नई दिल्ली: नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली बृहस्पतिवार को अपने तीन दिवसीय दौरे के लिए भारत पहुंच रहे हैं. इस दौरान वह नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की छठी बैठक में भाग लेंगे. साथ ही अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ सीमा और कोविड-19 सहयोग समेत अन्य द्वीपक्षीय संबंधों पर चर्चा करेंगे.
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा पिछले साल विवादित नया नक्शा प्रकाशित किए जाने के चलते उभरे सीमा विवाद के बाद ग्यावली पहले वरिष्ठ नेता हैं जो भारत का दौरा करेंगे. इस विवादित नक्शे में भारतीय क्षेत्र लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया था.
नेपाल के इस कदम पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और उसके दावे को खारिज किया था.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘ संयुक्त आयोग की बैठक में व्यापार, पारगमन, ऊर्जा, सीमा, कोविड-19 सहयोग, बुनियादी ढांचा, कनेक्टिविटी, निवेश, कृषि, पर्यटन, संस्कृति समेत अन्य द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा होगी.’
बता दें की विदेश मंत्री एस जयशंकर से हैदराबाद में कल सुबह 11 बजे बैठक होगी उसके बाद 11.30 बजे छठी भारत नेपाल की ज्वाइंट कमीशन की मीटिंग हैदराबाद में होनी हैं.
इसके मुताबिक, विदेश मंत्री 14 से 16 जनवरी के दौरे के दौरान भारत के उच्च स्तरीय पदाधिकारियों के साथ भी मुलाकात करेंगे.
‘ओली ने भारत के निर्देश पर भंग की प्रतिनिधि सभा’
नेपाल में चल रहे राजनीतिक उठापटक और संसद भंग किए जाने के बीच नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के एक धड़े के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने बुधवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पर भारत के इशारे पर सत्तारूढ़ दल को विभाजित और संसद को भंग करने का आरोप लगाया.
यहां नेपाल एकेडमी हॉल में अपने धड़े के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा कि प्रधानमंत्री ने निकट अतीत में आरोप लगाया था कि ‘एनसीपी के कुछ नेता भारत की शह पर उनकी सरकार को गिराने की साचिश रच रहे थे.’
प्रचंड ने कहा कि उनके धड़े ने बस इसलिए ओली को इस्तीफ देने के लिए बाध्य नहीं किया क्योकि इससे एक संदेश जाता कि ओली का बयान सच है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ (लेकिन) अब क्या ओली ने भारत के निर्देश पर पार्टी को विभाजित कर दिया और प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया?’
उन्होंने कहा कि सच नेपाल की जनता के सामने आ गया.
प्रचंड ने आरोप लगाया, ‘ओली ने भारत की खुफिया शाखा रॉ के प्रमुख सामंत गोयल के बालुवतार में अपने निवास पर किसी भी तीसरे व्यक्ति की गैरमौजूदगी में तीन घंटे तक बैठक की जो स्पष्ट रूप से ओली की मंशा दर्शाता है.’
उन्होंने प्रधानमंत्री पर बाहरी ताकतों की गलत सलाह लेने का आरोप लगाया.
प्रचंड ने कहा कि प्रतिनिधि सभा को भंग करके ओली ने संविधान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को एक झटका दिया जिसे लोगों के सात दशक के संघर्ष के बाद स्थापित किया गया था.
नेपाल 20 दिसंबर को तब राजनीतिक संकट में फंस गया जब चीन समर्थक समझे जाने वाले ओली ने प्रचंड के साथ सत्ता संघर्ष के बीच अचानक प्रतिनिधि सभा भंग करने की सिफारिश कर दी.
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उनकी अनुशंसा पर उसी दिन प्रतिनिधि सभा को भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को नए चुनावों की तारीख का ऐलान भी कर दिया.
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