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Monday, 23 December, 2024
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मणिपुर पुलिस के करीब 2,000 जवानों ने असम की अकादमी में प्रशिक्षण पूरा किया

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डेरगांव (असम), 23 दिसंबर (भाषा) मणिपुर पुलिस के करीब 2,000 जवानों ने सोमवार को यहां स्थित लचित बड़फुकन पुलिस अकादमी में अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया और उनके सेवा में शामिल होने से हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य में पुलिस बल को मजबूती मिलेगी।

इस अवसर पर आयोजित समारोह में असम एवं मणिपुर के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मणिपुर पुलिस के 1,984 रंगरूटों के लिए यहां असम पुलिस अकादमी में 44 सप्ताह का गहन बुनियादी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम जनवरी में शुरू हुआ था।

उन्होंने कहा, ‘‘जिन 1,984 रंगरूटों ने प्रशिक्षण शुरू किया था, उनमें से 1,946 उत्तीर्ण हो गए हैं। दुर्भाग्य से, दो रंगरूटों की चिकित्सकीय समस्याओं के कारण मौत हो गई तथा शेष ने चिकित्सकीय एवं व्यक्तिगत कारणों से प्रशिक्षण बीच में छोड़ दिया।’’

पुलिस सेवा में शामिल नए जवानों को बधाई देते हुए सिंह ने इन कर्मियों को प्रशिक्षित करने में पूर्ण सहयोग के लिए असम सरकार को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘भर्ती के बाद, हम अशांति के कारण उन्हें प्रशिक्षण नहीं दे सके। मैंने अपने भाई एवं असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा से अनुरोध किया और वह हमारे लड़कों को यहां प्रशिक्षित करने के लिए तुरंत सहमत हो गए। मैं उनका आभारी हूं।’’

सिंह ने पुलिस सेवा में सोमवार को शामिल हुए जवानों को अपनी जाति, समुदाय और धार्मिक पहचान से ऊपर उठने की सलाह भी दी क्योंकि ‘‘वर्दी पहनने के बाद सभी भारतीय होते हैं।’’

असम पुलिस के अधिकारी ने दावा किया कि लचित बड़फुकन पुलिस अकादमी (एलबीपीए) को ‘‘पिछले दो वर्षों में रंगरूटों को प्रशिक्षण देने में इसके सफल रिकॉर्ड’’ के कारण चुना गया था। यहां लगभग 7,000 जवानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

उन्होंने बताया कि शुरुआती प्रशिक्षण अवधि 44 सप्ताह की थी, लेकिन इसे बढ़ा दिया गया क्योंकि जून 2024 में दो सप्ताह का मध्यावधि अवकाश था और अधिकांश रंगरूट अवकाश के बाद देर से पहुंचे।

असम के डीजीपी जी पी सिंह ने कहा, ‘‘मणिपुर में जारी कानून-व्यवस्था की चुनौतियों और उच्च जोखिम वाले वातावरण में उनकी संभावित तैनाती को देखते हुए, सहनशीलता प्रशिक्षण पर अतिरिक्त जोर दिया गया।’’

उन्होंने कहा कि इस दौरान मानसिक दृढ़ता और इकाई सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय एकीकरण प्रशिक्षण, कोर भावना का निर्माण और राइफलमैन के बीच आपसी सामंजस्य बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया।

व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शारीरिक फिटनेस, छोटे हथियारों को संभालने में दक्षता, बिना हथियार का मुकाबला, भीड़ नियंत्रण, आपदा प्रबंधन, कानून और पुलिसिंग, ‘सॉफ्ट स्किल्स’ विकास और सामरिक प्रशिक्षण शामिल थे।

मणिपुर पुलिस में शामिल जवानों के सामुदायिक स्वरूप के बारे में पूछे जाने पर असम पुलिस के अधिकारी ने बताया कि इनमें 62 प्रतिशत मेइती, 12 प्रतिशत कुकी तथा शेष 26 प्रतिशत नगा एवं अन्य जनजातीय समुदायों से संबंधित हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि आगमन पर, रंगरूटों का फिटनेस स्तर चिंता का विषय था क्योंकि उनमें से 50 प्रतिशत अधिक वजन वाले थे, जिनमें से पांच प्रतिशत को मोटापे के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रशिक्षण के अंत तक, केवल पांच प्रतिशत ही अधिक वजन वाले रह गए, वे भी मुख्य रूप से पुरानी चिकित्सा स्थितियों के कारण। इसके अतिरिक्त, 31 प्रतिशत रंगरूट 30-40 वर्ष की आयु वर्ग के हैं, जिससे प्रशिक्षकों के लिए अतिरिक्त चुनौतियां पैदा हुईं।’’

अधिकारी ने कहा कि 2022 से, समकालीन पुलिसिंग आवश्यकताओं के अनुरूप वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोणों को शामिल करने के लिए एलबीपीए में प्रशिक्षण पद्धति को नया रूप दिया गया है।

मणिपुर में मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में पिछले वर्ष मई से 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।

भाषा अमित धीरज

धीरज

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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