मुंबई, 14 फरवरी (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने सोमवार को आगाह करते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं के आवास या विरोधी पार्टियों के कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन का नया चलन ‘‘सही नहीं है’’ और यह लोकतंत्र के लिए ‘‘नुकसानदेह’’हो सकता है।
राकांपा का यह बयान महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी सरकार में सहयोगी कांग्रेस द्वारा इस तरह के प्रदर्शनों की घोषणा किये जाने के बीच आया है।
राकांपा के प्रवक्ता और महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि ऐसे विरोध प्रदर्शन कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं और लोकतांत्रिक ढांचे में यह ‘‘स्वीकार्य नहीं’’है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान प्रवासी मजदूरों से जुड़े संकट के संदर्भ में दिये गए बयान को महाराष्ट्र का ‘‘अपमान’’ करार देते हुए उनसे माफी की मांग को लेकर पूरे राज्य में भाजपा नेताओं के आवास और कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन की घोषणा की थी।
कांग्रेस विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मुंबई स्थित आधिकारिक आवास के बाहर प्रदर्शन करने वाली थी, लेकिन वाहन चालकों को होने वाली ‘‘असुविधा’’ के मद्देनजर इस योजना को ‘‘अस्थायी’’रूप से स्थगित कर दिया।
मुंबई पुलिस ने कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष और प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले नाना पटोले को उनके आवास के बाहर ही रोक दिया और पार्टी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।
मलिक ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ विपक्षी नेताओं के आवास या प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन का नया चलन सही नहीं है…यह लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक होगा। इससे कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है।’’
राकांपा प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के प्रदर्शनों से स्थानीय प्रशासन और पुलिस बल पर दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन वह सरकार, अदालत और प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थान पर ही होना चाहिए।
मलिक ने कहा कि राकांपा पहले ही प्रधानमंत्री की टिप्पणी की निंदा कर चुकी है लेकिन नेताओं के आवास के बाहर प्रदर्शन ‘‘स्वीकार्य नहीं’’ है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने इस महीने के शुरुआत में लोकसभा में कहा था कि कांग्रेस ने कोविड-19 महामारी के दौरान ‘‘सभी सीमाएं लांघ दी’’थी। उन्होंने दावा किया था कि कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान जब लोग लॉकडाउन का पालन कर रहे थे, तब कांग्रेस नेता मुंबई के रेलवे स्टेशनों पर खड़े थे और भोले-भाले मजदूरों को अपने गृह राज्य जाने के लिए डरा रहे थे।
भाषा धीरज दिलीप
दिलीप
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