बांदा (उत्तर प्रदेश), 12 अगस्त (भाषा) बांदा जिले के मरका थाना क्षेत्र में बृहस्पतिवार को हुई नाव दुर्घटना में लापता 17 लोगों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के जवान लगातार प्रयास कर रहे हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, नाव दुर्घटना में डूबे लोगों में से अभी तक सिर्फ तीन लोगों के शव निकाले जा सके हैं।
उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को हुई दुर्घटना के बाद बचाव कार्य में मदद के लिए प्रयागराज से गोताखोरों को भी बुलाया गया है।
बांदा जिले के मरका थाना क्षेत्र के समगरा गांव में हुए नौका हादसे में पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने शुक्रवार रात ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यमुना नदी से तीन शव बरामद हुए हैं और 13 व्यक्ति तैरकर सकुशल बाहर आ गए, जबकि 17 व्यक्ति अभी लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक के इस बयान से संकेत मिलता है कि हादसे का शिकार हुई नौका में कुल 33 लोग सवार थे, जबकि पहले यह बताया जा रहा था कि नौका में 40-45 लोग सवार थे।
इसके पहले, बांदा के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) विपिन मिश्रा ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था कि बृहस्पतिवार को मरका थाना क्षेत्र के समगरा गांव में यमुना नदी की जलधारा में एक नौका अनियंत्रित होकर डूब गई थी। उन्होंने कहा था कि गोताखोरों की मदद से बृहस्पतिवार को तीन शव बरामद किए गए हैं, लेकिन अब भी 20-25 लोग लापता हैं।
उन्होंने बताया कि लापता लोगों का पता लगाने के लिए इलाहाबाद से गोताखोरों को बुलाया गया है।
डीआईजी ने कहा था , ‘‘नाव पर कितने लोग सवार थे, इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है।’’
मरका थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) हेमराज सरोज ने शुक्रवार को बताया कि अभी तक तीन शव बरामद हुए हैं जिनकी पहचान सलवा डेरा निवासी फुलवा (50), कौहन गांव (फतेहपुर) निवासी राजरानी (45) और मरका निवासी किशन (सात माह) के रूप में हुई है।
उल्लेखनीय है कि नाव में ज्यादातर वे महिलाएं सवार थीं, जो रक्षाबंधन मनाने के लिए अपने गंतव्य जाने के लिए नाव पर चढ़ी थीं।
पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने बताया कि नाव में लोगों के अलावा तीन मोटरसाइकिल और छह साइकिल भी रखी थीं।
उन्होंने कहा कि जैसे ही नाव बीच धारा में पहुंची, उसका संतुलन बिगड़ गया और वह पलट गई।
जिला प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि नाव का पंजीकरण नहीं था। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के गोताखोरों ने घटनास्थल से 200 मीटर दूर नदी किनारे से तीनों शव बरामद किए। नाव बृहस्पतिवार को जिले के मरका से जरौली घाट जा रही थी, तभी वह पलट गई।
जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने बताया कि प्रयागराज और लखनऊ से एसडीआरएफ के दल बुलाए गए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रशासन ने नदी घाट पर उचित रोशनी के लिए जनरेटर भी लगाए हैं ताकि बचाव कार्यों में कोई बाधा न हो और चिकित्सकों के एक दल के साथ तीन एम्बुलेंस भी बुलाई गई हैं।
पुलिस ने तैरकर सुरक्षित निकल आए नाविक से हादसे के बारे में पूछताछ की है।
अधिकारियों ने कहा कि वह गोताखोरों की तलाशी में मदद करने के लिए आवश्यक जानकारी देने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कार्यक्रम स्थल पर मौजूद हैं।
हादसे के बाद तैरकर सुरक्षित बाहर आए दो युवकों ने पत्रकारों को बताया कि वे अपनी रक्षाबंधन पर्व मनाने के लिए पत्नियों के साथ अपनी ससुराल जा रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘जब हम नदी के किनारे पहुंचे, तो वहां केवल एक नाव थी। दोपहर करीब तीन बजकर 10 मिनट हुए थे और नदी पार करने वालों की भीड़ थी। काफी लोग नाव पर सवार हुए। नाव पर तीन बाइक और छह साइकिलें भी थीं।’
जीवित बचे दो अन्य लोगों में शामिल बृजरानी और गीता देवी ने कहा कि जैसे ही नाव धारा के बीच पहुंची, वह डगमगाने लगी और पलक झपकते ही पानी में डूब गई।
हादसे में बाल-बाल बचे के पी यादव ने बताया कि वह अपनी बहन से राखी बंधवाने लखनऊ जा रहे थे और इसके लिए वह नाव पर सवार हुए थे। यादव ने कहा कि वह बांस के सहारे नदी से बाहर आने में कामयाब हुए। हादसे की सूचना मिलते ही पूर्व विधायक राजकरन कबीर, जिला पंचायत प्रधान सुशील कुमार समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग मौके पर पहुंचे।
ग्रामीणों ने बताया कि वे लंबे समय से मरका घाट पर पुल की मांग कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि औगासी का पुल बन चुका है, लेकिन मरका का पुल बजट की कमी की वजह से अभी तक 70 फीसदी तक ही बन सका है। ग्रामीणों ने कहा कि अगर पुल समय से बन जाता, तो लोगों की जान बच जाती।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश सरकार में मंत्री राकेश सचान और रामकेश निषाद को मौके पर पहुंचने का शुक्रवार को निर्देश दिया। सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिजनों को आपदा राहत कोष से चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का भी निर्देश जारी किया है।
भाषा सं जफर सिम्मी
सिम्मी
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