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Friday, 3 May, 2024
होमदेशUP के क्राइसिस मैनेजर रहे नवनीत सहगल योगी के भी हुए 'फेवरेट', मायावती और अखिलेश के रह चुके हैं भरोसेमंद

UP के क्राइसिस मैनेजर रहे नवनीत सहगल योगी के भी हुए ‘फेवरेट’, मायावती और अखिलेश के रह चुके हैं भरोसेमंद

2017 में यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद साइडलाइन किए गए नवनीत सहगल ने लॉकडाउन के दौरान MSME पॉलिसी में बदलाव कर योगी सरकार की काफी ब्रांडिंग कराई है.

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लखनऊ: हाथरस घटना के बाद सवालों के घेरे में घिरी योगी सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर अहम बदलाव किए हैं जिसके मायने जिसके यूपी की ब्यूरोक्रेसी में अहम हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे करीबी माने जाने वाले अधिकारी अवनीश अवस्थी से इंफोर्मेशन विभाग (मीडिया-कम्यूनिकेशन) छीन लिया गया है. उनकी जगह अखिलेश यादव और मायावती के दौर के ‘पसंदीदा अधिकारी’ माने जाने वाले नवनीत सहगल को एडिशनल चीफ सेक्रेटरी(इनफॉर्मेशन) का पद दिया है.

सीएम ऑफिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मीडिया में सरकार की लगातार धूमिल होती छवि के कारण अवनीश अवस्थी का पद छीना गया है. अवनीश पर सूचना विभाग के अलावा गृह विभाग भी है जो बरकरार रखा गया है. वहीं नवनीत सहगल के पास माइक्रो एंड स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज ( एमएसएमई) और खादी ग्रामउद्योग विभाग की जिम्मेदारी है इसके साथ उन्हें सूचना विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.


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 गिरती सरकार की छवि

हाथरस और बलरामपुर रेप समेत प्रदेश में तमाम क्राइम की घटनाओं के बाद योगी सरकार की मीडिया में छवि लगातार खराब हुई है.

इससे पहले बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे चिन्मयानंद के मामले में भी सरकार और सीएम योगी को नेशनल मीडिया कटघरे में खड़ा कर चुकी है.  सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो योगी आदित्यनाथ पिछले कई दिनों से मीडिया, सोशल मीडिया में दिखाई जा रही सरकार व खुद की छवि से चिंतित थे. उन्होंने टॉप लेवल अधिकारियों के साथ मीटिंग में भी इसका जिक्र किया लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकल पा रहा था.

यहां तक की हाथरस रेप केस के दौरान सोशल मीडिया पर जब योगी सरकार पर सवाल उठ रहे थे तो सरकार के ही एक अधिकारी ने एक पत्रकार के ट्ववीट पर कमेंटट करते हुए उसे फेक न्यूज बता दिया जिससे सरकार की काफी भद्द पिटी.

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सीएम ऑफिस से जुड़ेे एक सूत्र के मुताबिक, ‘पत्रकारों पर पिछले तीन साल के भीतर यूपी में तमाम मुकदमे भी हुए जिससे पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग नाराज चल रहा था. ऐसे में अवनीश अवस्थी के हाथ से ये पद जाना ही था.’

क्राइसिस मैनेजर हैं सहगल

यूपी की ब्यूरोक्रेसी में नवनीत सहगल की पहचान एक बड़े क्राइसिस मैनेजर की रही है.

अखिलेश सरकार के दौरान उनके साथ काम कर चुके सहयोगी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, ‘आगरा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के वक्त टेंडर प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे में फंसी थी. सहगल ने मुकदमे वापस करवाने में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद छह महीने के भीतर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की साढ़े सात हजार एकड़ जमीन खरीदी गई.’ इसके बाद ही अखिलेश ने उन्हें कई अहम जिम्मेदारियां सौंपी.

1988 बैच के आईएएस सहगल अखिलेश व मायावाती के दौर में भी सूचना विभाग संभाल चुके हैं. सहगल को दोनों का करीबी माना जाता रहा है. बसपा सरकार में सहगल कई विभागों पावर कार्पोरेशन, जल निगम, यूपी इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट कार्पोरेशन के चेयरमैन रहे. बाद में मायावती ने उन्हें सूचना विभाग की जिम्मेदारी दे दी.

मायावती और अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान सहगल ने न केवल दोनों की छवि को सुधारने का काम किया बल्कि एक बार माया सरकार के कार्यकाल के दौरान जून 2011 में लखनऊ में एक निजी चैनल के दो पत्रकारों से पुलिस ने मारपीट की थी. जिसके बाद यूपी के सारे पत्रकार माया सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए थे. उस समय सहगल ने ही पत्रकारों और मुख्यमंत्री के बीच बातचीत कराकर स्थिति को काबू में किया था.

2012 में यूपी में सपा की सरकार बनने के सहगल कुछ वक्त के लिए साइडलाइन रहे. सहगल को धर्मार्थ कार्य विभाग जैसे महत्वहीन माने जाने वाले विभाग में प्रमुख सचिव बनाया गया लेकिन सहगल ने श्रावण यात्रा शुरू कर धर्मार्थ कार्य विभाग को प्रदेश में एक अलग पहचान दिलाई.

इसी दौरान सहगल ने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर बनाने की योजना का खाका खींचा जिसके बाद वह अखिलेश के पसंदीदा बन गए. वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सहगल को उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) का सीईओ बनाकर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को पूरा करने का जिम्मा सौंपा.

सहगल अपने काम में काफी एक्टिव थे जिसे देखते हुए अखिलेश ने कुछ महीनों बाद उन्हें सूचना विभाग के प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी सौंपी .एक्सप्रेस वे व गोमती रिवर फ्रंट समेत तमाम डेवलेपमेट प्रोजेक्ट्स की ब्रांडिग कराने में सहगल की भूमिका अहम रही.

 लॉकडाउन, रोजगार और योगी की ब्रांडिग

2017 में यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद एक बार फिर नवनीत सहगल साइडलाइन कर दिए गए. इन्हें खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग व एमएसएमई के प्रमुख सचिव की कुर्सी मिली.

सहगल ने लॉकडाउन के दौरान एमएसएमई पॉलिसी में बदलाव कर उद्योगों को लुभाकर योगी सरकार की काफी ब्रांडिंग कराई.

दिप्रिंट से बातचीत में पिछले दिनों सहगल ने बताया था कि लॉकाडाउन के बाद से अब तक 3.70 लाख नए उद्यमियों ने यूपी में एमएसएमई के तहत अपना उद्योग शुरू करने के लिए अप्लाई कर चुके हैं. अब तक इन्हें 13 हजार करोड़ से अधिक का बैंक लोन सरकार की मदद से मिला है. इससे यूपी में लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा. एमएसएमई में योगी सरकार के प्रयासों की की चर्चा मीडिया में काफी रही.

चार्टेड एकाउंटेंस से ब्यूरोक्रेट बने सहगल पर योगी सरकार ने अहम दांव खेला है. एक रिटार्यड ब्यूरोक्रेट ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा कि जिस अधिकारी को योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद बिलकुल पसंद नहीं करते थे अब उसी को सूचना जैसा अहम विभाग सौंपना उनकी मजबूरी बन गया है. 2022 विधानसभा में चुनाव में 1.5 साल से भी कम समय बचा है. ऐसे में अपनी छवि सुधारने का सरकार का ये आखिरी दांव है.


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