नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को करीब 10 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को महरौली में मंगलवार तक विध्वंस की कार्रवाई में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया.
मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख निर्धारित की गयी है. डीडीए ने शुक्रवार को पुलिस सुरक्षा के बीच महरौली इलाके में तोड़फोड़ अभियान शुरू किया था.
न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने डीडीए को निर्देश दिया कि कल तक कोई विध्वंस नहीं होगा. अदालत ने निर्देश दिया, ‘आदेश जानकारी अधिकारियों को दी जाए.’
यह आदेश महरौली क्षेत्र की विभिन्न कॉलोनियों के निवासियों द्वारा क्षेत्र में तोड़-फोड़ के बीच दायर की गई 10 याचिकाओं के संबंध में पारित किया गया है.
मस्जिद गंधक की बावली कॉलोनी के निवासियों द्वारा दायर एक अन्य याचिका में, अदालत द्वारा कोई रोक नहीं लगाई गई है क्योंकि याचिकाकर्ता कोई भी अधिकार का दस्तावेज पेश नहीं कर पाए.
हालांकि, न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की एक अन्य पीठ ने उक्त कॉलोनी के सीमांकन का निर्देश दिया. यह मामला 27 फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
अधिवक्ता कमलेश कुमार मिश्रा याचिकाकर्ता रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) की ओर से पेश हुए.
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता मस्जिद गंधक की बावली कॉलोनी, महरौली का आरडब्ल्यूए है और 14 परिवारों का प्रतिनिधित्व करता है, जो एसोसिएशन के सदस्य हैं.
याचिका में कहा गया है कि एसोसिएशन के सदस्य ग्राम महरौली, वार्ड नंबर 1, दिल्ली के खसरा नंबर 163 में स्थित जमीला मस्जिद (गंधक की बावली मस्जिद) के पास रह रहे हैं.
याचिकाकर्ता संघ के सदस्य पिछले कई दशकों से उपरोक्त भूमि पर निवास कर रहे हैं और उनके पास उक्त दावे को साबित करने के लिए दस्तावेज हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख तक स्थगन आदेश के बावजूद महरौली में विध्वंस को लेकर शुक्रवार को डीडीए की खिंचाई की. निवासियों ने 12 दिसंबर 2022 को जारी विध्वंस आदेश को चुनौती दी है. मामला 16 फरवरी को सूचीबद्ध किया गया था.
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