नई दिल्ली: अफगानिस्तान में घरेलू उड़ानें और कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानें फिर शुरू हो गई हैं लेकिन दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक इसके बावजूद काबुल और नई दिल्ली के बीच सीधी उड़ान जल्द फिर शुरू होने की कोई संभावना नहीं है.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि भारत अब भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारत आने के इच्छुक अफगान नागरिकों को कतर के रास्ते निकालने की योजना बना रहा है. सूत्रों ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि काबुल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर भारत के पास कोई ग्राउंड स्टाफ मौजूद नहीं है जो उड़ानों की सुविधा प्रदान कर सके.
तालिबान द्वारा 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिए जाने से पहले एयर इंडिया और केएएम एयर की तरफ से दिल्ली और काबुल के बीच सीधी उड़ानें थीं. काबुल के लिए एयर इंडिया आखिरी उड़ान 16 अगस्त को वहां पहुंचने वाली थी, वह उतर नहीं सकी क्योंकि एयरपोर्ट तालिबान के नियंत्रण में आ गया था और उसे अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था.
सूत्रों के मुताबिक, अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रुद्रेंद्र टंडन समेत पूरे राजनयिक स्टाफ ने जिस दिन काबुल छोड़ा, उसी दिन एयर इंडिया के सभी कर्मचारियों को वहां से निकाल लिया गया था.
सूत्रों ने कहा कि उस समय काबुल में एयर इंडिया के केवल दो स्टाफ मेंबर- कंट्री मैनेजर और एक सुरक्षा अधिकारी रह गए थे और अब वह दोनों भी भारत आ चुके हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से काबुल के लिए सीधी उड़ानें फिर से शुरू किया जाना इस पर निर्भर करेगा कि वहां जमीनी हालात कैसे रहते हैं और तालिबान के मामले में वह अंततः किस नीति को अपनाएगी.
सूत्रों ने कहा, अभी फिलहाल भारत काबुल से आवाजाही को प्रोत्साहित नहीं कर रहा है और सारा ध्यान वहां से निकासी पर है.
अभी, काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ऑपरेशन फिर शुरू हो जाने के बावजूद कतर एयरवेज को छोड़कर कोई अंतरराष्ट्रीय उड़ान शुरू नहीं हुई है.
सोमवार को पाकिस्तान के साथ वाणिज्यिक उड़ानें फिर से शुरू हो गईं, इस्लामाबाद से एक फ्लाइट कुछ यात्रियों को लेकर काबुल पहुंची.
इस समय काबुल में उतरने वाली अधिकांश फ्लाइट चार्टर्ड विमानों की हैं, जिनमें सहायता कर्मी और अधिकारी शामिल हैं. अक्टूबर से और ज्यादा वाणिज्यिक अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने की उम्मीद है.
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भारत ने ई-वीजा जारी करना शुरू किया
सूत्रों ने कहा कि भारत के पास फिलहाल आधिकारिक तौर पर यह आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि कितने भारतीय नागरिक अभी अफगानिस्तान में हैं.
उनके मुताबिक, अफगानिस्तान में अभी भी 100 से अधिक भारतीय नागरिक मौजूद हैं, जिनमें कई वहां बसे हुए हैं और देश छोड़ना नहीं चाहते. कुछ हालात सुधरने का इंतजार कर रहे हैं और जबकि कुछ स्थिति थोड़ी सामान्य होने पर लौट सकते हैं.
अब तक करीब 20 भारतीयों ने सरकार को सूचित किया है कि वे वापस लौटना चाहते हैं. हालांकि, कई अफगान नागरिक भारत आने के इच्छुक हैं, जिनमें पिछली हामिद करजई और अशरफ गनी सरकारों के साथ काम करने वाले लोग भी शामिल हैं.
इनमें से कई लोगों को नया ई-वीजा भी दिया जा चुका है और सुरक्षित निकासी के बाद इनके दोहा, कतर के रास्ते भारत पहुंचने की संभावना है.
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भारत ने तालिबान से सुरक्षित निकासी का रास्ता सुनिश्चित करने को कहा
भारत की ओर से शनिवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर ‘तालिबान’ शब्द का इस्तेमाल किया गया जिसे भारत ने नई दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के साथ आयोजित अपनी पहली 2+2 उद्घाटन वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में शामिल किया. यह वार्ता दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच हुई.
संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘मंत्रियों ने अफगानिस्तान की स्थिति पर भी गहरी चिंता जताई. मंत्रियों ने तालिबान से विदेशी नागरिकों और देश छोड़ने के इच्छुक अफगानों के लिए सुरक्षित निकासी की गारंटी देने का आह्वान किया.’
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