नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर सीबीआई निदेशक की स्थायी नियुक्ति के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ द्वारा दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल दो फरवरी को खत्म होने के बाद सरकार दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापन (डीएसपीई) कानून की धारा चार ए के तहत स्थायी सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करने में नाकाम रही और प्रवीण सिन्हा को अग्रणी जांच एजेंसी का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया.
अधिवक्ता प्रशांत भूषण के जरिए दाखिल याचिका में केंद्र को पद रिक्त होने के कम से कम एक से दो महीने पहले सीबीआई निदेशक के चयन की प्रक्रिया पूरी कर लेने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
याचिका में कहा गया, ‘सीबीआई के निदेशक संस्था में निर्णायक अधिकारी होते हैं. वह सीबीआई में सभी कार्यों का निरीक्षण करते हैं और उन पर मामलों की जांच के लिए टीम गठित करने की जिम्मेदारी भी होती है. इसलिए, इस अदालत और संसद को सीबीआई निदेशक के कामकाज की स्वायत्तता बढ़ाने और इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति के मामले में प्रतिबद्ध प्रयास करने चाहिए.’
याचिका में कहा गया कि कानून का शासन कायम रखने और नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए कानून के मुताबिक स्थायी सीबीआई निदेशक की नियुक्ति जरूरी है.
याचिका में कहा गया कि केंद्र ने सिन्हा को नए निदेशक की नियुक्त होने तक या अगले आदेश तक अंतरिम या कार्यवाहक सीबीआई निदेशक नियुक्त किया है.
इसमें कहा गया है कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक कमेटी की सिफारिश के आधार पर की जाती है जिसमें प्रधानमंत्री, सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और देश के प्रधान न्यायाधीश या सीजेआई द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं.
शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि राज्यों में पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) का कम से कम दो साल का कार्यकाल होना चाहिए भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो.
याचिका में कहा गया, ‘डीजीपी राज्यों में पुलिस बल के प्रमुख होते हैं और सीबीआई अग्रणी केंद्रीय जांच एजेंसी है. मौजूदा कानून के मुताबिक डीजीपी और सीबीआई निदेशक दोनों का न्यूनतम दो साल का कार्यकाल होता है.’
याचिका में कहा गया कि मीडिया की खबरों के मुताबिक केंद्र सरकार ने चयन समिति की बैठक आयोजित नहीं की जबकि उसे अच्छी तरह पता था कि शुक्ला का इस साल दो फरवरी को कार्यकाल खत्म हो रहा है.