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Thursday, 19 December, 2024
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सूरत नगर निगम के शारीरिक परीक्षण में महिला प्रशिक्षुओं का किया गया वर्जिनिटी टेस्ट, एनसीडब्ल्यू ने दिए जांच के आदेश

सूरत नगर निगम के एक टेस्ट के दौरान करीब 10 महिला प्रशिक्षु लिपिकों को अस्पताल के प्रसूति रोग वार्ड में चिकित्सीय परीक्षण के लिये बिना कपड़ों के खड़े रखा गया.

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सूरत: सूरत नगर निगम (एसएमसी) में ट्रेनी महिला क्लर्क को यहां नगर निकाय द्वारा संचालित एक अस्पताल में शारीरिक जांच के लिये एक कमरे में कथित तौर पर बिना कपड़ों के खड़े रखा गया. मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए हैं.

इस मामले की गंभीरता देखते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने अनिल मुकीम, मुख्य सचिव (आईएएस) और प्रिसिंपल सेक्रेटरी डॉ. जयंती एस रवि को मामले को अच्छी तरह से देखने के लिए लिखा है और आयोग को जल्द से जल्द कार्रवाई रकी रिपोर्ट का विवरण भेजने के लिए कहा है.

राष्ट्रीय महिला आयोग ने सूरत नगर निगम में महिला ट्रेनी क्लर्क को कथित तौर पर लंबे समय तक राज्य के एक अस्पताल में नग्न खड़ा रहने को लेकर छपी रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है. महिला ट्रेनी को महिला डॉक्टरों ने स्त्री रोग संबंधी परीक्षण के लिए उकसाया था.

बता दें कि सू्रत नगरपालिका आयुक्त बंचानिधि पाणि ने शुक्रवार को मीडिया में छपी खबरों के बाद उन आरोपों की जांच के आदेश दिये जिनमें कहा गया है कि करीब 10 महिला प्रशिक्षु लिपिकों को अस्पताल के प्रसूति रोग वार्ड में चिकित्सीय परीक्षण के लिये बिना कपड़ों के खड़े रखा गया. यह चौंकाने वाला वाकया हाल में गुजरात के भुज में एक कॉलेज के छात्रावास में छात्राओं के अंत:वस्त्र उतरवाकर माहवारी की जांच की घटना के कुछ दिनों बाद सामने आया है.

आयुक्त को दी अपनी शिकायत में एसएमसी कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि महिला चिकित्सकों ने अविवाहित महिलाओं की भी गर्भावस्था से जुड़ी जांच कीं.

यह कथित घटना 20 फरवरी को एसएमसी द्वारा संचालित सूरत नगरपालिका चिकित्सा शिक्षा एवं शोध संस्थान (एसएमआईएमईआर) अस्पताल में हुई.

शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पाणि ने आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय एक समिति गठित की है जो 15 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

समिति में मेडिकल कॉलेज की पूर्व डीन डॉ. कल्पना देसाई, सहायक नगरपालिका आयुक्त गायत्री जरीवाला और कार्यकारी अभियंता तृप्ति कलाथिया शामिल हैं.

अधिकारियों ने कहा कि प्रशिक्षण अवधि पूरी होने के बाद नियमों के मुताबिक प्रशिक्षु कर्मचारियों को नौकरी के लिये शारीरिक तौर पर खुद को स्वस्थ साबित करने के लिये शारीरिक परीक्षण से गुजरना होता है.

उन्होंने कहा कि तीन साल का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद कुछ महिला प्रशिक्षु लिपिक चिकित्सीय परीक्षण के लिये अस्पताल आई थीं, जो अनिवार्य है.

कर्मचारी संघ ने कहा कि वह अनिवार्य जांच के खिलाफ नहीं है लेकिन महिला कर्मचारियों की जांच के लिये प्रसूति वार्ड में जो तरीका अपना गया वह उचित नहीं था.

कर्मचारी संघ ने अपनी शिकायत में कहा, ‘परीक्षण के लिये कमरे में महिलाओं को एक-एक कर बुलाने की जगह महिला चिकित्सक ने उन्हें 10 के समूह में बुलाकर बिना कपड़ों के एक साथ खड़ा किया. यह निंदनीय है.’

इसमें कहा गया, ‘यह तरीका अवैध और मानवता के खिलाफ है. यह जरूरी है कि हर महिला की अलग जांच की जाए.’

संघ के महासचिव अहमद शेख के मुताबिक महिला कर्मचारियों को महिला चिकित्सक द्वारा परीक्षण के दौरान गर्भावस्था से संबंधित बेतुके सवालों का सामना करना पड़ा.

उन्होंने कहा, ‘चिकित्सकों को जांच के दौरान गर्भावस्था से संबंधित निजी सवाल पूछने बंद करने चाहिए. इतना ही नहीं समूह में मौजूद अविवाहित महिलाओं को भी उन परीक्षणों से गुजरना पड़ा जो यह देखने के लिये थे कि वे गर्भवती हैं या नहीं.’

सूरत के महापौर जगदीश पटेल ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया है.

पटेल ने कहा, ‘यह मामला बेहद गंभीर है. अगर महिला कर्मचारियों द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए गए तो हम दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे.’

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