नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने सभी डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को, जिनमें न्यूज़ मीडिया और ऑनलाइन क्यूरेट किए गए सामग्री प्रदाता (ओसीसीजीज़) शामिल हैं, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में शामिल कर दिया है.
कैबिनेट सचिवालय की ओर से 9 नवंबर को जारी, एक नोटिफिकेशन में ऐलान किया गया, कि एलोकेशन ऑफ बिज़नेस रूल्स 1961 में बदलाव करके, सभी डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को, आईएंडबी मंत्रालय के आधीन ले आया गया है.
अभी तक, डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के आधीन थे, जबकि प्रिंट, टेलीवीज़न और रेडियो जैसे अन्य मीडिया, आईएंडबी मंत्रालय के आधीन थे.
लेकिन सूचना व प्रसारण मंत्रालय डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को, अपने अधिकार क्षेत्र में लाना चाह रहा था, क्योंकि उनकी सामग्री पर नियमों में स्पष्टता नहीं थी.
नए नोटिफिकेशन का मतलब है कि डिजिटल न्यूज़ पोर्टल्स जैसे ओसीसीपीज़, और नेटफ्लिक्स, अमेज़ॉन प्राइम, और हॉटस्टार जैसे वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स, अब आईएंडबी मंत्रालय के आधीन आएंगे. लेकिन यूज़र द्वारा बनाई गई सामग्री, जैसी कि यू-ट्यूब या फेसबुक पर दिखाई जाती है, एमईआईटीवाई के आधीन ही रहेगी.
क्या कहती है इंडस्ट्री
इंडस्ट्री सूत्रों ने दिप्रिंट से कहा कि इस क़दम का स्वागत है, क्योंकि इससे ऐसी सामग्री के अधिकार क्षेत्र पर ज़्यादा स्पष्टता आएगी. एक सूत्र ने कहा, ‘पहले, डिजिटल न्यूज़ या वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स द्वारा दिखाई जा रही सामग्री को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी, लेकिन अब चीज़ें ज़्यादा स्पष्ट होंगी’.
लेकिन कुछ सूत्र इस क़दम में निहित पहलुओं को लेकर आशंकित भी हैं.
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एक दूसरे सूत्र ने कहा कि टेलीविज़न प्रसारण में, एक अंतर-मंत्रालयी समिति होती है, और इसकी सामग्री ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल, और न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी जैसी, स्व-विनियमन इकाइयों द्वारा निर्देशित होती है.
लेकिन ओसीसीपीज़ अभी तक ऐसी किसी नियामक सर्वसम्मति पर नहीं पहुंच पाईं हैं, जो सरकार को भी स्वीकार्य हो. अब इस स्व-विनियमन को अंतिम रूप देने के लिए दबाव बढ़ सकता है.
क्या कहते हैं सरकारी सूत्र
सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट से कहा कि आईएंडबी मंत्रालय पिछले कुछ समय से इस क़दम पर काम कर रहा था, जैसा कि हाल ही के कुछ दिनों में, डिजिटल मीडिया को लेकर उठाए गए कई क़दमों से ज़ाहिर है.
पिछले महीने जारी एक विज्ञप्ति में मंत्रालय ने कहा, कि ‘निकट भविष्य’ में वो डिजिटल मीडिया पत्रकारों को भी, पीआईबी मान्यता देने पर विचार करेगा, और ऐसे प्लेटफॉर्म्स सरकारी विज्ञापन पाने के पात्र भी होंगे. उसमें आगे ये भी कहा गया कि ‘अपने हितों को आगे बढ़ाने, और सरकार के साथ पारस्परिक संपर्क के लिए’ ऐसे प्लेटफॉर्म्स को स्व-विनियमन निकाय गठित करने चाहिएं.
सुप्रीम कोर्ट में सुदर्शन न्यूज़ चैनल पर एक विवादास्पद कार्यक्रम के प्रसारण मामले की सुनवाई के दौरान, सरकार ने डिजिटल मीडिया के नियमन की बात की थी, चूंकि उसका कहना था कि वेब पर आधारित डिजिटल न्यूज़ पोर्टल्स, यू-ट्यूब चैनल्स, और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को, मुख्यधारा का मीडिया माना जाना चाहिए.
पिछले साल, सरकार ने न्यूज़ डिजिटल मीडिया सेक्टर में लगी इकाइयों के लिए, सरकारी मंज़ूरी के रास्ते से 26 प्रतिशत तक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को स्वीकृति दे दी थी.
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