॉक्टर, सीमा से ज्यादा बेड – दिल्ली NICU अग्निकांड चार्जशीट में क्या कुछ कहा गया

कड़कड़डूमा कोर्ट में दायर दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में विवेक विहार एनआईसीयू के प्रबंधन पर पुलिस को सूचित न करने का भी आरोप लगाया गया है, जिसके कारण 26 मई को आग लगने की घटना के बाद कार्रवाई में देरी हुई, जिसमें 8 नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली के विवेक विहार में नवजात शिशु देखभाल इकाई में भीषण आग लगने की घटना के दो महीने बाद, दिल्ली पुलिस ने अस्पताल के मालिक और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर को आरोपी बनाते हुए चार्जशीट दायर की है.

कड़कड़डूमा कोर्ट में दायर चार्जशीट में अग्नि सुरक्षा उपकरणों की कमी, 12 बिस्तरों वाले नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) को संचालित करने के लिए अपर्याप्त जगह, इकाई का नेतृत्व अयोग्य डॉक्टरों द्वारा करना, योग्य नर्सों की अनुपस्थिति और ऑक्सीजन सिलेंडरों के खतरनाक भंडारण सहित कई उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया है.

जांचकर्ताओं ने 81 गवाहों के बयानों के आधार पर डॉ. नवीन खिची और उनके सहयोगी डॉ. आकाश, जो ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर थे, उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आठ वैधानिक नियमों के उल्लंघन का मामला उठाया है.

दिप्रिंट ने 26 मई को बताया था कि कैसे विवेक विहार में एक इमारत की पहली मंजिल पर स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में भीषण आग लग गई थी.

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि डॉ. खिची और डॉ. आकाश पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या) और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “हमारे पास आरोपी डॉ. नवीन खिची और डॉ. आकाश के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जिन्होंने जानबूझकर एनआईसीयू को अनुमति सीमा से अधिक बेड के साथ बिना योग्य आरएमओ और नर्सों के, बिना अग्नि सुरक्षा उपकरणों के संचालित किया, और आग लगने की स्थिति में तुरंत कार्रवाई नहीं की.”

इसके अलावा, जांचकर्ताओं ने दो प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों का हवाला दिया है, जिन्होंने दिल्ली पुलिस नियंत्रण कक्ष को फोन करके आरोप लगाया था कि डॉ. आकाश ने पुलिस को सूचित नहीं किया, जिससे अधिकारियों को आग लगने की सूचना देने में देरी हुई.

आरोपपत्र में किन उल्लंघनों का हुआ जिक्र

जानकारी के मुताबिक 796 पन्नों के आरोपपत्र में जांचकर्ताओं ने अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी और 12 बिस्तरों वाले एनआईसीयू को संचालित करने के लिए अपर्याप्त स्थान को उजागर किया है.

उन्होंने यह भी बताया है कि बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री वाले डॉक्टरों को यूनिट के हेड के रूप में तैनात किया गया था, जबकि मानदंडों में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) के पास इंटेंसिव केयर या नवजात इंटेंसिव केयर में स्नातकोत्तर डिग्री होनी चाहिए.

आरोप पत्र में एनआईसीयू में योग्य नर्सों की अनुपस्थिति के साथ-साथ 12 एनआईसीयू बेड स्थापित करने का भी उल्लेख किया गया है, जबकि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा दी गई अनुमति, जो मार्च में समाप्त हो गई थी, में केवल पांच बेड की अनुमति थी. यह अनुमति भी मानदंडों का उल्लंघन थी क्योंकि आरोपी डॉ. खिंची के खिलाफ भी इसी तरह का मामला लंबित था, ऐसा आरोप पत्र में कहा गया है.

जांचकर्ताओं ने दावा किया है कि अस्पताल की संरचना में खामियां थीं. इसके अलावा, उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडरों के भंडारण, हैंडलिंग और रखरखाव में उल्लंघन को चिह्नित किया है. अस्पताल के आस-पास रहने वालों ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें अस्पताल के भूतल पर ऑक्सीजन सिलेंडरों की रिफिलिंग के कारण ऐसी घटना की आशंका थी.

जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “जितने ऑक्सीजन सिलिंडरों को स्टोर करने की अनुमति दी गई थी उस सीमा से अधिक मात्रा में सिलिंडरों को स्टोर किया गया था और उनका स्टोरेज भी खतरनाक तरीके से किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप सिलेंडरों में विस्फोट हुआ.”

एक अन्य पुलिस सूत्र ने कहा, “फोरेंसिक विभाग, दिल्ली अग्निशमन सेवा और नगर निगम के विशेषज्ञों और एक विद्युत निरीक्षक द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को रिकॉर्ड में रखा गया है.”

जांचकर्ताओं ने आगे कहा कि मई की चिलचिलाती गर्मी में पुराने कागजों के बंडल, लकड़ी के मलबे जैसी ज्वलनशील सामग्री बहुतायत में थी, जिससे एनआईसीयू में आग की तीव्रता और बढ़ गई. उन्होंने कहा कि मामले को और भी बदतर बनाने वाली बात यह थी कि अस्पताल में आग से बचाव के लिए कोई भी उपकरण नहीं लगाया गया था.

आग लगने के तीन दिन बाद, दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा विवेक विहार एनआईसीयू का बड़े पैमाने पर निरीक्षण करने का आदेश दिया था.

दिप्रिंट ने पहले बताया था कि 65 ऐसे नर्सिंग होम के निरीक्षण में, दिल्ली एसीबी ने पाया कि 34 निजी नर्सिंग होम अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना चल रहे थे, जबकि 21 ने प्राधिकरण की मंजूरी के बिना बिस्तर की क्षमता बढ़ा दी थी. इसके अतिरिक्त, 17 नर्सिंग होम के पास सरकार से वैध लाइसेंस नहीं थे.

विवेक विहार अस्पताल प्रबंधन द्वारा उल्लंघनों पर, दिल्ली एसीबी ने पाया और दर्ज किया कि नर्सिंग होम में कोई अग्निशामक यंत्र या आपातकालीन निकास नहीं था, जबकि नियमों का उल्लंघन करते हुए इमारत के भूतल पर 32 ऑक्सीजन सिलेंडर रखे हुए थे.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ते हुए यहां क्लिक करें.)


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