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Friday, 17 May, 2024
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एनसीपी के नेताओं की हो रही है करोड़ों के सिंचाई घोटाले और दाऊद के सहयोगी से संबंध की जांच

शरद और अजीत पवार से लेकर छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल तक, ईडी के मामले एनसीपी के कई नेताओं के खिलाफ हैं.

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नई दिल्ली: बड़े राजनीतिक बदलावों के बीच एक दूसरे के धुर-विरोधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने शनिवार सुबह महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लिया है.

रोचक है कि एक साल पहले तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब दानवे ने पिंपरी-चिंचवाड़ में हुई पार्टी की एक रैली में कहा था कि सिंचाई घोटाले से संपर्क होने के नाते अजित पवार कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं. यह वही समय था जब एनसीपी नेता छगन भुजबल खुलकर पवार के समर्थन में आए थे. उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया था कि वो विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है.

उसके बाद से महाराष्ट्र में सत्ता का समीकरण नाटकीय अंदाज में बदला है.

एनसीपी नेताओं पर चल रहे आपराधिक मामलों को दिप्रिंट खंगाल रहा है.

सिंचाई घोटाला और अजित पवार

अजित पवार पर महाराष्ट्र में हुए 70 हज़ार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले में जांच चल रही है.

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महाराष्ट्र एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा की जा रही जांच के अनुसार एनसीपी ने मौद्रिक लाभों के बदले में कई सिंचाई परियोजनाओं को अंजाम दिया, जिससे भ्रष्टाचार और कार्यालय के दुरुपयोग का मामला सामने आया.

जांचकर्ताओं के अनुसार, 38 परियोजनाओं के अनुमोदन को कथित तौर पर विदर्भ सिंचाई विकास निगम (वीआईडीसी) की गवर्निंग काउंसिल द्वारा अनिवार्य मंजूरी के बिना प्रदान किया गया था.

मामले के अनुसार, अजित 1999 और 2014 के बीच अलग-अलग समय पर सिंचाई विभाग के प्रभारी एनसीपी मंत्रियों में से थे, जब महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन का शासन था और जब सौदे हुए थे.

इसके बाद हुई पूछताछ में, अजित ने दावा किया कि उनके फैसले, सचिव स्तर के अधिकारियों की सिफारिशों पर आधारित थे और अधिकांश जमीनी स्तर पर लिए गए थे.

सितंबर 2012 में अजित ने उप मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद छोड़ दिया, क्योंकि आरोप लगाए गए थे, लेकिन बाद में उन्हें बहाल कर दिया गया था.


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दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल पिंपरी-चिंचवाड़ में एक रैली में, भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रावसाहेब दानवे ने कहा था कि कथित सिंचाई घोटाले के सिलसिले में अजीत को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है.

देवेंद्र फड़नवीस की मौजूदगी में, अटल संकल्प महासम्मेलन में, दानवे ने कहा था, ‘मैं आपको बताना चाहता हूं कि अजित पवार को अब कभी भी गिरफ्तार किया जाएगा … पुलिस कर्मी उनके आवास के बाहर हैं, उन्हें गिरफ्तार करने का इंतजार है.

लेकिन एनसीपी नेता छगन भुजबल अजित के समर्थन में आए थे.

भुजबल ने कहा था, ‘… बात यह है कि राजनेता (सरकार में) पहले एक व्यक्ति (विपक्ष में) को ठीक करते हैं और बाद में पुलिस तंत्र के माध्यम से उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू करते हैं. वे (सरकार) पहले तय करते हैं कि कार्रवाई का परिणाम क्या होगा और बाद में, पूछताछ शुरू होती है.’

पिछले साल नवंबर में, महाराष्ट्र एसीबी ने बॉम्बे उच्च न्यायालय को सूचित किया कि कथित करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले की जांच में अजित और अन्य सरकारी अधिकारियों की ओर से बड़ी चूक सामने आई थी.

एसीबी के महानिदेशक संजय बर्वे ने भी एनजीओ जनमंच द्वारा दायर याचिका के जवाब में पिछले साल उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष एक हलफनामा दायर किया.

एनजीओ ने अपनी याचिका में विदर्भ और कोंकण सिंचाई निगम निगमों द्वारा किए गए सिंचाई परियोजनाओं में अनियमितताओं पर चिंता जताई थी.

इसमें कहा गया है कि इन निगमों में कई परियोजनाओं में देरी और लागत में वृद्धि हुई है और जल संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में अजित के नेतृत्व के दौरान अनुमानित लक्ष्यों को पूरा नहीं किया गया था.

