नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) ताइवान पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और नयी दिल्ली के ताइवान के साथ आर्थिक, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक संबंधों पर आधारित रिश्ते हैं। सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय पर आया जब चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान को गलत तरीके से पेश करते हुए कहा कि उन्होंने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात के दौरान कहा कि नयी दिल्ली, ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है।
जयशंकर की वांग से बातचीत उनके दो दिवसीय दौरे पर भारत आने के तुरंत बाद सोमवार शाम को हुई।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘चीनी पक्ष ने ताइवान का मुद्दा उठाया। भारतीय पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि इस मुद्दे पर उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह, भारत का ताइवान के साथ आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंधों पर केंद्रित रिश्ता है और यह आगे भी जारी रहेगा। भारतीय पक्ष ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि चीन भी इन्हीं क्षेत्रों में ताइवान के साथ सहयोग करता है।’’
एक अन्य सूत्र ने बताया कि सोमवार की बैठक में वांग ने भारतीय पक्ष से ताइवान के साथ कोई समझौता न करने का आह्वान किया।
उन्होंने बताया कि वांग के आह्वान पर जयशंकर ने आश्चर्य जताया कि यह कैसे संभव है, जब चीन स्वयं ताइवान के साथ उन्हीं क्षेत्रों में सहयोग कर रहा है, जिनमें भारत कर रहा है।
सूत्रों ने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के बयान को गलत तरीके से उद्धृत किया।
अतीत में भारत ने ‘एक चीन’ नीति का समर्थन किया था, लेकिन 2011 के बाद से यह किसी द्विपक्षीय दस्तावेज़ में शामिल नहीं है। चीन अक्सर भारत से ‘एक-चीन’ नीति का पालन करने का आह्वान करता रहा है।
भारत और ताइवान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, फिर भी दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं।
भारत ने 1995 में ताइपे में भारत-ताइपे संघ (आईटीए) की स्थापना की थी, ताकि दोनों पक्षों के बीच संपर्क को बढ़ावा दिया जा सके और व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुगम बनाया जा सके।
आईटीए को सभी वाणिज्यिक और पासपोर्ट सेवाएं प्रदान करने का भी अधिकार दिया गया है।
उसी वर्ष, ताइवान ने भी दिल्ली में ताइपे आर्थिक एवं सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की थी।
पिछले कुछ वर्षों में भारत और ताइवान के बीच व्यापारिक संबंधों में प्रगति हुई है।
भारत विशेष रूप से सेमीकंडक्टर सहित उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ताइवान के साथ सहयोग चाहता है।
ताइवान 2.3 करोड़ से अधिक आबादी का एक स्व-शासित द्वीप है जो दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत सेमीकंडक्टर का उत्पादन करता है। इनमें सबसे उन्नत चिप्स शामिल हैं जो लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे स्मार्टफोन, कार घटकों, डेटा केंद्रों, लड़ाकू जेट और एआई प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यक हैं।
दोनों पक्षों ने पिछले साल एक प्रवासन और गतिशीलता समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जो स्व-शासित द्वीप में विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय कामगारों के लिए रोजगार को सुगम बनाएगा। दोनों पक्ष कई वर्षों से इस समझौते पर बातचीत कर रहे थे।
भाषा यासिर सुरेश
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