नई दिल्ली: देश के पहले प्रधानमंत्री को कथित तौर पर जानबूझकर हटाए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर किए जाने के बाद भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने स्पष्ट किया है कि जवाहरलाल नेहरू देश की आजादी के 75वें वर्ष के जश्न के क्रम में उसके अगले पोस्टरों में नजर आएंगे.
शिक्षा मंत्रालय के अधीन सांस्कृतिक निकाय आईसीएचआर शनिवार को उस समय विवाद में घिर गया जब उसने भारत की आजादी के 75वें साल के उपलक्ष्य में लेक्चर सीरिज पर एक पोस्टर जारी किया, जिसमें महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस और विनायक दामोदर सावरकर समेत स्वतंत्रता आंदोलन के कई नेताओं को दिखाया गया था.
लेकिन इसमें स्पष्ट तौर पर नेहरू गायब थे, जिसके कारण सोशल मीडिया पर खासकर कांग्रेस के नेताओं की तरफ से खासा आक्रोश जताया गया.
हालांकि, आईसीएचआर ने कहा कि पोस्टर पर प्रतिक्रिया ‘समय से पहले’ ही आ गई है और आने वाले पोस्टरों में नेहरू दिखाई देंगे.
आईसीएचआर के निदेशक ओमजी उपाध्याय ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ का केवल पहला पोस्टर जारी किया है, कई अन्य पोस्टर अभी जारी होने हैं और हमारी टीम इस पर काम कर रही है. प्रारंभिक पोस्टर के आधार पर इस तरह से प्रतिक्रिया जताना समय से पहले बात करने जैसा है.’
उन्होंने कहा, ‘आने वाले दिनों में एक और पोस्टर आएगा जिसमें जवाहरलाल नेहरू का नाम शामिल है. मैंने आने वाले पोस्टर देखे हैं और मुझे यकीन है कि ऐसा होगा. आगे ऐसे पोस्टर आएंगे जिसमें और अधिक स्वतंत्रता सेनानियों और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े तमाम अध्यायों को चित्रित किया जाएगा. यह पोस्टर, जिसके बारे में हर कोई बात कर रहा है, आंदोलन के केवल एक हिस्से को ही दिखाता है.’
उपाध्याय ने आगे कहा, ‘हम आंदोलन में किसी की भूमिका कम करने की कोशिश नहीं कर रहे. वास्तव में तो हमारा प्रयास ऐसे चेहरों को सामने लाना है जिन्हें अब तक इतिहास की किताबों में उचित स्थान नहीं मिला है.’
आईसीएचआर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के तहत स्वतंत्रता संग्राम विषय पर व्याख्यान और संगोष्ठियों की एक सीरिज चला रहा है. व्याख्यान माला के तौर पर वे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित तमाम विषयों पर बोलने के लिए विभिन्न इतिहासकारों और शिक्षाविदों को आमंत्रित करते हैं.
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सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
सांसद शशि थरूर सहित कई कांग्रेस नेताओं ने पोस्टर में नेहरू का नाम शामिल न करने को लेकर संगठन की खिंचाई की.
थरूर ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत की आजादी की एक प्रतिष्ठित आवाज जवाहरलाल नेहरू को छोड़कर आजादी का जश्न मनाना न केवल संकीर्णता को दिखाता है बल्कि पूरी तरह इतिहास की अनदेखी भी है. ऐसा करके आईसीएचआर ने एक बार फिर अपनी गरिमा घटाई है. यह उसकी आदत बनती जा रही है.’
It is not merely petty but absolutely ahistorical to celebrate Azadi by omitting the pre-eminent voice of Indian freedom, Jawaharlal Nehru. One more occasion for ICHR to disgrace itself. This is becoming a habit! pic.twitter.com/wZzKCvYEcD
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 27, 2021
शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी थरूर की बात से सहमति जताई और आईसीएचआर को ‘संकीर्ण’ सोच वाला बताया.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘यदि आप स्वतंत्र भारत के निर्माण में दूसरों की भूमिका कम करके आंकते हैं तो आप कभी बड़े नहीं दिख सकते. आजादी का अमृत महोत्सव तभी मनाया जा सकता है जब यह सभी की भूमिका को स्वीकार करे. भारत के पहले पीएम को हटाकर आईसीएचआर ने अपनी संकीर्णता और असुरक्षा को ही दर्शाया है.’
You can never look big if you diminish the role of others in the creation of an Independent India. Azaadi ka Amrit Mahotsav can only be celebrated when it acknowledges role of all. By omitting India’s first PM, ICHR reflects its own pettiness& insecurity. pic.twitter.com/XQGmPYVOjQ
— Priyanka Chaturvedi?? (@priyankac19) August 28, 2021
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