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मंगलवार, 10 जून, 2025
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नक्सली विस्फोट: बेटी के जन्मदिन से दो दिन पहले छत्तीसगढ़ के पुलिस अधिकारी की मृत्यु

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रायपुर, नौ जून (भाषा) छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सोमवार को नक्सलियों द्वारा लगाए गए प्रेशर बम विस्फोट में मारे गए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) आकाश राव गिरपुंजे ने 11 जून को अपनी छह वर्षीय बेटी का जन्मदिन मनाने के लिए अपने ससुराल जाने की योजना बनाई थी।

एक रिश्तेदार ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी से वादा किया था कि चाहे कुछ भी हो जाए वह वहां रहेंगे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

सुकमा जिले के कोंटा इलाके में नक्सलियों द्वारा लगाए गए प्रेशर बम में हुए विस्फोट में आकाश राव गिरपुंजे और दो अन्य पुलिस अधिकारी घायल हो गए। बाद में आकाश राव गिरपुंजे ने कोंटा के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निवासी 42 वर्षीय आकाश राव गिरपुंजे पिछले वर्ष मार्च से सुकमा में एएसपी (कोंटा क्षेत्र) के पद पर कार्यरत थे।

एएसपी गिरपुंजे के छोटे भाई आदर्श गिरपुंजे ने बताया, ‘‘भैया पूरे विभाग में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे जो कभी पीछे नहीं हटते थे, चाहे कितना भी बड़ा खतरा क्यों न हो।’’

सोमवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे यहां मौजूद आदर्श को उनके भाई के गनमैन (सुरक्षा कर्मचारी) का फोन आया जिसने उन्होंने बम विस्फोट में आकाश राव के घायल होने की सूचना दी। तब तक आदर्श को यह एहसास नहीं था कि उसके भाई की चोटें जानलेवा होने वाली हैं।

आदर्श ने बताया, ‘‘आधे घंटे बाद करीब 10 बजे मुझे फिर से गनमैन का फोन आया जिसने मुझे बताया कि सर (एएसपी) नहीं रहे और दो अन्य अधिकारी घायल हो गए हैं।’’

इस खबर से वह सदमे में आ गए लेकिन किसी तरह उन्होंने हिम्मत जुटाकर परिवार के अन्य सदस्यों को इस बारे में बताया।

एएसपी की पत्नी स्नेहा अपने दो बच्चों के साथ उनकी गर्मी की छुट्टियां बिताने पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के भंडारा इलाके में अपने मायके गई थीं। घटना की जानकारी मिलने के बाद उन्हें रायपुर लाया गया।

आदर्श ने बताया, ‘‘मैंने भैया से आखिरी बार रविवार रात बात की थी। तब उन्होंने कहा था कि वह 11 जून को अपनी बेटी के जन्मदिन के जश्न के लिए भंडारा के पौनी गांव जा रहे हैं। वह 20 मई को अपने बेटे का जन्मदिन मनाने के लिए सिर्फ एक दिन के लिए रायपुर में घर आए थे। हमने कभी नहीं सोचा था कि यह आखिरी बार होगा जब हम उन्हें जीवित देखेंगे।’’

आदर्श एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी) पूरा करने के बाद मेडिकल कोर्स में स्नातोकोत्तर की तैयारी कर रहे हैं।

आकाश राव गिरपुंजे एक साधारण परिवार से थे। उनके पिता गोविंद राव गिरपुंजे एक छोटा सा गैराज चलाते हैं।

आकाश के परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं – बेटा सात वर्ष का और बेटी छह वर्ष की। पांच भाई-बहनों में आकाश दूसरे नंबर के थे।

आदर्श ने बताया, ‘‘भैया बचपन में सरकारी अधिकारी बनना चाहते थे। 2004 में सरकारी कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक (बी.कॉम.) करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा की तैयारी के दौरान वह दिल्ली में भी रहे। उन्होंने यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा चार बार पास की, लेकिन मुख्य परीक्षा पास नहीं कर सके।’’

उन्होंने बताया कि आकाश ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2008 पास की, जिसका परिणाम 2013 में घोषित किया गया। वह पुलिस उप अधीक्षक (डीएसपी) के रूप में चयनित हुए।

उन्होंने कहा कि उन्हें अपने भाई पर गर्व है। उन्होंने कहा, ‘‘नक्सलियों से लड़ना सिर्फ एक नौकरी नहीं है, यह धैर्य, रणनीति और अस्तित्व की परीक्षा थी। आकाश भैया खतरों को जानते थे, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर क्षेत्र में तीन साल तक सेवा की, जो गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) के साथ सीमा साझा करता है। उनके नेतृत्व में पिछले एक साल के दौरान कोंटा क्षेत्र में कई नये पुलिस शिविर स्थापित किए गए थे। वह कभी पीछे नहीं हटे और हर चुनौती का सामना किया।’’

घटना के बाद आकाश राव गिरपुंजे का पार्थिव शरीर रायपुर लाया गया और पोस्टमार्टम के लिए यहां डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया। बाद में, पार्थिव शरीर को राजधानी के कुशालपुर इलाके में उनके घर ले जाया गया।

घटना की जानकारी मिलने के बाद बड़ी संख्या में लोग शहीद अधिकारी के घर संवेदना व्यक्त करने पहुंचे थे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज शाम गिरपुंजे के घर पहुंचकर उन्हें श्रश्रद्धांलि दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और नक्सलियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

साय ने शहीद के शोकाकुल परिवार से मुलाकात की और उनके प्रति संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने परिवार से कहा, ‘‘गिरपुंजे जी ने अदम्य साहस, निष्ठा और कर्तव्य के प्रति समर्पण का परिचय देते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है। हमें उन पर गर्व है। दुख की इस घड़ी में सरकार उनके परिवार के साथ है।’’

अधिकारियों ने बताया कि माओवादी घटना के बाद साय ने सोमवार को राजनांदगांव का अपना प्रस्तावित दौरा स्थगित कर दिया और घटना का जायजा लेने तथा नक्सल विरोधी अभियानों की समीक्षा के लिए मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।

उन्होंने बताया कि बैठक में राज्य के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

अधिकारियों ने बताया कि विस्फोट की घटना में घायल हुए दो पुलिस अधिकारियों की स्थिति का जायजा लेने के लिए साय यहां एक निजी अस्पताल भी गए।

भाषा संजीव राजकुमार

राजकुमार

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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