नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि उसने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं से संबंधित केंद्र के अध्यादेश के विषय पर अब तक कोई फैसला नहीं किया है और वह अपनी राज्य इकाइयों तथा समान विचार वाली पार्टियों से बातचीत करके ही कोई निर्णय लेगी।
पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘ दिल्ली के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस ने कोई फैसला नहीं किया है। वह अपनी राज्य इकाइयों और समान विचार वाली पार्टियों के साथ विचार-विमर्श करेगी।’’
वेणुगोपाल के मुताबिक, कांग्रेस कानून के शासन में विश्वास करती है और साथ ही उसका यह भी मानना है कि अनावश्यक टकराव और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई तथा झूठ आधारित दुष्प्रचार नहीं होना चाहिए।
इस विषय पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय ने पिछले दिनों जो फैसला सुनाया था वह सही था और केंद्र सरकार को इसका सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख में विरोधाभास नजर आता है क्योंकि एक तरफ वह फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाती है और दूसरी तरफ पुनर्विचार याचिका भी दायर करती है।
केंद्र ने आईएएस और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए शुक्रवार को अध्यादेश जारी किया।
यह उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण सौंपने के एक सप्ताह बाद आया।
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में इस अध्यादेश से संबंधित विधेयक लाएगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से समर्थन मांग रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रविवार को केजरीवाल से मुलाकात की थी और इस मुद्दे पर उनका खुलकर समर्थन किया था।
भाषा हक माधव वैभव
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