नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्वतीय स्थल मसूरी का विशिष्ट अध्ययन करने का निर्देश जारी करते हुए पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए उपचारात्मक उपाय सुझाने के वास्ते नौ सदस्यीय एक समिति का गठन किया है.
अधिकरण एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें इसने इस मीडिया रिपोर्ट के मद्देनजर स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू की थी कि हाल की जोशीमठ आपदा मसूरी के लिए एक चेतावनी है जहां अनियोजित निर्माण जारी है.
न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों की वहन क्षमता का समग्र अध्ययन पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है.
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल तथा अफरोज अहमद भी शामिल थे.
इसने कहा, ‘सभी पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों में अध्ययन की आवश्यकता को कमतर आंके बिना… हम मसूरी के लिए विशिष्ट अध्ययन का निर्देश देते हैं.’
पीठ ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय संयुक्त समिति का भी गठन किया.
इसने कहा कि समिति पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए उपचारात्मक उपायों का सुझाव दे सकती है. पीठ ने कहा कि समिति किसी अन्य विशेषज्ञ या संस्थान से सहायता मांग सकती है और उसे दो सप्ताह के भीतर बैठक करनी होगी.
हरित अधिकरण ने समिति को दो महीने के भीतर अपना अध्ययन पूरा करने और 30 अप्रैल तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया.
एनजीटी ने मामले में आगे की कार्यवाही के लिए 16 मई की तारीख निर्धारित की.
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