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Tuesday, 5 November, 2024
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2020 MBBS बैच के लिए NExT: स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- NMC नई अधिसूचना जारी करें और समस्याओं को ठीक करें

सरकार ने 2019 बैच के एमबीबीएस छात्रों के विरोध को देखते हुए एनएमसी को नेशनल एग्जिट टेस्ट को 2024 से 2025 तक स्थगित करने के लिए कहा है.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को एक नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश देने की योजना बना रही है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि मेडिकल छात्रों के लिए पहला नेशनल एग्जिट टेस्ट (NExT) 2025 में आयोजित किया जाएगा, न कि 2024 में. बता दें कि सरकार पहले इसकी घोषणा जून में की थी. दिप्रिंट को इसकी जानकारी मिली है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी चिकित्सा शिक्षा नियामक एनएमसी से स्पष्ट निर्देश देने और पिछली घोषणा में पाई गई “विसंगतियों” को दूर करने का आग्रह कर रहा है.

स्वास्थ्य मंत्रालय में कार्यरत एक सीनियर अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “यह 2020 एमबीबीएस बैच होगा जो पहला NExT लेगा. इसके अलावा, हम अब एनएमसी को एक नई अधिसूचना जारी करने और उनकी राय जानने और पहले जारी अधिसूचना में मौजूद समस्याओं को ठीक करने के लिए लिख रहे हैं.”

NExT का उद्देश्य चिकित्सा के क्षेत्र में तीन मौजूदा परीक्षाओं को खत्म कर एक एकल योग्यता परीक्षा लाना है. अभी बैचलर ऑफ मेडिसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस), स्नातकोत्तर सीटों के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी-पीजी) और भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा (एफएमजीई), तीनों का अलग अलग आयोजन किया जाता है.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने जून में एक गजट अधिसूचना जारी की थी जिसमें कहा गया था कि NExT 2024 से शुरू की जाएगी. यह साल में दो बार आयोजित की जाएगी, जिसका अर्थ है कि 2019 बैच के एमबीबीएस छात्रों को अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए इसे पास करना होगा.

इस फैसले से 2019 बैच के छात्रों और अभिभावकों के बीच गुस्सा फैल गया. छात्रों और अभिभावकों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की. उन्होंने तर्क दिया कि उनके बैच को NExT के अधीन करना अनुचित था, क्योंकि नेशनल मेडिकल काउंसिल अधिनियम 2019, जिसमें परीक्षण का उल्लेख है, मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने के बाद पारित किया गया था.

हालांकि, पिछले महीने, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में मेडिकल छात्रों के साथ बातचीत के दौरान स्पष्ट रूप से कहा था कि परीक्षा 2024 में आयोजित नहीं की जाएगी और सरकार NExT के संबंध में कोई भी निर्णय लेने से परहेज करेगी. उन्होंने कहा था कि इससे “भ्रम” पैदा हो सकता है.

एनएमसी के प्रवक्ता डॉ. योगेन्द्र मलिक से जब दिप्रिंट ने संपर्क किया तो उन्होंने भी पुष्टि की कि मंत्रालय के निर्देशों के आधार पर 2024 में NExT को स्थगित कर दिया गया है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हम इस मामले में मंत्रालय से आगे के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.”

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उजागर की गईं ‘विसंगतियां’

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार एक नोट, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, जून में एनएमसी द्वारा जारी NExT अधिसूचना में कई समस्याओं पर प्रकाश डालता है.

उदाहरण के लिए, अधिसूचना में संकेत दिया गया कि NExT में बहुविकल्पीय-प्रश्न (MCQ) होंगे. साथ ही उसमें निगेटिव मार्किंग का भी प्रावधान होगा.

मंत्रालय के नोट में बताया गया है कि यह प्रारूप प्रवेश परीक्षा के लिए उपयुक्त हो सकता है लेकिन डिग्री प्रदान करने वाली परीक्षा के लिए नहीं.

मंत्रालय के नोट में कहा गया है, “किसी परीक्षा के लिए जो डिग्री प्रदान करती है, वह ज्ञान की एक सरल परीक्षा होनी चाहिए. एक विशेष प्रवेश परीक्षा के लिए, निगेटिव मार्किंग होना ठीक है, लेकिन अंतिम डिग्री के लिए ली जाने वाली परीक्षा को प्रवेश परीक्षा की तरह लेना कैसे उचित हो सकता है.”

