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Tuesday, 19 November, 2024
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एनसीबी ने मादक पदार्थ तस्करों के खिलाफ पीआईटीएनडीपीएस कानून का इस्तेमाल बढ़ाया

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(नीलाभ श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने बिरले ही इस्तेमाल किये जाने वाले कठोर कानून पीआईटीएनडीपीएस अधिनियम के तहत पिछले लगभग तीन महीने में सर्वाधिक 18 आदेश जारी किये। यह कानून आदतन मादक पदार्थ अपराधियों को एहतियात के तौर पर दो साल तक के लिए हिरासत में लेने की अनुमति प्रदान करता है।

हिरासत में लिये गये जिन लोगों के विरूद्ध यह आदेश जारी किया गया, उनमें विदेशी नागरिक शामिल हैं। हिरासत के दौरान आरोपियों को जमानत या कोई ऐसी राहत नहीं मिल सकती है जो उन्हें मुक्त कर सके।

अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि संघीय मादक पदार्थ-निरोधक एजेंसी ने तब यह कानून इस्तेमाल करने का फैसला किया जब एनसीबी महानिदेशक एस. एन. प्रधान ने एजेंसी के कामकाज की समीक्षा की और निर्देश दिया कि अधिकारियों को बस बड़े मादक पदार्थ मामलों एवं उनसे जुड़े गिरोहों पर ही ध्यान देना चाहिए, पैसों के विनिमय मार्गों की जांच के आधार पर मजबूत मामला तैयार करना चाहिए और आरोपियों की दोषसिद्धि सुनिश्चित करना चाहिए।

स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ की अवैध तस्करी निरोधक अधिनियम (पीआईटीएनडीपीएस), 1988 में स्वापक पदार्थ एवं मन: प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार में किसी तरह लगे व्यक्तियों को दो साल तक हिरासत में रखने का प्रावधान है ताकि उन्हें खतरनाक एवं पूर्वाग्रह गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सके।

अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन महीने में पीआईटीएनडीपीएस के तहत 18 आदेश जारी किये गये थे जबकि पिछले छह सालों में केवल चार-पांच ऐसे आदेश जारी किये गये थे। उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत जो हिरासत में लिये गये उनमें अफ्रीकी नागरिकों जैसे विदेशी नागरिक शामिल हैं जो भारत में मादक पदार्थ के धंधे में नियमित रूप से पकड़े जाते हैं।

इस कानून की येाजना के तहत अभियोजन एजेंसी पहले किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने का प्रस्ताव तैयार करती है और फिर इस प्रस्ताव को निर्धारित जांच समिति परखती है और संबंधित अधिकारी को इस प्रस्ताव के लिए अनुशंसा करती है या उसे खारिज कर देती है। यह अधिकारी केंद्र में संयुक्त सचिव या राज्य में मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी होता है और वह एक साल के लिए हिरासत में लेने का आदेश जारी करता है जिसे उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड से मंजूरी मिलने पर खास परिस्थितियों में दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।

महानिदेशक की समीक्षा से पहले एजेंसी पिछले साल मुम्बई में कोर्डिलिया क्रूज पर छापा मारने के बाद विवादों में घिर गयी थी। इस मामले में गवाहों की निष्पक्षता पर सवाल उठा था और जांचकर्ताओं पर जबरन वसूली के भी आरोप लगे थे।

भाषा राजकुमार देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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