नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित तौर पर आयकर विभाग के अपीलीय न्यायाधिकरण में एक बिल्डर की किसी मामले में जीत सुनिश्चित करने के वास्ते उसे गोपनीय जानकारी देकर मदद करने और बदले में सस्ती दर पर जमीन हासिल करने के आरोप में आयकर विभाग के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त संतोष करनानी के खिलाफ रिश्वत लेने का नया मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
प्राथमिकी के मुताबिक सीबीआई को कथित भ्रष्टाचार की जानकारी अहमदाबाद में रहने वाले संतोष करनानी के दो फोन की फॉरेंसिक जांच से मिली जिन्हें उन्होंने अपने सहकर्मी और सह-आरोपी विवेक जौहरी को गुजरात भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी-गुजरात)द्वारा जाल बिछाकर की गई कार्रवाई से बचने के मकसद से ठिकाने लगाने के लिए दिया था।
उन्होंने बताया कि अहदामाबाद में पदस्थ जौहरी को 30 लाख रुपये की रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में करनानी मुख्य आरोपी हैं।
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया, ‘‘आरोप है कि जब एसीबी-गुजरात की टीम आयकर विभाग के अतिरिक्त आयुक्त कार्यालय पहुंची तब वह जाल बिछाकर की जा रही कार्रवाई के दौरान हंगामा कर फरार होने में सफल रहे।’’
एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने 12 अक्टूबर 2022 को मामले की जांच एसीबी से अपने हाथ में ले ली और करीब छह महीने की कोशिश के बाद सोनार प्रौद्योगिकी की मदद से दोनों फोन साबरमती नदी से बरामद किए।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि नदी से प्राप्त फोन की फॉरेंसिक जांच से पता चला कि करनानी या उनके परिवार के सदस्यों की निजी कंपनियों और उनसे जुड़े लोगों से किस तरह की साठगांठ थी।
प्राथमिकी के मुताबिक सीबीआई को करनानी और श्री कन्हाई रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक इलेश कुमार शाह के बीच व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत की जानकारी मिली जिससे पता चलता है कि बिल्डर अधिकारी की पत्नी आरती करनानी के नाम पर 2,428 वर्ग मीटर जमीन के करार को लेकर बातचीत कर रहा था।
प्राथमिकी में कहा गया, ‘‘व्हाट्सऐप चैट की जांच से पता लगा कि 2,428 वर्ग मीटर गैर कृषि भूमि करनानी की पत्नी आरती करनानी के नाम पर करीब 40 लाख रुपये में हस्तांतरित की गई…जबकि कन्हाई रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक ने बताया कि उक्त जमीन की कीमत 3.5 करोड़ रुपये थी।’’
एजेंसी ने आरोप लगाया कि करनानी ने आयकर विभाग के खिलाफ राय देकर और शाह को आयकर विभाग अपीलीय न्यायाधिकरण में अनुकूल फैसला प्राप्त करने में मदद कर कथित तौर पर अपने पद का दुरुपयोग किया।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया, ‘‘आरोपी संतोष करनानी ने न केवल इलेश शाह को व्यक्तिगत तौर पर सलाह दी बल्कि वकील से भी बात की और मामले में आने वाले पेंच पर चर्चा की जिससे आयकर विभाग न्यायाधिकरण में मुकदमा हार गया।’’
भाषा धीरज वैभव
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