इसके अलावा, नोट में कहा गया है कि अधिसूचना में महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्टता का अभाव है, जैसे कि विश्वविद्यालय परीक्षाओं और पीजी पाठ्यक्रम प्रवेश के लिए पिछली प्रवेश परीक्षाओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना. इसके अलावा मेरिट लिस्ट में रैंक का प्रावधान आदि.

मंत्रालय ने प्रस्तावित मानदंड पर भी सवाल उठाया है कि स्नातकोत्तर (पीजी) प्रवेश के लिए पात्र होने के लिए उम्मीदवारों को एक ही प्रयास में सभी छह पेपरों में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे.

मंत्रालय के नोट में कहा गया है, “प्रैक्टिस के लाइसेंस के लिए, एनएमसी अधिसूचना में कई प्रयास दिए जा सकते हैं. लेकिन मान लीजिए कि कोई उम्मीदवार परीक्षा में असफल हो जाता है, तो अब उसे दो परीक्षाएं देनी होंगी- एक विषय में उत्तीर्ण होने के लिए और दूसरी पीजी प्रवेश के लिए पात्र होने के लिए, क्योंकि इसे एक ही प्रयास में उत्तीर्ण करना होगा. यह काफी तर्कहीन लगता है.”

दिप्रिंट ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत के कार्यालय को फोन से संपर्क किया, लेकिन वह उपलब्ध नहीं थे. उनकी ओर से प्रतिक्रिया मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी.


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‘हम पूरी स्पष्टता चाहते हैं’

जब NExT के लिए जून की अधिसूचना सामने आई, तो छात्रों और उनके माता-पिता ने कई आपत्तियां व्यक्त कीं, जिसमें यह भी शामिल था कि NExT का MCQ प्रारूप रटने को बढ़ावा देगा और इससे कोचिंग कल्चर में वृद्धि होगी.

उन्होंने यह भी बताया कि परीक्षा में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के किसी भी खंड से प्रश्न शामिल होंगे. इसके विपरीत, 4.5-वर्षीय एमबीबीएस पाठ्यक्रम (इंटर्नशिप को छोड़कर) में अंतिम वर्ष में छात्र प्रैक्टिस में लगते हैं जो पूरी तरह से अंतिम वर्ष के पाठ्यक्रम को कवर करती है.

कुछ अभिभावकों ने यह दावा करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया कि 2019 एमबीबीएस बैच को NExT के लिए रोकना एनएमसी अधिनियम का उल्लंघन है.

राजस्थान के निवासी और एक एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र के पिता डॉ. राज शेखर यादव ने पिछले महीने दिप्रिंट को बताया था, “2019 बैच पर NExT लगाना एनएमसी अधिनियम के खंड 49 का उल्लंघन है, क्योंकि 2019 बैच 1 अगस्त, 2019 को शुरू हुआ था, जबकि एनएमसी अधिनियम उस वर्ष महीने की 8 तारीख को प्रकाशित हुआ था और सितंबर 2020 में लागू हुआ था.”

एनएमसी अधिनियम का खंड 49 बताता है कि जिन छात्रों को इसके लागू होने से पहले प्रवेश दिया गया था, वे पिछले भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम के पाठ्यक्रम और नियमों का पालन करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे.

छात्रों द्वारा उठाई गई चिंता के जवाब में, स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले NExT अधिसूचना वापस ले ली.

हालांकि, छात्र अभी भी इस मामले पर स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में छात्रों के लिए केस लड़ने वाली डॉ. प्रीति गुप्ता ने दिप्रिंट से कहा, “मंत्री के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 2019 बैच को NExT को अंदर नहीं रखा जाएगा. लेकिन हम एनएमसी से जल्द से जल्द इस मामले पर पूरी स्पष्टता चाहते हैं.”

उन्होंने कहा, “अंतिम वर्ष के छात्रों को अभी भी नहीं पता है कि उनकी योग्यता परीक्षा किस पैटर्न में आयोजित की जाएगी.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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