हलफनामे में घोटाले को ‘साजिश का अजीब मामला’ बताया गया है, जिसने ‘सरकार को ही धोखा दिया है’.

एसीबी ने यह भी कहा कि उसने जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव से पवार की भूमिका के बारे में राय मांगी थी.

शरद और अजित पवार के खिलाफ ईडी का मामला

विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले सितंबर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित रूप से 25,000 करोड़ रुपये के महाराष्ट्र सहकारी बैंक से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार और अन्य के साथ अजीत को बुक किया था.

यह मामला अगस्त में दायर मुंबई पुलिस की प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें बैंक के तत्कालीन निदेशकों, पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित और सहकारी बैंक के 70 पूर्व पदाधिकारियों का नाम शामिल है.

अजित ने 10 नवंबर 2010 से 26 सितंबर 2014 तक उप मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था.


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पुलिस के अनुसार, राज्य के सरकारी खजाने को कथित तौर पर इस मामले में 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, 1 जनवरी 2007 से 31 दिसंबर 2017 के बीच.

ईडी मामले में दिलीपराव देशमुख, इशरलाल जैन, जयंत पाटिल, शिवाजी राव, आनंद राव अडसूल, राजेंद्र शिंगेन और मदन पाटिल जैसे एनसीपी और शिवसेना सहित कई राजनीतिक दलों के नेताओं को भी आरोपी बनाया गया था.

ईडी ने सहकारी चीनी कारखानों को एमएससी बैंक द्वारा ऋण संवितरण में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कहा कि कारखानों के कमजोर वित्तीय खर्चों के बावजूद कई मामलों में ऋण बिना किसी जमानत के मंजूर किए गए. कारखानों को तब खराब दिखाया गया था और कथित तौर पर कुछ राजनेताओं के करीबी लोगों को बेच दिया गया था.

नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) के निरीक्षण के साथ-साथ महाराष्ट्र सहकारी समितियों (एससीएस) अधिनियम के तहत एक अर्ध-न्यायिक जांच आयोग द्वारा दायर एक आरोप-पत्र ने अजीत के ‘निर्णय, कार्य और नीलामी’ को दोषी ठहराया था.

नाबार्ड ऑडिट रिपोर्ट में चीनी कारखानों और कताई मिलों को ऋण के वितरण में आरोपी द्वारा कई बैंकिंग कानूनों और आरबीआई दिशानिर्देशों का उल्लंघन और बाद में इस तरह के ऋणों की चुकौती और वसूली पर भी खुलासा किया गया था.

इस मामले ने एनसीपी को राजनीतिक प्रतिशोध की भावना पैदा करने के लिए प्रेरित किया, विशेषकर चूंकि वरिष्ठ पवार बैंक के निदेशक या अधिकारी नहीं थे.

स्रोत का कहना है कि मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एक ऐसे गवाह का बयान दर्ज किया, जिसमें वरिष्ठ नेता ने घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ईडी ने अब आगे की जांच के लिए ईओडब्ल्यू कार्यालय को बयान सौंपने के लिए कहा है.

छगन भुजबल के खिलाफ ईडी में दर्ज मामला

राकांपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल को मार्च 2016 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग, आपराधिक कदाचार, साजिश और धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था.

भुजबल के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर निविदाएं आमंत्रित किए बिना 2005 में एक फर्म केएस चामंकर एंटरप्राइजेज को एक अनुबंध दिया था, जब वह पीडब्ल्यूडी मंत्री थे.

मामले के अनुसार, बिल्डर को कथित रूप से अंधेरी में आरटीओ की जमीन पर एक झुग्गी के विकास के अधिकार मिले, इस शर्त के साथ कि दिल्ली में महाराष्ट्र सदन, अंधेरी में आरटीओ भवन और मालाबार हिल पर एक गेस्ट हाउस बदले में बनाया जाए.

ईडी ने आरोप लगाया कि छगन और उनके भतीजे समीर भुजबल को फायदा मिला.

भुजबल पर दिल्ली में नए महाराष्ट्र सदन के लिए 100 करोड़ रुपये के निर्माण अनुबंध के लिए फायदा प्राप्त करने का भी आरोप है. इस धन का एक हिस्सा, ईडी का दावा है, विदेशों में पार्क किया गया था और देश भर में स्थित विभिन्न शेल कंपनियों के माध्यम से भारत में भी भेजा गया था.


