नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने उसके तहत आने वाले सभी मेडिकल कॉलेजों का प्रमाणन और रेटिंग एक स्वतंत्र तृतीय पक्ष एजेंसी से कराने का निर्णय लिया है और जिन मानदंडों के आधार पर यह रेटिंग की जाएगी, उसका एक मसौदा जारी किया है।
मेडिकल कॉलेजों की मान्यता और रैंकिंग संबंधित मसौदा रूपरेखा को हितधारकों से टिप्पणियों और सुझाव के लिए सार्वजनिक किया गया है। इस मसौदे में एनएमसी के मेडिकल मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड (एमएआरबी) द्वारा संकलित कुल 11 मानक और 78 मानदंड शामिल हैं।
शीर्ष निकाय के भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के साथ साझेदारी में चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और रेटिंग के लिए मसौदा रूपरेखा तैयार करने के एक वर्ष से अधिक समय बाद नवीनतम मसौदा आया है।
एनएमसी ने मेडिकल कॉलेजों की रेटिंग का आकलन करने के लिए 2023 में क्यूसीआई के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे।
नए मसौदे में मेडिकल कॉलेजों की रेटिंग के लिए कुछ मानदंडों को हटा दिया गया है, जैसे प्रशिक्षुओं और रेजीडेंट डॉक्टरों को दिए जाने वाले मानदेय और समग्र संकाय में पूर्णकालिक या नियमित प्रोफेसरों का अनुपात। यह 2023 के मसौदे में प्रस्तावित था।
इसके अलावा, पिछले मसौदे में मानदंडों की संख्या 92 थी, जिसे अब घटाकर 78 कर दिया गया है।
एनएमसी के अध्यक्ष डॉ. बीएन गंगाधर ने कहा, ‘यह पहली बार है कि मेडिकल कॉलेजों का निर्धारित मापदंडों के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा और रेटिंग दी जाएगी। इसका उद्देश्य जवाबदेही लाना और उच्च मानकों का पालन कराना है।’
उन्होंने कहा, ‘सिर्फ मसौदा दस्तावेज सार्वजनिक किया गया है और हम इसमें अधिक मानक शामिल करने के लिए हितधारकों के सुझावों पर विचार करेंगे।
भाषा नोमान दिलीप
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