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Friday, 12 September, 2025
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एनसीएपी समिति ने दिल्ली, नोएडा को प्रदूषण नियंत्रण निधि के उपयोग में तत्काल सुधार लाने को कहा

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नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की निगरानी कर रही एक केंद्रीय समिति ने प्रदूषण नियंत्रण निधि के उपयोग में पिछड़े दिल्ली के नगर निकायों और नोएडा प्रशासन को तत्काल सुधारात्मक उपाय करने का निर्देश दिया है।

यह फैसला 21 अगस्त को एनसीएपी के तहत कार्यान्वयन समिति (आईसी) की 18वीं बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अध्यक्ष ने की। इस बैठक में कार्यक्रम के क्रियान्वयन की समीक्षा और निगरानी की गई।

हाल में प्रकाशित बैठक के विवरण के अनुसार, समिति ने कहा कि “सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को निधि के उपयोग में तेजी लानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह किसी भी शहर में 75 प्रतिशत से कम न हो।”

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जनवरी 2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) का उद्देश्य 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 130 शहरों (गैर-प्राप्ति शहरों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों) में वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है। यह एक बहु-क्षेत्रीय पहल है जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों, शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) और अन्य हितधारकों के समन्वित प्रयास शामिल हैं।

एनसीएपी के तहत 130 शहरों में से दस लाख से अधिक आबादी वाले 48 शहरों/शहरी समूहों को वायु गुणवत्ता प्रदर्शन अनुदान के रूप में 15वें वित्त आयोग के ‘मिलियन-प्लस सिटी चैलेंज फंड’ के तहत वित्त पोषित किया जाता है, और शेष 82 शहरों को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत वित्त पोषित किया जाता है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि कार्यक्रम की शुरुआत से 130 शहरों को आवंटित कुल 13,236.77 करोड़ रुपये में से 18 अगस्त तक केवल 9,585 करोड़ रुपये (72.4 प्रतिशत) का ही उपयोग किया गया था।

आंकड़ों के अनुसार, नोएडा (उत्तर प्रदेश) ने अपने आवंटन का केवल 11.14 प्रतिशत, विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) ने 30.51 प्रतिशत और दिल्ली ने 32.65 प्रतिशत उपयोग किया।

विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) ने 41.09 प्रतिशत, जालंधर (पंजाब) ने 43.51 प्रतिशत, गुलबर्गा (कर्नाटक) ने 43.7 प्रतिशत, श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) ने 44.12 प्रतिशत और जमशेदपुर (झारखंड) ने 44.24 प्रतिशत खर्च किया।

उज्जैन (मध्यप्रदेश), गया (बिहार), शिवसागर (असम), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), कलिंग नगर (ओडिशा), नलबाड़ी (असम), जलगांव (महाराष्ट्र), फरीदाबाद (हरियाणा), नागपुर (महाराष्ट्र), रांची (झारखंड), हैदराबाद (तेलंगाना) और बेंगलुरु (कर्नाटक) सहित 12 अन्य शहरों और शहरी समूहों का निधि उपयोग 75 प्रतिशत से नीचे रहा।

भाषा खारी मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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