नई दिल्ली: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने असम के सूचना अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता और किसान नेता अखिल गोगोई पर संशोधित गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है. इससे पहले गुरुवार को उन्हें ऐहतियातन गिरफ्तार कर लिया गया था.
गुवाहाटी के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है. एनआईए ने गोगोई के खिलाफ ताज़ा मामला शनिवार की शाम को दर्ज किया.
इससे पहले अखिल गोगोई को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राज्य में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच जोरहाट ज़िले में हिरासत में लिया गया था.
पुलिस अधिकारी के अनुसार कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के सलाहकार गोगोई ने नए नागरिकता कानून के विरोध में जोरहाट के उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरने में भाग लिया था. बताया गया है कि वह गिरफ्तारी से बचने का प्रयास कर रहे थे और उन्हें पुलिस ने एक स्थानीय वकील के आवास से हिरासत में लिया.
संभव है गोगोई नए संशोधित यूएपीए कानून के तहत आंतकवादी के रूप में मुकदमे का सामना करने वाले पहले व्यक्ति साबित हों.
संशोधित यूएपीए कानून में केंद्र सरकार को वैसे किसी व्यक्ति को ‘आतंकवादी’ करार देने का अधिकार है जिसने कि कोई आतंकवादी कृत्य किया हो या उसे ऐसे कृत्य की योजना बनाते, उसे बढ़ावा देते या उसमें शामिल पाया जाता है.
केंद्र सरकार सरकारी गजट में नोटिफिकेशन के माध्यम से भी किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर उसके नाम को यूएपीए विधेयक की संलग्न पूरक सूची में डाल सकती है. सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किए जाने से पहले संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देने की अनिवार्यता नहीं है.
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एनआईए के सूत्रों के अनुसार गोगोई के खिलाफ ‘राष्ट्र के विरुद्ध युद्ध छेड़ने’, साजिश और दंगे करने के आरोप दर्ज किए गए हैं.
सूत्रों ने कहा, ‘एनआईए ने इस मामले में औपचारिक जांच शुरू करने के बाद गोगोई पर राष्ट्र के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का मामला दर्ज किया है. इस मामले में जांच कार्य औपचारिक रूप से एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया है जो अब इसकी छानबीन करेगी.’
गोगोई की गिरफ्तारी नागरिकता कानून के बढ़ते विरोध के बीच एनआईए के महानिरीक्षक जीपी सिंह को ‘स्थिति संभालने’ के लिए गुवाहाटी भेजे जाने की पृष्ठभूमि में हुई है.
सिंह विगत छह वर्षों से एनआईए में हैं और इससे पूर्व उन्होंने असम समेत पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में 18 वर्षों तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं. शुक्रवार को तत्काल प्रभाव से उन्हें उनके मूल कैडर में वापस भेजते हुए अतिरिक्त महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) के पद पर नियुक्त किया गया था.
सरकार के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त दीपक कुमार को पद से हटाए जाने के बाद सिंह को नई नियुक्ति दी गई है.
लोकप्रिय कार्यकर्ता
अखिल गोगोई पहली बार 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर खबरों की सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने अपने गृह जिले गोलाघाट में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में घोटाले को उजागर किया था.
भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के लिए उन्हें 2008 में षणमुगम मंजूनाथ इंटिग्रिटी अवार्ड प्रदान किया गया था. जबकि 2010 में पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन (पीसीआरएफ) ने उन्हें सूचना के अधिकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था.
इससे पहले 2011 में दिसपुर में गुवाहाटी पहाड़ियों के आसपास कथित बेदखली के खिलाफ भीड़ का नेतृत्व कर कथित रूप से लोगों को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में गोगोई को गिरफ्तार किया गया था. तब प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई थी और 43 लोग घायल हो गए थे. घायलों में से 20 पुलिसकर्मी थे.
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गोगोई 2009 से ही पूर्वोत्तर के राज्यों, खास कर असम और अरुणाचल प्रदेश में बांध परियोजनाओं को बंद कराने की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे हैं.
उनका संगठन केएमएसएस असम-अरुणाचल सीमा पर निर्माणाधीन 2,000 मेगावाट की सुबनसिरी लोअर पनबिजली परियोजना को तत्काल प्रभाव से बंद करने की मांग कर रहा है. केएमएसएस की अरुणाचल प्रदेश में प्रस्तावित सभी 168 बड़ी बांध परियोजनाओं को भी बंद करने की मांग है.
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