नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के अनुसंधानकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित एक ‘टूल’ विकसित किया है जो तंत्रिका तंत्र से जुड़े विकार ‘कार्पेल टनल सिंड्रोम’ (सीटीएस) का पता लगा सकता है।
आईआईएससी के अनुसंधानकर्ताओं ने एस्टर-सीएमआई अस्पताल, बेंगलुरु के साथ साझेदारी में यह ‘टूल’ विकसित किया है जो अल्ट्रासाउंड वीडियो में ‘मीडियन’ तंत्रिका का पता लगाकर सीटीएस की पहचान करता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि हाथ में बांह के अगले हिस्से से जाने वाली ‘मीडियन नर्व’ जब कलाई के ‘कार्पेल टनल’ हिस्से में दब जाती है तो सुन्नपन, सिहरन और दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं।
उन्होंने कहा कि यह तंत्रिका तंत्र से संबंधित आम विकार है और विशेष रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जो हाथ से लंबे समय तक काम करते हैं। इनमें कीबोर्ड पर काम करने वाले दफ्तरों के कर्मचारी, बढ़ई, वायलिन वादक, संगीतकार और खिलाड़ी आदि शामिल हैं।
वर्तमान में ‘मीडियन नर्व’ का पता लगाने और इसके आकार को मापने के लिए अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है।
आईआईएससी में एमटेक के पूर्व विद्यार्थी करण आर गुजराती ने कहा, ‘‘एक्स-रे और एमआरआई स्कैन के विपरीत अल्ट्रासाउंड की तस्वीरों तथा वीडियो का अध्ययन करना कठिन होता है।’’
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