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Monday, 23 December, 2024
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साइबर अपराध से निपटने के लिए नए कानूनी ढांचे की जरूरत : वैष्णव

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नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को नए ‘गतिशील’ कानूनी ढांचे का आह्वान किया जो निजता और अभिव्यक्ति की आजादी के साथ संतुलित होने के साथ-साथ साइबर जगत के अनैतिक तत्वों की चुनौती से निपटने के लिए विनियमन की मांग को भी पूरी करे।

सीबीआई द्वारा साइबर अपराध जांच और डिजिटल फॉरेंसिक पर आयोजित दूसरे सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि गत सालों में प्रौद्योगिकी ने बहुत उत्पादकता, कुशलता और सहूलियत दी है लेकिन इसके साथ ही इसने लोगों की जिंदगी में अतिक्रमण भी किया है जो अधिकतर समय हानिकारक और फर्जीवाड़ा करने के लक्ष्य लिए होती है।

उन्होंने कहा कि इस समस्या से कानूनी रणनीति, प्रौद्योगिकी, संगठन, क्षमता निर्माण और आपसी सहयोग से निपटा जा सकता है।

साइबर अपराध का मुकाबला करने के लिए कानूनी रणनीति के बारे में वैष्णव ने कहा कि देश को बड़े पैमाने पर कानूनी ढांचे में बदलाव करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं मानता कि कोई क्रमिक बदलाव मददगार होगा। बदलाव पर्याप्त, महत्वपूर्ण, मौलिक और ढांचागत करना होगा।’’

वैष्णव ने कहा कि पूरा संघर्ष दो पहलुओं के बीच है। पहला पहलु निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का है जबकि दूसरा पहलु विनियमन और नियंत्रण की मांग है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य ‘‘निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंतत्रा की आड़ में फर्जीवाड़ा करने की गतिविधियों को रोकना है।’’

मंत्री ने कहा कि समाज का एक धड़ा कहता है कि निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार अक्षुण्ण है और किसी को भी इसमें आने की अनुमति नहीं दी जा सकती जबकि दूसरा धड़ा नियमन और नियंत्रण की मांग कर रहा है और समाज के इन दोनों मांग में संतुलन होना चाहिए।

वैष्णव ने कहा कि कोविड-19 महामारी के उपरांत और कोविड-19 के दौरान दुनिया में मौलिक बदलाव आया है और सोचने का तरीका बदल गया है और अब समाजों के विचार करने की प्रक्रिया में संतुलन आ रहा है।

उन्होंने दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूरोपीय संघ का हवाला देते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर आज कानूनी और सामाजिक हस्तक्षेप हो रहा है जो वास्तव में एक तरफ निजता के अधिकार और दूसरी तरफ नियमन की जरूरत के बीच संतुलन की कोशिश है।

वैष्णव ने कहा, ‘‘ भारत में भी हम सामाजिक स्तर पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह हो रहा है। हाल में कई बार संसद में विपक्ष जो सरकार द्वारा लोगों की जिंदगी में अतिक्रमण को लेकर मुखर रहा है, जिसका यह मूल आरोप रहा है, आज मांग कर रहा है कि हमें और नियमन की जरूरत है। हमें और नियंत्रण चाहिए। हमें ऐसा कानूनी ढांचा चाहिए जिसमें लोगों की निजता के साथ-साथ लोगों की शांतिपूर्ण तरीके से रहने के अधिकार की रक्षा की जा सके। इसलिए सहमति बन रही है। यह हमारे देश को गति देगा और साथ ही नए कानूनी ढांचे की ओर ले जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि कानूनी ढांचा पूरी तरह से नया ढांचा होना चाहिए जो गतिशील हो और समय के साथ कदमताल कर सके जो हमारी पीढ़ियों की आकांक्षाओं को पूरा करे, साथ ही साथ जैसा लोग कहते हैं कि सोशल मीडिया जवाबदेह हो और उन लोगों को दूर रखे जो गाढी कमाई को ठगना चाहते हैं।

वैष्णव ने कहा, ‘‘यह सभी एक बड़े नियामक ढांचे का हिस्सा है जिसके लिए आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है।

इस मौके पर मंत्री ने सीबीआई के 12 अधिकारियों को सराहनीय सेवा पदक से और दो अधिकारियों को असाधारण आसूचना पदक से सम्मानित किया।

भाषा धीरज उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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