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Monday, 17 November, 2025
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एनसीडब्ल्यू ने आरजी कर मामले की जांच में खामियों का उल्लेख किया

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कोलकाता, 17 नवंबर (भाषा) महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों को लेकर सोमवार को यहां आयोजित ‘महा जनसुनवाई’ के दौरान राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के समक्ष 43 शिकायतकर्ता पेश हुए। इन शिकायतकर्ताओं में उस प्रशिक्षु डॉक्टर के माता-पिता भी शामिल थे जिसकी आरजी कर मेडिकल कॉलेज में दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।

दो दिवसीय सत्र के पहले दिन के इतर एनसीडब्ल्यू सदस्य एवं प्रख्यात चिकित्सक अर्चना मजूमदार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि आयोग पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ खड़ा रहेगा, क्योंकि वे ‘‘न्याय के लिए दर-दर भटकते हैं’’ और महीनों या वर्षों तक इंतजार करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आरजी कर मामले में युवती के साथ क्या हुआ, यह सभी जानते हैं। उसके असहाय माता-पिता एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के पास भेजा जाता रहा। उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष गुहार लगाई और हमारा मानना ​​है कि उन्हें वास्तविक न्याय दिलाना हमारी जिम्मेदारी है। हमने अपने सदस्यों को घटनास्थल का निरीक्षण करने के लिए भेजा था। चूंकि केवल एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, इसलिए उनकी दलील में दम है।’’

मजूमदार ने कहा कि डाक्टर के माता-पिता जांच की गति से नाखुश थे।

एनसीडब्ल्यू के साथ राज्य पुलिस के संचार पर असंतोष व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा, “उन्होंने (पुलिस ने) इस मामले को पोर्टल पर कभी अपलोड नहीं किया। दो-तीन महीने पहले मैंने उपायुक्त स्तर के दो अधिकारियों के साथ डिजिटल तरीके से दो सुनवाई की थी, लेकिन वे कोई ठोस जानकारी नहीं दे सके।’’

एनसीडब्ल्यू सदस्य ने कहा, “आरजी कर मामले पर पहले हुई डिजिटल सुनवाई में, सात बिंदु पूछे गए और दर्ज किए गए और पुलिस ने इन बिंदुओं पर गौर करने का वादा किया था। हालांकि, इन बिंदुओं पर ध्यान दिए जाने के आधार पर कोई कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) तैयार नहीं की गई है और वे हमें वे दस्तावेज भी नहीं दे रहे हैं जिनका मैंने अनुरोध किया था और कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है।”

उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस का काम लोगों को परेशान करना और उन्हें एक जगह से दूसरी जगह भटकाना नहीं होना चाहिए। मैं कोई सामान्यीकरण नहीं कर रही हूं, लेकिन कई मामलों में पुलिस का यही रवैया रहा है। यहां तक कि घटना के एक साल बाद नबन्ना तक मार्च के दौरान मृत युवती की मां को पीटा भी गया था। वह शिकायत भी हमारे पास दर्ज कराई गई है, लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।”

मजूमदार ने कहा कि एनसीडब्ल्यू ने आरजी कर मामले पर 15 दिनों में एक और सुनवाई निर्धारित की है, जिसमें माता-पिता, पुलिस और जांच एजेंसियां शामिल होंगी।

उन्होंने कहा, “मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। हम बहुत गंभीर हैं। भले ही मामला कलकत्ता उच्च न्यायालय में विचाराधीन हो, फिर भी कानून के दायरे में जो भी किया जा सकता है, वह किया जाना चाहिए।”

पीड़ित चिकित्सक के पिता ने मजूमदार से मुलाकात के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “हमें पुलिस से कई मुद्दों पर अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। सीबीआई ने भी हमें निराश किया है। देखते हैं कि 15 दिन बाद कोलकाता पुलिस क्या जवाब देती है।”

मजूमदार ने कहा कि 117 मामलों में अधिकतर घरेलू हिंसा, बलात्कार, छेड़छाड़, साइबर अपराध और मातृत्व लाभ से जुड़े थे। उन्होंने कहा कि 43 पीड़िताएं सोमवार को यहां सुनवाई स्थल पर प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हुईं।

उन्होंने कहा, “एक-दो मामलों को छोड़कर, सभी मामलों की सुनवायी हुई और उनकी शिकायतों के समाधान की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। कल हमें हावड़ा और दक्षिण 24 परगना से 150 से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है।”

बंगाल में सामने आने वाले मामलों की प्रकृति का उल्लेख करते हुए, उन्होंने दावा किया, “मामलों की संख्या और प्रकार एक भयावह स्थिति की ओर इशारा करते हैं। इनमें आर जी कर, पंसकुरा और उलुबेरिया सहित कई सरकारी चिकित्सा केंद्रों में यौन हमले शामिल हैं। यहां तक कि पढ़ी-लिखी लड़कियां भी परेशानी का सामना कर रही हैं।”

उत्तरी कोलकाता के एक मामले का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि एक महिला के साथ उसके पति की हत्या के बाद बलात्कार किया गया, लेकिन तीन शिकायतों के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

उन्होंने कहा, ‘‘आज हमने तत्काल और उचित जांच शुरू करने और पीड़ितों को सामान्य डायरी प्रविष्टियों के बजाय प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा। अगर जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो हम अपने दायरे में कार्रवाई करेंगे।’’

भाषा अमित प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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