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महाराष्ट्र एसीबी ने 2016 में महाराष्ट्र सदन निर्माण घोटाले के सिलसिले में छगन भुजबल और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मुंबई सत्र न्यायालय में आरोप-पत्र दायर किया था.

इस मामले में दो साल जेल में बिताने के बाद भुजबल को आखिरकार मई 2018 में जमानत पर रिहा कर दिया गया.

प्रफुल्ल पटेल और उनका इकबाल मिर्ची से संबंध

हालांकि, पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल को सीबीआई या ईडी द्वारा किसी भी मामले में अभियुक्त के रूप में नामित नहीं किया गया है. मंत्री की भूमिका के लिए दो प्रमुख मामलों में जांच की जा रही है – व्यवसायी दीपेंद्र तलवार से संबंधित विमानन घोटाला और दाऊद के सहयोगी इकबाल मिर्ची के साथ एक जमीन का सौदा मामले में.

दीपक तलवार मामले के संबंध में पूछताछ के लिए जून में ईडी के समक्ष पटेल को दो बार तलब किया गया था.

ईडी एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस के विलय, बोइंग और एयरबस से 111 विमानों की खरीद, 70,000 करोड़ रुपये, लाभदायक मार्गों और निजी एयरलाइनों के शेड्यूल और विदेशी निवेश के साथ प्रशिक्षण संस्थानों को खोले जाने की जांच कर रही है.

यह भी जांच कर रहा है कि तलवार के खातों में प्राप्त धन को सरकारी कर्मचारियों को कैसे हस्तांतरित किया गया था, जिनमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय भी शामिल थे.

उक्त मामले की जांच में विदेशी एयरलाइंस को अनुकूल हवाई यातायात अधिकार देने में पटेल की भागीदारी का पता चला, जिससे एयर इंडिया को नुकसान हुआ.

तलवार के खिलाफ ईडी द्वारा 30 मार्च को दायर चार्जशीट में कथित घोटाले में पटेल का नाम सामने आया था. पटेल 2004 से 2011 के बीच नागरिक उड्डयन मंत्री थे.

पटेल को बुलाने से पहले, ईडी ने दीपक तलवार को इस साल जनवरी में दुबई से प्रत्यर्पित किया था, जिन्होंने कथित रूप से विदेशी निजी एयरलाइंस का पक्ष लेने के लिए एक बिचौलिए के रूप में काम किया, जिससे राष्ट्रीय वाहक को भारी नुकसान हुआ.


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ईडी ने आरोप लगाया है कि तलवार विदेशी निजी एयरलाइंस के साथ बातचीत में बिचौलिए का काम करते हुए पटेल के लगातार संपर्क में था.

ईडी ने यह भी कहा कि एजेंसी ने दावा किया कि यह पटेल के ई-मेल के कब्जे में है जो उक्त घोटाले में उनकी संलिप्तता साबित करता है.

पिछले महीने, पटेल का नाम मिर्ची से जुड़े एक अन्य भूमि सौदे के मामले में भी लिया गया था, जिसकी जांच ईडी द्वारा की जा रही है.

ईडी के अनुसार, मामले की जांच में पटेल की फर्म मिलेनियम डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड और मिर्ची के बेटे आसिफ मेनन के बीच एक मौद्रिक लेन-देन का पता चला. लेन-देन को एक करोड़ो रुपए का लेन-देन कहा जाता है जहां आसिफ ने मिलेनियम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खाते में धन हस्तांतरित किया.

एजेंसी को शक है कि मुंबई के प्राइम वर्ली इलाके में स्थित सिजय हाउस में मिर्ची ने अपनी पत्नी हाजरा, बेटों आसिफ और जुनैद के नाम पर खरीदी गई संपत्ति के लिए किए गए भुगतान का हिस्सा है. करोड़ों की संपत्ति, सिजय हाउस में एक 14,000 वर्ग फुट का डुप्लेक्स है, जो पटेल की फर्म मिलेनियम डेवलपर्स लिमिटेड द्वारा निर्मित थी.

हालांकि, पटेल ने आरोपों से इनकार किया है कि उनके या उनकी कंपनी और मिर्ची परिवार के सदस्यों के बीच कोई मौद्रिक लेन-देन नहीं हुआ है.

पटेल ने दावा किया था कि मिर्ची परिवार के सदस्यों को दी गई संपत्ति उनके पास किराए के अधिकार के बदले में थी, जिसे उन्होंने एम.के. मोहम्मद नाम के एक किरायेदार से खरीदा था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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