पालघर (महाराष्ट्र), 29 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने महाराष्ट्र के पालघर जिले के तारापुर एमआईडीसी क्षेत्र की लगभग सौ औद्योगिक इकाइयों को साथ मिलकर 186 करोड़ रुपये मुआवजा अदा करने का आदेश दिया है।
एनजीटी ने क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपशिष्ट छोड़ने से जलाशयों को प्रदूषित करने के लिए पर्यावरण मुआवजे के तौर पर उक्त राशि देने का आदेश किया है। एनजीटी ने 24 जनवरी को जारी अपने आदेश में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी फटकार लगाई और कहा कि जलाशयों में प्रदूषण कारक तत्व छोड़ने के अपराध के बावजूद एजेंसी ने धन शोधन कानून के तहत औद्योगिक इकाइयों पर कार्रवाई नहीं की।
एनजीटी ने कहा कि कार्रवाई नहीं किये जाने से इकाइयों को कानून का उल्लंघन करने का प्रोत्साहन मिला। एनजीटी ने कहा कि ईडी धन शोधन निवारण कानून के तहत सीमित दायरे में कार्रवाई कर रही थी जबकि 2013 के संशोधन के बाद इस कानून का दायरा बढ़ गया है।
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के अधिकारियों को लापरवाही के लिए फटकार लगाते हुए एनजीटी ने कहा कि महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) ने भी पाइपलाइन की नियमित सफाई नहीं की जिससे प्रदूषण में वृद्धि हुई। औद्योगिक इकाइयों के अलावा एनजीटी ने तारापुर पर्यावरण सुरक्षा सोसाइटी के केंद्रीकृत ‘ट्रीटमेंट प्लांट’ को भी 91.79 करोड़ रुपए मुआवजा अदा करने का आदेश दिया है।
इसके अलावा एनजीटी ने एमआईडीसी को दो करोड़ रुपये अदा करने का आदेश दिया। मुआवजे की राशि तीन महीने के भीतर एमपीसीबी को सौंपी जाएगी। एनजीटी ने कहा कि इस राशि का उपयोग एक समिति के दिशा निर्देशों के तहत, क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाएगा।
एनजीटी ने अखिल भारतीय मांगेला समाज परिषद की ओर से दायर शिकायत पर 500 पन्नों में आदेश जारी किया। यह आदेश शनिवार को उपलब्ध कराया गया।
भाषा यश आशीष
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