नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) पर्यावरणोन्मुखी निर्माण पद्धतियों पर काफी बल देते हुए भारत के पहले ‘रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम’ (आरआरटीएस) के निर्माण के दौरान निकलने वाले अपशिष्ट का दोबारा इस्तेमाल कर रहा है।
निगम भारत की पहली ‘सेमी हाई स्पीड’ क्षेत्रीय रेल सेवा परियोजना को अमलीजामा पहना रहा है।
एक बयान में कहा गया है, ‘‘पर्यावरणोन्मुखी निर्माण पद्धतियों पर प्रमुखता से बल देने के क्रम में एनसीआरटीसी दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ के बीच भारत के पहले नमो भारत गलियारे के निर्माण के दौरान निकलने वाले सी एंड डी (निर्माण एवं विध्वंस) अपशिष्ट का दोबारा इस्तेमाल कर एक नया मानदंड स्थापित कर रहा है।’’
बयान के अनुसार गलियारे के निर्माण के दौरान निर्माण एवं तोड़फोड़ गतिविधियों से भारी मात्र में मलबा एवं अपशिष्ट निकला। निगम की नवोन्मेषी पहल में इस अपशिष्ट को मूल्यवान संसाधनों में तब्दील किया जाता है।
बयान के मुताबिक निगम ने इन निर्माण एवं तोड़फोड़ अपशिष्ट से हजारों उपयोगी ‘ब्लॉक’ बनाये हैं। इसके मलबे को गाजियाबाद के एक अपशिष्ट संयंत्र में भेजा गया जहां उसे पीसकर दोबारा उपयोग योग्य बनाया गया। इन ‘ब्लॉक’ का इस्तेमाल आरआरटीएस स्टेशनों पर स्टशेन की दीवारों, तकनीकी एवं गैर तकनीकी कक्षों एवं सीढ़ियों के निर्माण में किया गया।
भाषा
राजकुमार वैभव
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