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Sunday, 22 December, 2024
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फास्ट रेडियो बर्स्ट्स वाले ब्रह्मांडीय रहस्य के बारे में नयी इनसाइट प्रदान करता है तीन अरब लाइट ईयर दूर से मिला एक नया संकेत

फास्ट रेडियो बर्स्ट्स ब्रह्मांड की सबसे ऊर्जावान घटनाओं में से एक हैं, जो केवल कुछ ही मिलीसेकंड तक घटित होती हैं. खगोलविदों के एक अंतरराष्ट्रीय दल द्वारा प्राप्त किए गये नये निष्कर्षों को वैज्ञानिक पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित किया गया है.

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बेंगलुरू: चीन के पांच सौ मीटर आकार वाले अपर्चर स्फेरिकल रेडियो टेलीस्कोप (फास्ट) पर काम कर रहे खगोलविदों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने असामान्य प्रकृति वाले एक नए फास्ट रेडियो बर्स्ट (एफआरबी) का पता लगाया है.

यह बार-बार दोहराया जाने वाला संकेत (सिग्नल) के एक स्थायी स्रोत के साथ है और उससे जुड़ा हुआ भी है, जिसके कारण इस स्थान से लगातार रेडियो आवृत्ति उत्सर्जित हो रही है. इस विश्लेषण और इसके फॉलो-अप टिप्पणियों को इस सप्ताह वैज्ञानिक पत्रिका ‘नेचर’ में एक पेपर के रूप में प्रकाशित किया गया है .

मानक परिपाटी के अनुसार इस का सिग्नल का नाम एफआरबी 190520 बी रखा गया है और यह 3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक बौनी आकाशगंगा से उत्सर्जित किया जा रहा है. इसके संबंध में निकाले गये निष्कर्ष 2012 में पहले दर्ज किए गए एक एफआरबी के अवलोकन से प्राप्त निष्कर्षों की अनुकृति (मिरर इमेज) जैसे ही हैं.

यह खोज फास्ट रेडियो बर्स्ट के गठन और विकास के संबंध में अंतर्दृष्टि (इनसाइट) प्रदान करती है, जो कि ब्रह्मांड की कुछ सबसे अत्यंत ऊर्जावान घटनाओं में से एक हैं और जो केवल कुछ ही मिलीसेकंड तक ही घटती हैं.


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फास्ट रेडियो बर्स्ट और रिपीटर्स

फास्ट रेडियो बर्स्ट का पहली बार 2007 में पता चला था, और तब से इन्हें सैकड़ों बार देखा जा चुका है वे उच्च-ऊर्जा वाली घटनाएं हैं, जो रेडियो पल्स के फटने के रूप में विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का उत्सर्जन करती हैं. ये एक मिलीसेकंड के छोटे से अंश से लेकर कुछ मिलीसेकंड तक के अंतराल के लिए बने रहते हैं. प्रत्येक स्पंदन अथवा पल्स के दौरान स्रोत उतनी ही ऊर्जा का उत्सर्जन कर सकता है, जितनी हमारा सूर्य एक महीने में करता है.

एफआरबी ब्रह्मांड में होने वाली विस्फोटक घटनाओं, जैसे कि सुपरनोवा या न्यूट्रॉन स्टार और ब्लैक होल जैसी दो कॉम्पैक्ट (संकुचित) वस्तुओं की टक्कर से पैदा होते हैं. इस तरह के बर्स्ट आमतौर पर केवल एक बार ही क्षणिक चकाचौंध (फ़्लैश) के रूप में प्रकट होते हैं और फिर कभी नहीं देखे जाते. अधिकांश एफआरबी इसी तरह के होते हैं.

साल में एक या दो बार, खगोलविद इसके बार-बार फटने की घटना भी देखते हैं, जहां संकेत एक निश्चित आवृत्ति के साथ खास समयांतराल के दौरान घंटों से लेकर दिनों तक, कभी-कभी महीनों की अवधि में भी, उत्पन्न होते हैं.

माना जाता है कि इस तरह के संकेतों को आमतौर पर मैग्नेटर्स द्वारा उत्पादित किया जाता है. मैग्नेटर्स तेजी से घूमते हुए न्यूट्रॉन तारे होते हैं जो खुद किसी ऐसे मृत सितारे के बेहद घने अवशेष होते जो पहले एक सुपरनोवा रूप में विस्फोटित हो गया हो.

नया संकेत एक दोहराव वाला संकेत है जो पृथ्वी से तीन अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक ड्वॉर्फ गॅलक्सी (बौनी आकाशगंगा) में स्थित एक मैग्नेटार द्वारा उत्पन्न किया जा रहा है.

