नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में किसी भी नए मदरसे को अब सरकारी अनुदान नहीं मिलेगा. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली मंत्रिमंडल ने यह फैसला किया है. हालांकि पहले से जिन मदरसों को अनुदान मिलता था उन्हें ये मिलता रहेगा.
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला किया गया है.
उन्होंने बताया कि अब प्रदेश के किसी भी अन्य मदरसे को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया जाएगा लेकिन जिन मदरसों को वर्तमान में सरकारी अनुदान प्राप्त हो रहा है उन्हें यह मिलता रहेगा.
अंसारी ने बताया कि प्रदेश में इस वक्त 560 मदरसों को सरकारी अनुदान मिल रहा है. यह एक बड़ा ढांचा है. पहले उसे बेहतर बनाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘सरकार का ध्यान मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर है इसलिए अब इस सूची में किसी नये मदरसे को शामिल नहीं किया जाएगा.’
इस सवाल पर कि क्या भविष्य में इस रोक को हटाया भी जा सकता है, अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री ने कहा, ‘अभी तो यही है, बाद की बाद में देखी जाएगी.’
बता दें कि समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान अरबी-फारसी मदरसों में से 2003 तक के आलिया स्तर के मदरसों को अनुदान देने का फैसला किया था. सपा सरकार के दौरान 100 मदरसों को इस सूची में शामिल किया था लेकिन मौजूदा फैसले के बाद सपा सरकार की नीति समाप्त कर दी गई है.
गौरतलब है कि राज्य में कुल 16461 मदरसे हैं, जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान प्राप्त हो रहा है.
इस बीच, राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने मदरसों को अनाप-शनाप मान्यता देकर उन्हें अनुदान सूची में शामिल किया, मगर वे गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं दे पा रहे थे.
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सपा और बसपा की सरकारों ने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए उनके मदरसों को अनुदान सूची में शामिल किया, मगर इससे मदरसा शिक्षा का कोई भला नहीं हुआ.
बीते महीने मदरसों में राष्ट्रगान को भी अनिवार्य किया गया था.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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