नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राजधानी के जनकपुरी निवासियों को ऐसे पानी की आपूर्ति करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड की खिंचाई की है जो पीने योग्य नहीं है।
क्षेत्र के घरों में कथित तौर पर सीवेज-मिश्रित पेयजल की आपूर्ति की जा रही थी।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 14 मई को अपने आदेश में कहा, ‘‘शहर के निवासियों के लिए अनुपयुक्त पेयजल की आपूर्ति बहुत गंभीर मामला है, लेकिन इस गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने इसे ठीक करने के लिए त्वरित कार्रवाई नहीं की और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने अधिकरण के पिछले आदेश के अनुसार पानी के नमूने की रिपोर्ट शीघ्रता से प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए।’’
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी तथा विशेषज्ञ सदस्य अफरोज़ अहमद की पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को क्षेत्र से जल के नमूने एकत्र करने और एक नयी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
अधिकरण ने यह स्पष्ट किया कि जल के नमूने 10 नये और 10 पुराने स्थानों से बिना किसी भी प्राधिकरण, जिसमें दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) भी शामिल है, को सूचना दिए एकत्र किए जाएं। उसने कहा कि साथ ही, इन नमूनों का विश्लेषण शीघ्रता से किया जाए, विशेष रूप से ‘‘फीकल कोलिफॉर्म और ई. कोलाई’’ बैक्टीरिया की जांच के लिए।
अधिकरण ने डीजेबी की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘डीजेबी ने 5 अप्रैल को एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमें यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि क्या कार्रवाई की गई है, लेकिन जब तक संबंधित क्षेत्र के निवासियों को आपूर्ति किया जाने वाला पानी पीने योग्य नहीं पाया जाता, तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि डीजेबी द्वारा पर्याप्त कार्रवाई की गई है।’’
इसके बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने मामले का स्थायी समाधान खोजने के लिए डीजेबी के मुख्य अभियंता को 30 मई को होने वाली अगली सुनवाई में तलब किया।
क्षेत्र के एक रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने एनजीटी का रुख किया है और दावा किया कि खराब पाइपलाइन के कारण पीने के पानी में सीवेज मिल रहा है।
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि प्रदूषित पानी पीने से स्थानीय निवासी बीमार हो रहे हैं और एक निवासी को हेपेटाइटिस ए और ई. कोलाई के संक्रमण की पुष्टि के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
भाषा अमित अविनाश
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