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Saturday, 16 November, 2024
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लॉकडाउन और वित्तीय संकट के बाद, एक रनवे के साथ 2023 में तैयार हो सकता है नवी मुम्बई एयरपोर्ट

16,000 करोड़ रु. की लागत से तैयार एयरपोर्ट को दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट कहा जा रहा है जिसमें 2 समानांतर रनवे होंगे. पहले चरण में, 2 में से 1 रनवे चालू होगा.

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मुम्बई: कई समय सीमाएं चूक जाने के बाद, महाराष्ट्र सरकार अब उम्मीद कर रही है, कि बहुत देरी देख चुकी नवी मुम्बई एयरपोर्ट परियोजना के, पहले चरण का काम 2013 में पूरा कर लिया जाएगा.

16,000 करोड़ रुपए की लागत के नवी मुम्बई एयरपोर्ट को, दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स में से एक, कहकर प्रचारित किया जा रहा है, जिसमें 3,700 मीटर लंबे दो समानांतर रनवे होंगे, और पूरी लंबाई के टैक्सीवेज़ होंगे, जिनके बीच में 1,550 मीटर का फासला होगा. पहले चरण में, दो में से एक रनवे चालू किया जाएगा.

लेकिन, एयरपोर्ट के परिचालन की समय सीमा को लेकर, परियोजना के कंसेशनेयर, जीवीके ग्रुप की अगुवाई वाले मुम्बई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल), और राज्य सरकार की सोच समान नज़र नहीं आती.

कंसेशनेयर के प्रबंधन में हुए बदलाव ने, जिसमें अदानी ग्रुप ने मायल में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी ले ली है, परियोजना को और जटिल बना दिया है.

पिछले साल दिसंबर में, जीवीके ग्रुप ने नवी मुम्बई एयरपोर्ट परियोजना की नोडल एजेंसी, शहरी एवं औद्योगिक विकास निगम (सिडको) को लिखा, कि कोविड-19 महामारी की वजह से हवाई यात्रा की मांग में भारी गिरावट आई है, और मुम्बई को 2025 तक दूसरे एयरपोर्ट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.

उसने ये भी कहा कि नवी मुम्बई एयरपोर्ट प्रोजेक्ट को फिर से डिज़ाइन करना होगा, क्योंकि महामारी का लागत, राजस्व और उधार, सब पर असर पड़ेगा.

लेकिन, राज्य शहरी विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, कि प्रोजेक्ट की मौजूदा प्रगति को देखते हुए, एक रनवे को आसानी से परिचालित किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘फिलहाल हम जिस स्टेज पर हैं, परियोजना को पेश आ रही बाधाओं के बावजूद, एक रनवे दो साल में आराम से तैयार हो जाना चाहिए. प्री-डेवलपमेंट के सारे काम तक़रीबन तैयार हैं, और वो जगह साफ की जा चुकी है’.

जब दिप्रिंट ने जीवीके के एक प्रवक्ता से संपर्क किया, तो उसने कहा कि कंपनी इस मुद्दे पर, कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती.

नवी मुम्बई एयरपोर्ट, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, फरवरी 2018 में शिलान्यास रखा था, कई समय सीमाएं मिस कर चुका है.

देवेंद्र फड़णवीस की अगुवाई वाली पूर्व सरकार, 2019 के विधान सभा चुनावों से पहले, एक रनवे को चालू करना चाहती थी, एक ऐसी समय सीमा, जो ख़ुद उनकी सरकार के कई अधिकारियों को, कुछ ज़्यादा ही महत्वाकांक्षी लगी थी.

योजना के कार्यान्वयन में लगे अधिकारियों ने, बाद में समय सीमा को बढ़ाकर, पहले मई 2020, और फिर दिसंबर 2020 कर दिया.

लॉकडाउन और अदानी के आने से देरी

योजना में देरी का सबसे ताज़ा कारण था, कोविड प्रकोप के बाद हुआ लॉकडाउन, जब एयरपोर्ट पर चल रहा काम बंद हो गया, जिसके बाद कंसेशनेयर को वित्तीय संकट ने घेर लिया, जिसकी वजह से उसके प्रबंधन में भी बदलाव हो गया.

