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Thursday, 19 December, 2024
होमएजुकेशनमोदी सरकार के सामने नई चुनौतियों में शामिल है नया एकेडमिक कैलेंडर, छुट्टियां और कॉलेज परीक्षाओं की तैयारी

मोदी सरकार के सामने नई चुनौतियों में शामिल है नया एकेडमिक कैलेंडर, छुट्टियां और कॉलेज परीक्षाओं की तैयारी

इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार उच्च शिक्षा से जुड़े एक आकस्मिक योजना पर काम कर रही है. इस प्लान की घोषणा 14 अप्रैल के बाद होने की संभावना है.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस की वजह से एकेडमिक कैलेंडर का बंटाधार हो गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार उच्च शिक्षा जगह से जुड़े एक आकस्मिक योजना पर काम कर रही है.

इस प्लान की घोषणा 14 अप्रैल के बाद होने की संभावना है. प्लान में वैकल्पिक एकेडमिक कैलेंडर के शामिल होने के अलावा कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए परीक्षा लेने के तरीके और छुट्टी के अलावा नतीजों के घोषणा के लिए नए शेड्यूल के होने की संभावना है.

इसके अलावा प्लान में छात्रों के लिए करियर के संभावनाओं से जुड़े सलाह को भी शामिल किया जाएगा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छह अप्रैल को इन योजनाओं को बनाने के लिए सात सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी.

कमेटी के प्रमुख हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी आरसी कुहद हैं. अन्य सदस्यों में वनस्थली विद्यापीठ के वीसी, पंजाब यूनिवर्सिटी और श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय के वीसी, इंटर यूनिवर्सिटी एक्सीलेरेटर सेंटर के निदेशक और यूजीसी के दो सह-सचिव शामिल हैं.

यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमारे सामने एक विषम परिस्थिति है और किसी को नहीं पता की कॉलेज और यूनिवर्सिटी कब खुलेंगे. ऐसे में एक वैकल्पिक योजना होना ज़रूरी है. उच्च शिक्षा से जुड़े सभी मामलों से जुड़ी एक कमेटी बनाई गई है.’

उन्होंने कहा कि ये कमेटी कई मुद्दों को देखेगी जिनमें वैकल्पिक एकेडमिक कैलेंडर, वर्तमान परिस्थिति में परीक्षा कराने और नतीजे देने की संभावना जैसी बातें शामिल हैं. कमेटी के सदस्य अनुभवी एकेडमिशियन हैं और ऐसी संभावना है कि ये लोग सभी मामलों से जुड़े सबसे बेहतरीन हल देंगे.

कमेटी मौजूदा विकल्पों पर ध्यान दे रही है

सचिव ने कहा कि कमेटी मौजूदा विकल्पों पर ध्यान दे रही है जैसे की यूजीसी के कई नियम और विधान और इस पर भी ग़ौर किया जा रहा है कि इन्हें वर्तमान परिस्थिति में कैसे लागू किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी प्राथमिकता समय से परीक्षा करवाना और एकेडमिक सत्र समय से शुरू करवाना है ताकि छात्रों को किसी तरह का नुक़सान न हो. कमेटी उन मौजूदा नियमों और तरीक़ों पर ध्यान दे रही है ताकि इनका इस्तेमाल करके चीज़ें की जा सकें.
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा छात्रों के करियर और इंटर्नशिप पर भी ध्यान देने का काम करना है, ऐसा न हो कि लॉकडाउन की वजह से ये प्रभावित हो जाएं.
कोरोना महामारी से करियर पर पड़ने वाला प्रभाव साफ़ है, जिसके तहत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलजी (आईआईटी) और आईआईएम अपने यहां से नौकरी देने वालों द्वारा कदम पीछे खींचे जाने की स्थिति से निपटने की तैयारी कर रहे हैं. एक अमेरिकी कंपनी द्वाका नौकरी और इंटर्नशिप के ऑफ़र वापस लिए जाने के बाद ये तैयारियां की गईं.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय को 13 अप्रैल को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसमें सरकार को इस महामारी से पैदा हुए हालात से जुड़े कई रास्ते सुझाए जाएंगे और बताया जाएगा कि ऐसी विषम परिस्थितियों में क्या-क्या किया जा सकता है और ऐसी संभावना है कि इसके बाद किसी योजना की घोषणा की जाए.
पीएम नरेंद्र मोदी ने जो 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की उसकी वजह से 24 मार्च से जो परीक्षाएं होनी थीं. उन्हें रद्द करना पड़ा. आमतौर पर उच्च शिक्षा के ज़्यादातर संस्थानों में मार्च-अप्रैल परीक्षा का समय होता है, और इनमें से कुछ अपने सिलेबस का छुट गया हिस्सा भी इसी समय पूरा करते हैं.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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