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Friday, 15 November, 2024
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ब्लड मनी के भुगतान से संबंधित वार्ता का कोई दूतावास हिस्सा नहीं हो सकता: दिल्ली उच्च न्यायालय

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नयी दिल्ली, 15 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने यमन में हत्या के जुर्म में केरल की एक महिला को सुनाये गये मृत्युदंड के बदले ‘ब्लड मनी (किसी व्यक्ति की हत्या के संबंध में उसके परिवार को क्षतिपूर्ति राशि) के भुगतान के सिलसिले में केंद्र सरकार को शामिल करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया और कहा कि कोई भी दूतावास ‘ब्लड मनी’ देने से संबंधित वार्ता का हिस्सा नहीं हो सकता।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने एक संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत भारत सरकार को ऐसे भुगतान में सहयोग करने को नहीं कह सकती है। उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से महिला की दोषसिद्धि के विरूद्ध उपयुक्त कानूनी सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया।

याचिकाकर्ता ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ नामक संगठन ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह केंद्र को ‘निमिषा प्रिया की जान बचाने के लिए निर्धारित समय सीमा में यमन के कानून के अनुसार ब्लड मनी का भुगतान करने तथा राजनयिक हस्तक्षेप एवं मृतक के परिवार के साथ वार्ता में सहयोग करने का निर्देश दे। ’

ब्लड मनी (खून बह) वह क्षतिपूर्ति राशि होती है जिसका अपराधी या उसका रिश्तेदार मृतक के परिवार को भुगतान करता है।

अदालत ने कहा, ‘‘ कोई भी दूतावास ब्लड मनी के भुगतान से संबंधित वार्ता का हिस्सा नहीं हो सकता है। आप इसे निजी तौर पर कर सकते हैं।’’

उसने कहा, ‘‘ जहां तक प्रथम राहत की बात है तो अदालत केंद्र को उस वार्ता का पक्षकार बनने को नहीं आदेश नहीं दे सकती है जिसे अभियुक्त के परिवार ने शुरू करने का प्रस्ताव रखा है।’’

याचिकाकर्ता के वकील सुभाष चंदन के आर ने कहा कि याचिकाकर्ता मृतक की जनजाति को ब्लडमनी देने एवं वार्ता करने को तैयार है लेकिन यमन की वर्तमान सामाजिक एवं राजनीतिक हालात के मद्देनजर सरकार के सहयेाग की जरूरत है।

अदालत ने कहा कि यथासंभव वह केंद्र से यमन के कानूनों के तहत न्यायिक उपचार पर आगे बढ़ने में याचिकाकर्ता को सहयोग के लिए कह सकती है।

उसपर केंद्र सरकार के वकील अनुराग अहुवालिया ने कहा कि अभियुक्त के भारतीय नागरिक होने की बात को ध्यान में रखते हुए प्रशासन कानून के अनुसार अगले अपीलीय मंच के सामने अपील करने में सभी सक्रिय सहयोग देगा तथा संबंधित वाणिज्यिक दूतावास का सहयोग उसे दिया जाएगा एवं यमन जाने में याचिकाकर्ता को सुविधा दी जाएगी।

याचिका में कहा गया है कि निमिषा प्रिया यमन में भारतीय नर्स के रूप में काम कर रही थी और उसे 2020 में एक यमनी नागरिक की हत्या को दोषी ठहराया गया। याचिका के अनुसार प्रिया पर तलाल अब्दो महादी की हत्या करने का आरोप है जो जुलाई, 2017 में मर गया था क्योंकि अभियुक्त ने उसे अपना पासपोर्ट हासिल करने के लिए नींद की सुई लगायी थी। उसने उसे सुई इसलिए लगायी थी कि बेहोशी के दौरान वह उससे अपना पासपोर्ट ले सके लेकिन वह ओवरडोज के कारण मर गया।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि महादी ने यह दिखाने के लिए दस्तावेज में हेरफेर की कि उसने उससे शादी की है और यह कि वह उसका कथित रूप से उत्पीड़न करता था।

भाषा राजकुमार पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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