नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र को उपभोक्ता विवादों के मामलों के लिए एक स्थायी न्यायिक मंच की व्यवहार्यता के बारे में तीन महीने के भीतर अवगत कराने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने इसके लिए एक स्थायी निकाय स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि चूंकि उपभोक्तावाद का सार संविधान में अंतर्निहित है, इसलिए उपभोक्ता निकाय को कर्मचारियों, सदस्यों और अध्यक्षों के लिए कार्यकाल-आधारित पदों से भरने का कोई कारण नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘भारत संघ को निर्देश दिया जाता है कि वह संवैधानिक प्रावधानों की कसौटी पर आज से तीन महीने के अंदर उपभोक्ता विवादों के लिए एक स्थायी न्यायिक मंच की व्यवहार्यता पर एक हलफनामा दायर करे, चाहे वह उपभोक्ता न्यायाधिकरण या उपभोक्ता अदालत के रूप में हो।’’
पीठ ने कहा कि उपभोक्ता निकाय को स्थायी कर्मचारियों और अधिकारियों के माध्यम से स्थायित्व दिया जा सकता है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर अध्यक्ष और सदस्य शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि स्थायित्व प्रदान करने से उपभोक्तावाद की अवधारणा को मजबूत करने और इसे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। फैसले में उम्मीद जताई गई कि केंद्र इस मुद्दे की बारीकी से पड़ताल करेगा और उचित तरीके से कार्रवाई करेगा।
भाषा संतोष नेत्रपाल
नेत्रपाल
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