नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उन शर्तों के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समिति का गठन किया है, जिनके पूरा होने पर उत्तराखंड में लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना की अनुमति दी जाएगी।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने जल संसाधन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन किया।
पीठ ने कहा कि हर विशेषज्ञ अपने-अपने क्षेत्र के संबंध में सुझाव देगा, जिन्हें समिति एकत्र करेगी और समिति की बैठक एक महीने के भीतर बुलाई जा सकती है।
उसने कहा, ‘‘उपलब्ध आंकड़ों या आवश्यकता अनुरूप एकत्र किए गए इस प्रकार के अन्य आंकड़ों के मद्देनजर दो महीनों में आगे का अध्ययन पूरा किया जा सकता है।’’
एनजीटी ने कहा कि समिति परियोजना की व्यवहार्यता, पर्यावरण पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को कम करने और निवासियों के पुनर्वास के संबंध में अपनी टिप्पणियां दर्ज कर सकती है। उसने कहा कि जहां तक संभव हो सके, समिति चार महीने के भीतर अपनी कार्यवाही पूरी करेगी और 30 जून, 2022 तक या इससे पहले अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगी।
पर्यावरण कार्यकर्ता मनोज मिश्रा ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना (300 मेगावाट) के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा दी गई पर्यावरण मंजूरी के खिलाफ याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने ये निर्देश दिए।
लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इसके जलाशय में 33 करोड़ घन मीटर जल से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में सिंचाई और पीने के पानी की आपूर्ति की जानी है।
भाषा सिम्मी दिलीप
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