इस सिग्नल को पहली बार 20 मई, 2019 को देखा गया था. इसके पहले 24 सेकंड के भीतर चार बार फटने का पता चला था, और उसके बाद हर महीने फॉलो-अप ऑब्ज़र्वेशन्स (अनुवर्ती अवलोकनों) में देखा गया था. साल 2020 के मध्य में, 19 घंटे से भी कम समय में इसके 75 बार फटने का पता चला.

बार-बार दोहराए जाने वाले सिग्नल के साथ ही वैज्ञानिकों ने इसके स्रोत वाले स्थान से रेडियो तरंगों के लगातार कमजोर और अस्पष्ट उत्सर्जन को भी देखा है, जिससे यह एफआरबी सिग्नल अत्यधिक असामान्य हो गया है.

यही प्रभाव पहले 2012 के एफआरबी 121102 में देखा गया था, जिसके बारे में अंततः एक न्यूट्रॉन स्टार, या एक ऐसे मैग्नेटार से जुड़े होने का सिद्धांत दिया गया था, जो एक ब्लैक होल जैसे शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र के पास है, या फिर किसी नेबुला तारों- के बीच स्थित घूमता हुआ धूल और गैस का रंगीन बादल – भीतर सन्निहित (एंबेडेड) मैग्नेटार से जुड़ा है.

वर्तमान सिग्नल ‘एक संकुचित, दीर्घस्थायी रेडियो स्रोत के साथ सह-आवस्थित (को-लोकेटेड) है और तारों के निर्माण की उच्च दर वाली एक ड्वॉर्फ गॅलक्सी के साथ जुड़ा हुआ है. यह 2020 वाले 20201124ए नामक सिग्नल के जैसा ही है, जो एक तारों के निर्माण वाले क्षेत्र में रेडियो उत्सर्जन के अन्य स्रोतों के साथ मौजूद था.

हालांकि, एफआरबी 121102 कई महीनों के लिए ‘बंद’, मौन हो जाता था और फिर इसमें एक बार फिर से गतिविधि शुरू हो जाती थी, वर्तमान सिग्नल, एफआरबी 190520बी, एकमात्र ऐसा स्रोत है जो निरंतर और लगातार रूप से सक्रिय होने के लिए जाना जाता है.

इसके अलावा, एफआरबी 190520बी के संकेत को इसके उत्सर्जन बिंदु वाले स्रोत से प्लाज्मा डिसपरषन नामक एक घुमावदार विरूपण (ट्विस्टिंग डिस्टॉर्षन) से गुजरते हुए भी देखा गया था. ऐसा प्रभाव तब होता है जब कोई सिग्नल किसी मजबूत चुंबकीय क्षेत्र के तहत सुपरहिटेड (अत्यधिक गर्म) प्लाज्मा से होकर गुजरता है.

चूंकि इस तरह के गर्म प्लाज्मा आमतौर पर सुपरनोवा विस्फोटों में ही उत्पन्न होते हैं, इसलिए खगोलविदों ने निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान एफआरबी स्रोत अभी भी अपने स्वयं के पूर्वज तारे के अवशेषों में एंबेडेड है,और सुपरनोवा विस्फोट के बाद बची शेष सामग्री के साफ हुए बिना अपने जन्म के वातावरण में ही स्थित है.

इससे प्राप्त इनसाइट और आगे के सवालात

ये अवलोकन सबसे कम समझी जा सकी खगोलीय घटनाओं में से एक, यानी कि एफआरबी, के बारे में नयी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं.

चूंकि अधिकांश एफआरबी क्षणिक होते हैं इसलिए उनका अध्ययन करना और उनके बारे में भविष्यवाणी करना कठिन है. बार-बार होने वाले ब्रस्ट्स के बीच भी इसके स्रोतों का ठीक-ठीक पता लगाना काफ़ी कठिन होता है, और केवल कुछ ही को मैग्नेटर्स से निकलने के रूप में पहचाना जा सका है.

अधिकांश एफआरबी हमारी आकाशगंगा के बाहर उत्पन्न होते हैं. ‘मिल्की वे ‘ के भीतर केवल एक ही ऐसी घटना देखी गयी है जो पहले से ज्ञात एक मैग्नेटरसे जुड़ा पाया गया है.

नए निष्कर्ष एक नए परिदृश्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो अब दो मामलों में देखा गया है, जहां एक एफआरबी किसी स्थायी रेडियो स्रोत के साथ सह-अस्तित्व में है. खगोलविद अनुमान लगा रहे हैं कि जब प्लाज्मा और आसपास की सामग्री साफ हो जाती है, तो लगातार उत्पन्न होने वाले संकेत के गायब हो जाने की संभावना है.

हालांकि, एक तरफ जहां ये निष्कर्ष नए सुराग प्रदान करते हैं, वहीं ये और भी कई सवाल उठाते हैं जैसे कि लगातार रेडियो स्रोतों के साथ एफआरबी कितनी बार सह-अस्तित्व में होते हैं, और इस तरह के संयोजन कैसे और कब पाए जा सकते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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