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Thursday, 19 December, 2024
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भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध 4% बढ़े, UP में रेप और POCSO के मामले सबसे ज्यादा : NCRB के आंकड़े

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, आईपीसी के तहत अपराधों के पंजीकरण में गिरावट देखी जा रही है - यह 2022 में 35.6 लाख से घटकर 2021 में 36.6 लाख, यानी 2.78% हो गई है.

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नई दिल्ली : 2022 राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रविवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2021 की तुलना में भारत में महिलाओं के खिलाफ रजिस्टर्ड अपराधों में 4 फीसदी की वृद्धि हुई है.

जहां 2022 की एनसीआरबी रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ अपराध के तहत 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, वहीं 2021 में यह संख्या 4,28,278 थी. एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में 2020 के मामलों की तुलना में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी.

इस बीच, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अपराधों के पंजीकरण में गिरावट देखी गई है – 2021 में यह 36,63,360 से घटकर 2022 में 35,61,379 हो गई, जो 2.78 प्रतिशत की गिरावट है. इससे पहले, 2022 की तुलना में 2021 में 13.9 प्रतिशत की गिरावट थी.

‘राज्य के खिलाफ अपराध’ के तहत, 2021 में 5,164 की तुलना में 2022 में 5,610 मामले दर्ज किए गए – कुल मिलाकर 8.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इन 5,610 मामलों में से 4,403 (या 78.5 प्रतिशत) मामले सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किए गए, इसके बाद 1,005 (17.9 प्रतिशत) गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज किए गए.

साइबर अपराध के तहत दर्ज मामलों की संख्या में भी 24.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है – 2021 में 52,974 मामलों से बढ़कर यह संख्या 2022 में 65,893 हो गई.

2022 में, दर्ज किए गए साइबर अपराध के 64.8 प्रतिशत मामले धोखाधड़ी वाले थे, इसके बाद जबरन वसूली (5.5 प्रतिशत), और यौन शोषण के (5.2 प्रतिशत) मामले थे.

महिलाओं के विरुद्ध अपराध

आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत महिलाओं के खिलाफ ज्यादातर मामले ‘पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ (31.4 प्रतिशत) के थे, इसके बाद ‘महिलाओं का अपहरण’ (19.2 प्रतिशत), शील भंग (गरिमा के ठेस पहुंचाने) करने के इरादे से ‘महिलाओं पर हमले’ के तहत (18.7 प्रतिशत) और ‘बलात्कार’ (7.1 प्रतिशत) के मामले दर्ज किए गए.

2021 में, सबसे अधिक मामले ‘पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ (31.8 प्रतिशत) की श्रेणी के तहत दर्ज किए गए, इसके बाद ‘महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला’ (20.8 प्रतिशत), ‘महिलाओं के अपहरण’ की श्रेणी में (17.6 प्रतिशत) और ‘बलात्कार’ (7.4 प्रतिशत) के मामले दर्ज किए गए.

2022 में, दिल्ली में लगातार तीसरे साल 14,158 मामलों के साथ महानगरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के तहत सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए. ‘महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उन पर हमला’ और ‘महिलाओं के अपहरण’ की कटेगरीज के तहत दर्ज मामलों में दिल्ली 19 महानगरों में शीर्ष पर है.

सभी राज्यों में, उत्तर प्रदेश, आईपीसी और विशेष और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ दर्ज मामलों में सबसे ज्यादा 65,743 की संख्या के साथ फिर से सूची में शीर्ष पर है, इसके बाद महाराष्ट्र 45,331 मामले, राजस्थान 45,058 मामलों के साथ है. 2021 में, यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 56,083 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद राजस्थान (40,738 मामले) था. केंद्र शासित प्रदेशों में, दिल्ली 2022 में 14,247 मामलों के साथ इस कटेगरी में सबसे आगे है.

2022 में ‘बलात्कार/गैंगरेप के साथ हत्या’ की कटेगरी में उत्तर प्रदेश 62 पंजीकृत मामलों के साथ फिर से सूची में शीर्ष पर है, इसके बाद मध्य प्रदेश 41 के साथ दूसरे नंबर पर है.

पिछले साल, यह असम था, जो 46 मामलों के साथ इस श्रेणी में यूपी से पीछे था. राज्य में इस साल बड़ी गिरावट देखी गई है और ऐसे केवल 14 मामले दर्ज किए गए हैं.

दहेज को लेकर मौत के मामलों में, 2022 में 2,138 मामलों के साथ यूपी फिर से आगे है, इसके बाद 1,057 मामलों के साथ बिहार है.

जबकि 2021 में पूरे भारत में बलात्कार की कुल 31,677 घटनाएं दर्ज की गईं, 2022 में 31,516 मामलों के साथ मामूली गिरावट देखी गई. इस श्रेणी में, राजस्थान फिर से आगे है, हालांकि 2021 में 6,337 मामलों के साथ 2022 में 5,399 मामलों की थोड़ी गिरावट के साथ- इसके बाद उत्तर प्रदेश 3,690 पर है.

बच्चों के खिलाफ अपराध

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत, 7,955 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है, इसके बाद 7,467 मामलों के साथ महाराष्ट्र है.

2022 में देशभर में POCSO की धाराओं के तहत कुल 62,095 मामले दर्ज किए गए.

इसके अलावा, 2022 में ‘पोर्नोग्राफी के लिए बच्चों का इस्तेमाल/बाल पोर्नोग्राफी सामग्री का भंडारण’ कटेगरी के तहत कुल 667 मामले दर्ज किए गए, जिनमें सबसे अधिक ऐसे पंजीकृत मामले बिहार (201) में, उसके बाद राजस्थान में (170) मामले दर्ज किए गए.

2022 में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 8.7 प्रतिशत की कुल वृद्धि हुई है और 2021 में 1,49,404 मामलों की तुलना में कुल 1,62,449 मामले सामने आए हैं.

एससी/एसटी के खिलाफ अपराध

ताजा एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में अनुसूचित जाति (एससी) के खिलाफ अपराध के तहत 57,582 मामले दर्ज किए गए- जो 2021 की तुलना में 13.1 प्रतिशत की वृद्धि है, जब 50,900 ऐसे मामले सामने आए थे.

सबसे अधिक प्रतिशत में मामले साधारण चोट की श्रेणी के तहत दर्ज किए गए, ऐसे 18,428 मामले, इसके बाद 5,274 ‘आपराधिक धमकी’ के तहत मामले, और 4,703 मामले एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज किए गए.

उत्तर प्रदेश यहां भी 15,368 मामलों के साथ शीर्ष पर है – जो 2021 में 13,146 मामलों की तुलना में तीव्र वृद्धि है. इसी तरह, राजस्थान भी 8,752 मामलों के साथ पीछे है, जो 2021 में 7,524 मामलों से अधिक है.

भारत में, 2022 में अनुसूचित जाति के खिलाफ बलात्कार के कुल 4,241 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 658 मामलों के साथ राजस्थान सबसे आगे है, इसके बाद 646 मामलों के साथ यूपी है.

अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ होने वाले अपराधों में भी 2021 (8,802 मामले) की तुलना में 2022 में 14.3 प्रतिशत (10,064 मामले) की वृद्धि हुई है. एसटी के खिलाफ बलात्कार के 1,347 मामले दर्ज किए गए, जिसमें मध्य प्रदेश 359 ऐसे मामलों के साथ आगे रहा.


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