सिडको ने एयरपोर्ट के निर्माण का काम, डिज़ाइन, निर्माण, फाइनेंस, ऑपरेट, और ट्रांसफर मॉडल के आधार पर, मायल को दे दिया. मायल ही मौजूदा मुम्बई एयरपोर्ट को भी चला रही है, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट कहा जाता है.

जीवीके ने मायल के ज़रिए जनवरी 2018 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परियोजना का शिलान्यास रखने से कुछ पहले ही, सिडको के साथ कंसेशन समझौते पर दस्तख़त किए.

लेकिन जीवीके ग्रुप उस समय काफी वित्तीय दबाव में था- रेटिंग एजेंसियों ने उसका दर्जा घटा दिया था, और वो नवी मुम्बई एयरपोर्ट के निर्माण के लिए, फंड्स जुटाने में जूझ रहा था.

पिछले साल मई में, सिडको ने जीवीके समूह को पत्र भी लिखा, कि वो अपनी वित्तीय क्षमता प्रदर्शित करे, कि वो परियोजना को शुरू कर सकता है, और राज्य सरकार की समय सीमा के अंदर पूरा भी कर सकता है.

अगस्त 2020 में, अदानी ग्रुप ने जीवीके ग्रुप के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत उसे मायल में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी मिल गई, और नवी मुम्बई एयरपोर्ट के लिए वित्तीय समापन भी मिल गया, इसलिए निर्माण कार्य शुरू हो सकता है.

लेकिन, ऊपर हवाला दिए गए, राज्य शहरी विकास विभाग के अधिकारी ने कहा, कि प्रबंधन में हुए बदलाव की वजह से, ‘प्रक्रिया से जुड़ी’ समस्याएं पैदा हो गई हैं.

‘मसलन, अभी वित्तीय समापन नहीं हुआ है. ये एक पहली आवश्यकता है. प्रबंधन में बदलाव सिडको के लिए एक सम्पन्न कार्य है, हमें इसे स्वीकार करना ही है’.

उन्होंने आगे कहा: ‘इस बदलाव के लिए केंद्र सरकार की कुछ अथॉरिटीज़ से मंज़ूरियां लेनी होंगी, जैसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग, और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण’.


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अप्रैल तक पूरा हो जाएगा प्री-डेवलपमेंट कार्य

सिडको और राज्य सरकार दोनों के अधिकारियों ने कहा, कि उल्वे में नवी मुम्बई एयरपोर्ट की जगह पर प्री-डेवलपमेंट कार्य, 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है, और शेष काम भी अप्रैल के अंत तक निपट जाना चाहिए.

सिडको की एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने प्री-डेवलपमेंट का अधिकतर कार्य पूरा कर लिया है, जिसमें पहाड़ी की कटाई, उल्वे नदी को मोड़ना, हाई-टेंशन तारों को शिफ्ट करना आदि शामिल हैं’.

उन्होंने आगे कहा कि एयरपोर्ट की जगह तक़रीबन पूरी तरह साफ कर दी गई है, और योजना से प्रभावित 99 प्रतिशत लोगों को, वैकल्पिक आवासों में भेज दिया गया है.

नवी मुम्बई एयरपोर्ट का निर्माण 1,160 हेक्टेयर ज़मीन पर प्रस्तावित है, जो दस गांवों में फैली हुई है, और जहां क़रीब 3,500 परिवार रहते हैं.

सिडको ने इस ज़मीन पर प्री-डेवलपमेंट कार्य 2017 में शुरू किया था.

एयरपोर्ट की कल्पना मूल रूप से नवंबर 1997 में की गई थी, जब केंद्र सरकार ने मेट्रोपोलिस के लिए, एक दूसरे एयरपोर्ट की ज़रूरत महसूस की थी.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने परियोजना की संभावना का अध्ययन करने के लिए, एक समिति का गठन किया था, लेकिन योजना को ड्राइंग बोर्ड तक आने में, तक़रीबन एक दशक का समय लग गया.

इस समय तक, सरकार ने नवी मुम्बई की जगह तय कर ली थी, लेकिन एक और दशक लग गया उस स्थिति में आने में, जहां निर्माण कार्य वास्तव में शुरू हो सकता है.


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