नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) नीति आयोग ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नयी दिल्ली को चिकित्सा अनुसंधान और उपचार के लिए एक प्रमुख संस्थान में बदलने की रूपरेखा बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है।
आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 में कहा कि नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल की अगुवाई वाली समिति का काम एम्स में मौजूदा प्रणालियों और प्रक्रियाओं का गहन अध्ययन करना और महत्वपूर्ण सुधारों को कार्यान्वयन की विशिष्ट समयसीमा के साथ प्रस्तावित करना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति आयोग ने सीएसईपी रिसर्च फाउंडेशन के साथ साझेदारी में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) प्राप्त करने के वास्ते रणनीतियों को अपनाने वाले विभिन्न देशों के अनुभवों के अध्ययन का प्रयास किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मसौदा पत्र में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने, उनकी पहुंच, गुणवत्ता तथा लागत में सुधार के उद्देश्य से आपूर्ति-पक्ष और मांग-पक्ष वित्तपोषण दोनों पर ध्यान देने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोणों की एक शृंखला प्रस्तावित की गई है।’’
स्वदेशी उपचारों की अनुपलब्धता और दुर्लभ बीमारियों के लिए आयातित दवाओं की अत्यधिक कीमतों को देखते हुए, नीति आयोग ने चुनिंदा दुर्लभ बीमारियों के लिए स्वदेशी रूप से निर्मित खुराक रूपों (छोटे अणुओं) को तेजी से ट्रैक करके भारत में दुर्लभ रोग रोगियों के लिए दवाओं की पहुंच और सामर्थ्य में सुधार करने का प्रयास किया।
वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सिकल सेल रोग के प्रबंधन के लिए हाइड्रोक्सीयूरिया का एक सीरप भी अनुमोदन की प्रक्रिया में है।
भाषा वैभव माधव
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