scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशनई J&K औद्योगिक नीति लाने की तैयारी, 2022 तक 35,000 करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य

नई J&K औद्योगिक नीति लाने की तैयारी, 2022 तक 35,000 करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य

जम्मू-कश्मीर औद्योगिक नीति एक ‘दो वर्षीय योजना’ से पहले लाई जा रही है जिसे उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के ऑफिस ने केंद्र से परामर्श के बाद डिज़ाइन किया है.

Text Size:

श्रीनगर: नरेंद्र मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के लिए एक नई औद्योगिक नीति लाने के लिए पूरी तरह तैयार है जिसका मकसद अगले दो सालों में उद्योग विकसित कर और केंद्र-शासित क्षेत्र में बड़े निवेश लाकर, इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है. दिप्रिंट को ये जानकारी केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन के शीर्ष सूत्रों ने दी है.

नीति का मसौदा उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा की अगुवाई में, यूटी प्रशासन के परामर्श से तैयार किया गया है और अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय कैबिनेट जल्द ही इसे मंज़ूरी देने वाली है. उन्होंने बताया कि सरकार का उद्देश्य अगले दो सालों में जम्मू-कश्मीर में 30,000-35,000 करोड़ रुपए का निवेश लाना है.

अधिकारियों ने कहा कि नयी औद्योगिक नीति के अंतर्गत, निवेशकों को पेश की जाने वाली सब्सिडी को, ज़मीनी स्तर पर परियोजना की प्रगति से जोड़ा जाएगा. नीति में ज़मीन की बिक्री और किराए, पट्टे या संपत्ति की किराएदारी से जुड़े मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि अंबानी, टाटा समूह और हिंदुजा समूह जैसे शीर्ष उद्योगपतियों के प्रतिनिधियों ने, प्रशासन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ खास बैठकें की हैं और कुछ परियोजनाओं पर काम शुरू भी हो चुका है.

इन परियोजनाओं में दो कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं- बारामूला और जम्मू में- जो टाटा समूह की पहल है. इसी तरह हिंदूजा समूह की एक कंपनी अशोक लीलैंड, रियायती दरों पर सेमी-कमर्शियल वाहन मुहैया कराने के लिए, यूटी प्रशासन के साथ साझेदारी कर रही है और जम्मू-कश्मीर में रोज़गार और उद्यम को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के साथ सहयोग कर रही है.

हालांकि निवेश राशि का इस्तेमाल, जम्मू-कश्मीर के सभी आर्थिक क्षेत्रों के विकास के लिए होगा लेकिन सूत्रों ने कहा कि क्षेत्र के बागवानी उद्योग को खास तौर से बढ़ावा दिया जाएगा.

यूटी में करीब 33 लाख लोग या 7 लाख परिवार, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से फल व्यवसाय में लगे हैं, जो जम्मू-कश्मीर के बागवानी क्षेत्र का एक प्रमुख हिस्सा है.


यह भी पढ़ें: ओलंपिक कांस्य पदक विजेता और विश्व कप चैंपियन हॉकी खिलाड़ी माइकल किंडो का 73 वर्ष की उम्र में निधन


निवेश

अधिक बिजली की मांग के मद्देनज़र, केंद्रीय बिजली मंत्री 3 जनवरी को जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे, जहां वो नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन के साथ, तीन समझौता ज्ञापनों पर दस्तखत करेंगे, जिनके तहत परियोजनाओं से 3000 मेगावॉट से अधिक अतिरिक्त बिजली पैदा की जाएगी. एलजी मनोज सिन्हा ने ऐलान किया है कि 2024 तक जम्मू-कश्मीर, आवश्यकता से अधिक बिजली पैदा करने वाला क्षेत्र बन जाएगा.

नवंबर में स्टॉक एक्सचेंज बीएसई लिमिटेड ने, जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ चार समझौता ज्ञापन साइन किए, जिनका उद्देश्य वित्तीय जागरूकता फैलाना, आर्थिक विकास की हिमायत करना और क्षेत्र के युवाओं की स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना है.

अक्टूबर में सरकार ने ऑनलाइन रिटेलर फ्लिपकार्ट के साथ एक समझौता किया जिससे कि स्थानीय कारीगर और शिल्पकार, दुनिया भर के ग्राहकों तक पहुंच सकें.

