नयी दिल्ली, आठ जून (भाषा) पहली बार ‘आधुनिक चिकित्सा’ को परिभाषित करते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) अपनी आचार संहिता में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है तथा एनएमसी कानून, 2019 के तहत आधुनिक चिकित्सा के चिकित्सक के रूप में पंजीकृत पेशेवरों के लिए उनके नाम के पहले ‘‘मेड डॉ.’ (मेडिकल डॉक्टर) जोड़ने का प्रस्ताव रखा है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग पंजीकृत मेडिकल चिकित्सक (पेशेवर आचार) विनियम, 2022 के मसौदे के अनुसार पंजीकृत चिकित्सा पेशेवर (आरएमपी) को किसी दवा कंपनी या संबद्ध स्वास्थ्य क्षेत्र से पिछले पांच सालों में हुई वित्तीय कमाई या फायदे के संबंध में हलफनामा देना पड़ सकता है।
मसौदा विनियम में यह भी प्रस्ताव है कि यदि मरीज या उसके रिश्तेदार गाली-गलौज या हिंसक व्यहार करते हैं तो ऐसे में चिकित्सा पेशेवरों को उसका उपचार करने से इनकार करने की अनुमति होगी।
इस मसौदा विनियम को एनएमसी के ‘एथिक्स एवं मेडिकल पंजीकरण बोर्ड’ (ईएमआरबी) ने सार्वजनिक कर दिया है और संबंधित पक्षों से 22 जून तक टिप्पिणयां आमंत्रित की हैं।
इस मसौदा विनियम में कहा गया है, ‘‘ एनएमसी अधिनियम, 2019 के तहत पंजीकृत आरएमपी ही अपने नाम से पहले मेडिकल डॉक्टर (मेड डॉ.) का इस्तेमाल कर सकते हैं। हर स्व नियोजित आरएमपी अपनी परामर्श पर्ची में उसे बोर्ड द्वारा दी गयी विशिष्ट पंजीकरण आईडी को प्रदर्शित करेगा, उसे प्रमाणपत्र एवं मरीजों से प्राप्त धनराशि की रसीद भी दिखानी होगी। नियोक्ता द्वारा सेवा पर रखे गये आरएमपी को अपने हस्ताक्षर के नीचे विशिष्ट पंजीकरण क्रमांक को प्रदर्शित करने के लिए अपने नियोक्ता से एक मुहर बनवानी होगी। ’’
मसौदा विनियमन के अनुसार विदेश शिक्षित आरएमपी, जो एफएमजीई या नेक्स्ट उत्तीर्ण करने के बाद पंजीकरण चाहते हैं, को मरीजों एवं लोगों के सामने स्पष्टता दर्शाने के लिए एनएसमी मंजूर समतुल्य मेडिकल उपनाम (उपसर्ग/प्रत्यय) अपने नाम के आगे या पीछे लगाना होगा।
बोर्ड के सदस्य डॉ. योगेंद्र मलिक ने कहा, ‘‘ एक अन्य बात यह शामिल की गयी है कि एनएमसी के तहत आधुनिक चिकित्सा पद्धति का लाइसेंस मिल जाने के बाद पेशेवर साथ-साथ अन्य चिकित्सा पद्धति का अभ्यास कर पायेंगे। एक से अधिक चिकित्सा पद्धति में निपुण व्यक्ति को यह तय करना चाहिए कि वह किस पद्धति का अभ्यास करना चाहता है।’’
मसौदा के अनुसार, हालांकि किसी अन्य चिकित्सा पद्धति में अल्पकालिक पाठ्यक्रम कर लेने भर से पेशेवर (चिकित्सक) उस पद्धति का अभ्यास करने या दवा लिखने का पात्र नहीं होगा।
विनियम में यह भी कहा गया है कि कोई आरएमपी क्लीनिकल विशेषज्ञ होने का दावा तबतक नहीं करेगा जबतक उसके पास आधुनिक चिकित्सा की उस विशिष्ट शाखा एनएमसी से मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण या शैक्षणिक योग्यता न हो।
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राजकुमार प्रशांत
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