नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस ट्रक को अंतरिम रूप से उसके मालिक को सौंप दिया, जिसमें से कथित तौर पर छह किलोग्राम गांजा जब्त किया गया था। न्यायालय ने यह भी कहा कि वाहन में ले जाए जा रहे मादक पदार्थ में उसकी संलिप्तता नहीं है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि वाहन के मालिक के पास वैध दस्तावेज थे और लॉरी 29,400 मीट्रिक टन लोहे की चादरों की खेप के व्यावसायिक परिवहन में में शामिल थी।
पीठ ने कहा, ‘‘यह मानना बेहद असंभव है कि वह जानबूझकर माल के साथ नशीले पदार्थों के परिवहन की अनुमति देकर महंगे वाहन और उच्च मूल्य के माल और अपनी व्यावसायिक साख, दोनों को जोखिम में डालेगा।’’
इसमें कहा गया है कि हालांकि, मामले में चार आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था, लेकिन वाहन मालिक को आरोपी के रूप में आरोपित नहीं किया गया तथा आरोपपत्र में ऐसी कोई सामग्री नहीं थी जिससे पता चले कि उसे अपराध की जानकारी थी या वह इसमें शामिल था।
शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के पिछले साल दिसंबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाया।
उच्च न्यायालय ने वाहन उसके मालिक को अस्थायी रूप से सौंपे जाने संबंधी अनुरोध को खारिज कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि 14 जुलाई 2024 को जब पुलिस ने वाहन को रोका और उसकी तलाशी ली, चालक और तीन अन्य लोग उस समय परिवहन के लिए जा रहे थे।
पीठ ने कहा कि चालक की सीट के नीचे 1.5 किलोग्राम गांजा छिपा कर रखा पाया गया और अन्य तीन आरोपियों, प्रत्येक के पास से 1.5 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया।
न्यायालय ने कहा कि वाहन में मौजूद सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के प्रावधानों के तहत दंडनीय कथित अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पीठ ने कहा कि अपने वाहन की जब्ती से व्यथित होकर, व्यक्ति ने तंजौर की एक विशेष अदालत में एक आवेदन दायर कर मुकदमे की समाप्ति तक लॉरी को अंतरिम रूप से जारी करने का अनुरोध किया।
उसकी अर्जी खारिज कर दी गई जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
पीठ ने कहा कि न्याय के हित में अपीलकर्ता को वाहन अंतरिम रूप से सौंपना उपयुक्त होगा, क्योंकि समग्र परिस्थितियां स्पष्ट रूप से उसकी ईमानदारी और वाहन में ले जाये जा रहे मादक पदार्थों में उसकी किसी भी तरह की संलिप्तता की अनुपस्थिति को दर्शाती है।
अपील स्वीकार करते हुए, पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया।
भाषा सुभाष माधव
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