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Friday, 19 April, 2024
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी की योगी सरकार से उन्नाव रेप पीड़ित को सुरक्षा देने को कहा

पीड़ित लड़की का आरोप, सरकार उसे और उसके परिवार को परेशान कर रही है. उस पर बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ रेप का मामला वापस लेने का दबाव है.

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नई दिल्लीः राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तर प्रदेश सरकार की उन्नाव रेप पीड़ित को परेशान करने वाली मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि, यह पीड़ित के सम्मान के साथ जीने के अधिकार का गंभीर उल्लंघन है.

पीड़ित ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार उस पर नाबालिग होने के लिए जाली आयु प्रमाण पत्र बनवाने का मामला दर्ज कराने के बाद उसे और उसके परिवार को परेशान कर रही है.

उसने यह भी कहा कि उस पर बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ केस वापस लेने का दबाव है. जो जेल में रहते हुए भी भाजपा में बने हुए हैं.

पीड़ित ने कहा, सरकार की सभी एजेंसियों को हमारे पीछे लगा दिया गया है. हमें हर दिन धमकियां मिल रही हैं और कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ केस वापस लेने को कहा जा रहा है. यकीन नहीं होता कि बलात्कारी इतना ताकतवर है कि वह जेल में रहते हुए कानून से खिलवाड़ कर रहा है.

कुलदीप सिंह सेंगर यूपी विधानसभा में बांगरमऊ से प्रतिनिधित्व करने वाले 4 बार से विधायक हैं, जिन्हें लड़की से उसके घर पर पिछले 4 जून को बलात्कार के आरोप के बाद 13 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था.

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मामला उस समय प्रकाश में आया था, जब लड़की ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के आवास के बाहर न्याय के लिए आत्मदाह का प्रयास किया था. आरोप है कि सेंगर के आदमियों की पिटाई के बाद पुलिस हिरासत में पीड़िता के पिता की मौत हो गई थी.

‘उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें’

एनएचआरसी ने शुक्रवार को निरीक्षण में पाया कि पीड़िता, उसके परिवार के सदस्यों और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.

आयोग ने सरकार से पूछा है कि पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के पहले दिए गये निर्देशों को नजरंदाज किया गया है, अन्यथा उत्पीड़न की हालिया रिपोर्ट सामने नहीं आती. इसलिए आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को इस मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया है और सुनिश्चित करने को कहा है कि आरोपी स्थानीय विधायक द्वारा अपने सहयोगियों से या किसी भी तरह से पीड़ित परिवार का और उत्पीड़न ना हो.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने चीफ सेक्रेटरी और डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजी) से पीड़ित को रोजाना मिलने वाली धमकियों के आरोप की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और चार दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है.

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