नई दिल्ली : दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक गवर्नेंस में निजी प्रतिभाओं को जगह देने की मोदी सरकार की कोशिशों को आगे बढ़ाते हुए सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग में 38 विशेषज्ञों को पिछले दरवाजे से डायरेक्टर और डिप्टी सेकेट्ररी के स्तर पर भर्ती किया गया है.
वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक गोपनीय तरीके से भर्ती में 13 मार्च को 38 लोगों को ऑफर लेटर जारी कर दिए गए. अधिकारियों ने बताया कि उनकी विशेषज्ञता और भूमिका अर्थशास्त्र और वित्त, व्यापार और वाणिज्य और डाटा प्रबंधन और विश्लेषण से लेकर ग्रामीण विकास और बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी तक से जुड़ी है. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, जिन लोगों की भर्ती की गई है वो दुनियाभर के शीर्ष पेशेवरों में शुमार हैं, और यह कदम सरकार में डोमेन विशेषज्ञों और पेशेवर नौकरशाहों के बीच बेहतर संतुलन कायम करने के पीएम के दृष्टिकोण के मद्देनजर उठाया गया है.
अधिकारी ने बताया, भर्ती किए गए 38 लोगों में 20 ने इस माह के शुरू में नीति आयोग में कामकाज संभाल लिया है. उक्त अधिकारी ने साथ ही जोड़ा, बाकी के लोगों की ज्वाइनिंग में देरी इसलिए हो रही क्योंकि वह दिल्ली या फिर देश में ही नहीं रहते रहे हैं.
सिविल सेवकों की तरह विशेषाधिकार नहीं
नियुक्तियों की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार में पिछले दरवाजे से नियुक्तियों की जिम्मेदारी संभाल रहे नीति आयोग ने खुद इसका पूरा संचालन किया न कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने.
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अधिकारी ने कहा, ये नियुक्तियां फ्लेक्सी पूल पोस्ट के तहत की गई हैं, जिसके लिए नीति आयोग ने पिछले साल विज्ञापन निकाला था. यूपीएससी की इसमें कोई भूमिका नहीं थी, संबंधित लोगों का चयन नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग समितियों के जरिये नीति आयोग ने खुद ही किया.
भर्तियों के लिए सरकार से पिछले साल ही मंजूरी ली गई थी
दिप्रिंट ने जैसा पिछले साल ही प्रकाशित किया था, यद्यिप नीति आयोग को कांट्रेक्ट पर कंसल्टेंट की नियुक्तियों के लिए जाना जाता है, पिछले दरवाजे से की जाने वाली भर्तियां अन्य सिविल सेवकों के लिए लागू होने वाले केंद्रीय सिविल सेवा नियम 1964 की अनदेखी हैं और उन्हें नियमित सिविल सेवकों के ही समान रैंक, दर्जा, जिम्मेदारी और जवाबदेही मिलेगी.
हालांकि, नीति आयोग के नियमों के मुताबिक, अनुबंध के आधार पर नियुक्त अधिकारी रिहायशी आवास, आधिकारिक परिवहन सुविधा, अवकाश नकदीकरण या किसी अन्य भत्ते/ सुविधा को नियमित सरकारी कर्मचारी की तरह नहीं ले सकेंगे.
यह प्रक्रिया केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल यूपीएससी के जरिये पिछले दरवाजे से की गई भर्तियों से अलग है. सितंबर 2019 में इस योजना के पहले चरण में संयुक्त सचिव के रूप में भर्ती आठ डोमेन विशेषज्ञों को एक पेशेवर सिविल सेवक के समान ही विशेषाधिकार मिले हैं.
भर्ती के नियमों के अनुसार, शुरुआत में उनका कार्यकाल तीन वर्ष अवधि का होगा जिसे तीन से पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, जो आवश्यकता या 60 साल की उम्र तक, जो भी पहले हो, के आधार पर होगा.
नियमों में आगे कहा गया है, सभी नियुक्तियां समय-समय पर सरकार द्वारा अधिसूचित सीएसएस (आचरण) नियमों और ऐसी अन्य व्यवस्थाओं के उद्देश्य से लोक सेवक के तौर पर मानी जाएंगी. रोजगार अनुबंध को एक महीने की न्यूनतम नोटिस अवधि के साथ या तो समाप्त किया जा सकता है या इसके एवज में भुगतान किया जा सकता है.
बहरहाल, सरकार की पिछले दरवाजे से भर्ती की प्रक्रिया के दूसरे चरण, जिसके तहत निजी क्षेत्र से डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी स्तर के 40 अधिकारियों की नियुक्ति की जानी है, को लेकर फिलहाल कोई गतिविधि नजर नहीं आ रही है.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह योजना और डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी स्तर के 40 अधिकारियों की भर्ती का प्रस्ताव फिलहाल पूर्ववत स्थिति में है. लेकिन नियत समय पर इस पर कुछ कदम उठाया जाएगा.
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