नई दिल्ली: गुवाहाटी में विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत ने 2011 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए)-नक्सल नेक्सस मामले में भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में गुरुवार को पांच लोगों को दोषी ठहराया है.
दोषी ठहराए गए लोगों की पहचान PLA’s-N के रूप में की गई है. इसमें मणिपुर के दिलीप सिंह, असम के सेंजम धीरेन सिंह और असम के अर्नोल्ड सिंहशामिल है. इंद्रनील चंदा और अमित बागची भी इसमें शामिल है और दोनों पश्चिम बंगाल से हैं और नक्सलियों से उनके संबंध हैं.
अदालत ने व्यापक सुनवाई के बाद बुधवार को मामले में पांचों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 121ए और अधिनियम 1967 की धारा 18, 18ए और 39 के तहत दोषी ठहराया.
एनआईए ने 1 जुलाई, 2011 को इस इनपुट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन पीएलए ने सीपीआई (माओवादी) या नक्सलियों के समर्थन से देश को खतरा पहुंचाने की साजिश रची थी.
एनआईए ने कहा, “सीपीआई (माओवादी) के नेताओं ने एक अलग राष्ट्र के रूप में मणिपुर के पूर्वोत्तर राज्य के निर्माण के लिए पीएलए की अलगाववादी गतिविधियों को पहचानने और समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की थी. पीएलए नेतृत्व ने अपनी ओर से भारत की संवैधानिक रूप से निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए भाकपा (माओवादी) के जारी युद्ध का समर्थन करने का फैसला किया था.”
एजेंसी ने आगे कहा, जांच से पता चला हैं कि पीएलए ने कोलकाता में एक संपर्क कार्यालय स्थापित किया था, जहां पीएलए/आरपीएफ और सीपीआई (माओवादी) नेताओं के बीच बैठक हुई थी.
एएनआई ने कहा कि इन्होंने अपने मीटिंग में साथ मिलकर भारत को बर्बाद करने का प्लान बनाया था.
पीएलए/आरपीएफ प्रशिक्षकों द्वारा सीपीआई (माओवादी) के कैडरों को सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए झारखंड में पीएलए/आरपीएफ और सीपीआई (माओवादी) नेतृत्व के बीच एक द्विदलीय बैठक भी आयोजित की गई थी.
एजेंसी ने कहा, “जांच के दौरान यह भी सामने आया कि पीएलए/आरपीएफ के एसएस अध्यक्ष ने भी सीपीआई (माओवादी) के महासचिव को 6 अप्रैल, 2010 को सुरक्षा बलों पर हमला करने के लिए बधाई दी थी, जिसके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के 76 जवान मारे गए थे.”
जांच से यह भी पता चला है कि पीएलए ने माओवादी कैडरों को लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की थी और दोनों समूह नियमित रूप से संचार और ई-मेल का आदान-प्रदान कर रहे थे.
इन निष्कर्षों के आधार पर, एनआईए ने 21 मई और 16 नवंबर 2012 को और साथ ही 31 जुलाई, 2014 को एनआईए की विशेष अदालत, गुवाहाटी में मामले में चार्जशीट दायर की थी.
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