कश्मीर मैं पैदा होने वाली ज़ाफरान को भी, इस साल जुलाई में जीआई टैग दिया गया ताकि घाटी के इस अनोखे उत्पाद को दुनिया के नक्शे पर लाया जा सके.


यह भी पढ़ें: आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप, पाक अदालत ने पूर्व विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ को 14 दिनों की हिरासत में भेजा


भूमि हस्तांतरण

सूत्रों ने ये भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में फैली 6,000 एकड़ से अधिक ज़मीन, नए उद्योगों को बसाने में इस्तेमाल की जाएगी जिसमें से 3,000 एकड़ यूटी के राजस्व विभाग से, पहले ही अधिग्रहीत की जा चुकी है.

कश्मीर में, देश के बाकी हिस्सों और दुनिया भर से संभावित निवेशकों आकर्षित करने के लिए सरकार ने 500 एकड़ से अधिक ज़मीन को विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने, नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘500 एकड़ हस्तांतरित ज़मीन पर, जो घाटी के दस ज़िलों में अलग अलग जगह स्थित है, विकास कार्य शुरू हो चुका है और जम्मू-कश्मीर सरकार अब चेन लिंक से उस जगह की हदबंदी कर रही है जिसे वो विकसित करना चाहती है’.

सूत्रों ने कहा कि इन कार्यों में ज़मीनों की सुसंगतता, ‘आंकलन’ और ‘वहां से अवैध ढांचे हटाना’ शामिल है.

6,000 हज़ार एकड़ सरकारी ज़मीन, जिसे प्रशासन संभावित निवेशकों के लिए विकसित करना चाहता है, नई औद्योगिक नीति के प्रावधानों के हिसाब से, या तो किराए अथवा लीज़ पर दी जाएगी या उसे दुनिया भर के निवेशकों को बेच दिया जाएगा, जैसा कि दिप्रिंट ने 29 जनवरी 2020 को खबर दी थी.

विकसित ज़मीन को अलग-अलग क्षेत्रों को आवंटित किया जाएगा, जिनमें फूड प्रोसेसिंग, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी और पशु पालन आदि शामिल हैं.

सूत्रों ने कहा कि सरकार पहले ही, ऐसी 25 निजी कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापनों पर दस्तखत कर चुकी है, जो अलग अलग व्यवसायिक क्षेत्रों, जैसे प्लाईवुड्स, होटल्स, अस्पताल, कंट्रोल एटमस्फियर (सीए) स्टोर्स, ऊन, वगैरह में काम करती हैं. ये परियोजनाएं 1,000 करोड़ मूल्य की हैं.


यह भी पढ़ें: दुनिया के नेताओं में मोदी सबसे अधिक 55% स्वीकार्य : डाटा फर्म का सर्वे


बाहर से रूचि आकर्षित करना

अधिकारियों ने कहा कि अभी तक, जम्मू-कश्मीर सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य निदेशालय को जो कुल निवेश मिले हैं, वो स्थानीय व्यवसायों से हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन अब हम प्रगति कर रहे हैं. बहुत से निवेशकों ने जम्मू-कश्मीर में कारोबार करने में रूचि दिखाई है. एक बार औद्योगिक नीति आ जाए, तो फिर संभावित निवेशकों के साथ जो बातचीत हम कर रहे हैं, वो और तेज़ी से आगे बढ़ेगी’.

अधिकारियों ने ये भी कहा कि अक्टूबर में, दो दर्जन से अधिक भारतीय कारोबारी घरानों के प्रमुखों ने युवाओं के लिए आउटरीच की पहल के हिस्से के तौर पर घाटी का दौरा किया था.

सूत्रों के मुताबिक, नीति की एक मुख्य विशेषता होगी दो ज़ोन्स की स्थापना- ए तथा बी. ए ज़ोन शहरी सीमाओं के अंदर होगी, जबकि बी ज़ोन शहर की सीमाओं के बाहर होगी. ज़ोन ए में उद्योग लगाने के लिए दिया जाने वाला प्रोत्साहन, ज़ोन बी की अपेक्षा अधिक होगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: 4 मई से 10 जून तक होगी CBSE बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं, रिजल्ट 15 जुलाई तक : शिक्षा मंत्री


 

share & View comments