नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 2011 के जनगणना के मुताबिक महिलाओं की संख्या करीब 9 करोड़ 53 लाख है और यहां सबसे अधिक महिलाओं के साथ हिंसा हो रही है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के मुताबिक सूबे में महिलाओं के साथ हिंसा के करीब 56 हज़ार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए बिलकुल भी सुरक्षित नहीं रह गया है. 2015 में महिला हिंसा के 35,908 मामले और 2016 में 49,262 मामले दर्ज किए गए थे. जो अब बढ़कर 56 हज़ार पर पहुंच गए हैं.
पूरे देश में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा में अकेला उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां महिला हिंसा की घटना 15.6 प्रतिशत है. यूपी के बाद महाराष्ट्र में महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा हिंसा हुई है. यहां 31 हजार से भी ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने दो साल की देरी के बाद साल 2017 के अपराध से जुड़े आंकड़ें जारी कर दिए हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा में काफी वृद्धि हुई है.
महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान कुछ ऐसे राज्य हैं जहां महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा हिंसा हुई है.
एनसीआरबी ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए 1 जनवरी 2017 से लेकर दिसंबर 2017 के बीच के आंकड़ें जुटाए हैं. इन आंकड़ों को जुटाने में राज्य और केंद्रीय सरकार की एजेंसियों की मदद ली गई है.
पति बन रहे हैं हैवान
महिलाओं के साथ हुए ज्यादातर अपराध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दर्ज हुए हैं उनमें उनके पति द्वारा किए गए बदसलूकी के मामले अधिक हैं. ऐसे मामलों की संख्या 33.2 फीसदी है. महिलाओं के अपहरण के मामले 21 फीसदी हैं और बलात्कार के मामले 10 प्रतिशत हैं.
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2017 में 50 लाख से ज्यादा अपराध संज्ञान में आए हैं जिनमें से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत 30 लाख और स्पेशल एंड लोकल लॉस (एसएलएल) के तहत 19 लाख अपराध संज्ञान में आए हैं. इन आंकड़ों को देखें तो 2016 के आंकड़ों के मुकाबले 2017 में रजिस्टर हुए मामलों की संख्या में 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है.
2017 में हुए सभी अपराधों में आईपीसी के तहत दर्ज हुए अपराधों की संख्या कुल अपराधों की 61 फीसदी है और एसएलएल के तहत 38.8 प्रतिशत है.
आईपीसी के तहत दर्ज हुए मामलों में 2016 के मुताबिक 2.9 प्रतिशत और एसएलएल के तहत 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
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उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा हो रही महिलाओं के साथ हिंसा
दिन प्रतिदिन महिलाओं के लिए असुरक्षित होते जा रहे उत्तर प्रदेश में अपराध का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है. 2015 में यह आंकड़ा 35,908 था जो 2016 में करीब 11 फीसदी से भी अधिक बढ़ा और अपराध की संख्या बढ़कर 49,262 पर पहुंची. जबकि 2017 में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और आंकड़ा 56 हजार पर पहुंच गया है. पूरे देश में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा में अकेला यूपी 15.6 प्रतिशत का योगदान रहा है. वहीं महाराष्ट्र (8.9) प्रतिशत और मध्य प्रदेश (8.3) प्रतिशत का योगदान है.
2017 के एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में बलात्कार के बाद महिलाओं के मर्डर की संख्या सबसे ज्यादा सामने आई है. 2017 में 67 ऐसे मामले सामने आए थे. दहेज उत्पीड़न मामले में भी महिलाओं को प्रताड़ित करने के मामलों में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है.
सभी 29 राज्यों के आंकड़ों पर ध्यान दें तो 2017 में महिलाओं के साथ हुई हिंसा के 34,5989 मामले सामने आए हैं. 2016 के आंकड़ो (33,8954) के मुकाबिक यह काफी ज्यादा है.
केंद्र शासित प्रदेशों की स्थिति राज्यों के मुकाबले काफी अच्छी
केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़ों पर ध्यान दें तो देश की राजधानी दिल्ली में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा में काफी कमी आई है. 2016 में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा के 15,310 मामले सामने आए थे वहीं 2017 के आंकड़ें के अनुसार यह संख्या घटकर 13,076 पर आ गई है.
देश के सभी केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं के साथ हुई हिंसा के कुल मामले 13,860 है. जो 2015 और 2016 के आंकड़ों की तुलना में काफी अच्छा है. लक्ष्यद्वीप एकमात्र ऐसा केंद्र शासित प्रदेश हैं जहां अपराध सिंगल डिजिट(6) में हुआ है.
केंद्र शासित प्रदेश और सभी राज्यों में 2017 में महिलाओं के साथ हुई हिंसा के आंकड़ों को जोड़ा जाए तो यह संख्या 35,9849 है. 2016 के आंकड़ों की तुलना में देशभर में महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में वृद्धि हुई है. 2016 में देशभर का आकंड़ा 33,8954 था.
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हाल ही में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुए हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में इन राज्यों में महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में वृद्धि हुई है.
इसी साल झारखंड विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं. यहां के आंकड़ों पर गौर करें तो 2016 की तुलना में 2017 में महिलाओं के साथ ज्यादा हिंसा हुई है.
नागालैंड में महिलाएं अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित
नागालैंड देश का ऐसा राज्य है जहां महिलाओं के साथ सबसे कम अपराध हुए हैं. 2017 में महिलाओं के साथ हुए अपराध की यहां संख्या केवल 79 है. सभी पूर्वोतर राज्यों के आंकड़ों को देखकर पता चलता है कि देश के बाकी सभी राज्यों की तुलना में पूर्वोतर राज्यों में महिलाओं के साथ हिंसा कम होती है.
महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों की दर पर नजर डालें तो असम में सबस तेजी से अपराध हो रहे हैं. महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों की असम में दर 143 है. असम के बाद तेलंगाना (94.7) और ओडिशा (94.5) दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं.
इस रिपोर्ट को तैयार करते हुए एनसीआरबी ने जो आंकड़ें जुटाए हैं वो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मिले आंकड़ों के आधार पर हैं. जनसंख्या का सोर्स रजिस्टर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा 2001 की जनसंख्या गणना को आधार बनाकर किया गया है.
एनसीआरबी भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एजेंसी है जो आईपीसी और एसएलएल के तहत परिभाषित अपराधों के आंकड़ों का विश्लेषण कर उसे जारी करती है. एनसीआरबी गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है.
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